लेखक:- शिवम कुमार पाण्डेय
अरे ये क्या हो रहा है? इतना शोर क्यों मच रहा है? अरे भैया कुछ नहीं ये किसान आंदोलन चल रहा है। वो सब तो ठीक है पर जो आवाज गूंज रही तनिक उसको भी सुनो की बस हल्ला हूं मचाने से ही सब किसान हो जाएंगे। "खालिस्तान जिंदाबाद" का नारा लग रहा है..! कोई कह रहा है इंद्रा को देख लिए , जनरल वैद्य को देख लिए, मोदी क्या चींज है? मोदी मरजा तू ...! मतलब सारी हदे पार की जा रही है किसान आंदोलन के नाम पर। राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का खुलकर समर्थन किया जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने कुछ खालिस्तानी और इस्लामिक आतंकियों को धर दबोचा है।अमेरिका के वॉशिंगटन में जो हुआ वो कत्तई बर्दाश्त करने के लायक नहीं है। भारतीय किसानों के आंदोलन को समर्थन की आड़ में कुछ मुट्ठी भर लोगो ने भारतीय दूतावास के पास स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा को खालिस्तानी झंडे से ढककर भारत विरोधी नारे लगाए गए। वाह भैया वाह देखने वाली बात है कि अमेरिका की नागरिकता लेकर मज़े ले रहे है और चिंता सता रही है भारत के किसानों की..! ये जो विभाजनकारी एजेंडा चला रहै है इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
किसानो को भटकाना- भड़काने वाले कभी किसानों के हितैषी नहीं हो सकते है। जितने भी आंदोलन में बैठे है उन्हे "तथाकथित किसान" बोला जाए तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है। किसानों को लेकर कानून बहुत पहले भी बने है देश पर इतना बवाल कभी नहीं है और किसानों कोई फर्क नहीं पड़ता है। बहुतों को तो फसल काटने और बोने से फुर्सत नहीं है वो क्या आंदोलन करेंगे? नए कृषि कानून को किसी ने ढंग से पढ़ा भी नहीं होगा फिर भी कुछ मुट्ठी भर नक्सलवादी विचारधारा वाले , विपक्षी दल , तथाकथित किसान संगठनों आदि लोगो ने इसको लेकर उलुल जुलुल भ्रामक फैला रहे है। एक महिला नेता स्टेज पर आती और कहती है मेरा चप्पल चोरी हो गया इसके पीछे मोदी कि साजिश है..! हद है किसानों के कंधो पर बंदूक रख चलाने वालो को मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी हो गया है।
उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा है कि किसानों के आंदोलन से हर रोज 3500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल की अर्थव्यस्था पर काफी चोट पहुंची है। संगठन का कहना है किसान आंदोलन की वजह से माल की ढुलाई पर असर पड़ा है और सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है।इस वजह से देश में फल और सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं।
खैर जब संसद में बहस करना था तो विपक्ष वाले हल्ला हूं मचा रहे थे। उपसभापति हरिवंश नारायण जी के साथ सदन में कृषि बिल के दौरान विपक्ष के माननीय सांसदों द्वारा हिंसक व्यवहार किया गया था। जो संसद में ऐसी नीच हरकत करने से नहीं डरते उनके लिए सड़कछाप आंदोलन में उतरना कोई बड़ी बात नहीं..!