लेखक: कृष्णकांत उपाध्याय
भाजपा सरकार बनाती हैं, कांग्रेस और लेफ्ट सिस्टम बनाते हैं जो उनके सत्ता में ना रहने पर भी अपना काम बखूबी कर सके और आज वही सिस्टम अपना काम कर रहा है,
यह सिस्टम ही है जो रामनवमी और हनुमान जयंती के शोभायात्रा पर पथराव के बाद मौन हो जाता है और जैसे ही इन उपद्रवियों पर कार्यवाही होती है तो कोर्ट स्वतः संज्ञान लेते हुए रोक लगा देता है। यह सिस्टम ही है जो हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के समय कोर्ट स्वतः संज्ञान नहीं लेता है।
यह सिस्टम ही है जो करौली, खरगौन, जहांगीरपुरी में हिंदुओं पर हमला होने के बाद दौरा करने नहीं जाता है लेकिन जैसे ही दंगाइयों पर कार्यवाही होती है तो पंहुचना शुरू हो जाता है। ( औवैसी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, लेफ्ट आज दौरा करने जा रहे हैं जहांगीरपुरी)इनमें से कोई भी करौली, खरगौन, लोहरदगा का दौरा नहीं किया।
यह सिस्टम ही है जो हिंदुओं पर अत्याचार को मिडिया में बहस का हिस्सा नहीं बनने देता है बल्कि बहस इस पर शुरू कर देता है कि “बुलडोजर चलाना वैध या अवैध”।
यह सिस्टम ही है जो हिंदूओं पर हुए पथराव पर सामने नहीं आता है तब सामने आता है जब पता चलता है कि शोभायात्रा की अनुमति ही नहीं ली गई है। यह सिस्टम ही है जो दिल्ली को बेवजह बंधक बनाए रखता है और कोर्ट मौन रहता है।
यह सिस्टम ही है जो राणा अयूब जैसी पत्तलकारिता करनेवाली को देश के बाहर जाकर देश के खिलाफ बोलने के लिए आदेश दे देता है यह कहकर कि 10-12 करोड़ की चोरी कोई बड़ी चोरी नहीं होती है।
यह सिस्टम ही है जो हिंदुओं के पलायन पर मौन रहती है।
यह सिस्टम ही है जो कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर विधानसभा में ठहाके लगाकर मजाक उड़ाता है।
यह सिस्टम ही है जो मिडिया को दंगाइयों के साथियों का बयान चैनलों पर दिखाती है लेकिन दंगाइयों के जुल्म के शिकार हुए लोगों को चैनलों पर नहीं दिखाते हैं।
यह सिस्टम ही है जो हिंदुओं की गंगा और यमुना दोनों हैं जो पूज्यनीय हैं उन्हीं को सेक्लुरिजम के नाम पर गंगा-जमुनी तहजीब सिखाती है। यह सिस्टम ही है जो बहुत चालाकी से जयकारों(भारत माता की जय, जय श्री राम, वंदेमातरम) को नारों में तब्दील कर देती है।
यह सिस्टम ही है जो यह बताती है कि यूपी में ब्राह्मण नाराज है लेकिन यह नहीं बताती कि मुस्लिम सपा को एकतरफा वोट कर रहे हैं जिससे हिंदुओं का वोट एकजुट हो जाए।
यह सिस्टम ही है जो अयोग्यताओं से परिपूर्ण व्यक्तियों को पद देकर सिस्टम का हिस्सा बनाता है और अंत में यही सिस्टम हिंदू समझ नहीं पाते हैं और हिंदू का विरोध करते हैं, साथ नहीं देते हैं, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित या सहयोग करना तो दूर उनकी टांग खिंचकर गिराते हैं, जातियों में बंटकर लड़ते हैं और कटते है।
कल राजस्थान की कांग्रेस सरकार के कुकृत्य ने यह साबित भी कर दिया कि सिस्टम के संदर्भ में मेरा विचार सही है, कल राजस्थान के अलवर जिले में एक 300 साल पुराना शिव मंदिर तोड़ दिया गया बल्कि मंदिर तोड़ा ही नहीं गया है पहले भगवान शिव के शिवलिंग को ड्रिल मशीन से उखाड़ा गया, अन्य मूर्तियों को तोड़कर कचरे में फेका गया फिर मंदिर को तोड़ा गया।
अब इसी घटना को देखिए और अपने विचारों के तराजू में तौलिए जहांगीरपुरी में अवैध कब्जों पर बुलडोजर चला तो सिस्टम का एक एक सैनिक अपने अपने काम पर लग गया क्योंकि वहां मामला मुसरिम का था लेकिन राजस्थान के अलवर में जो कांग्रेस सरकार ने किया उस पर सिस्टम का एक एक सैनिक शुतुरमुर्ग की तरह रेत में मुंह डालकर बैठ गया क्योंकि यहां बात हिंदुओं की थी। यह वही सिस्टम है जो मस्जिद की अवैध दीवार पर कोर्ट तक चला जाता है और शिव मंदिर को तोडऩे पर खामोश हो जाता है। यह वही सिस्टम है जो जहांगीरपुरी में अवैध कब्जे पर चले बुलडोजर पर स्वतः संज्ञान लेता है लेकिन अलवर के शिव मंदिर पर मौन है।
यह वही सिस्टम है जो मिडिया में जहांगीरपुरी का “बुलडोजर वैध या अवैध” पर बहस कराना शुरू कर देता है लेकिन 300 साल के धरोहर के रूप में खड़े शिव मंदिर को तोड़ने पर कोई बहस नहीं होती। यह वही सिस्टम है जो जहांगीरपुरी में दौरा पर दौरा ( ओवैसी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि मंडल) करता है, लेकिन अलवर का 300 साल पुराना शिव मंदिर तोडें जाने पर कोई नहीं जाता।
यह वही सिस्टम है जो जहांगीरपुरी पर फेसबुक, ट्विटर, मिडिया में आकर “अल्पसंख्यकों पर अत्याचार”, “संविधान खतरे में”, “लोकतंत्र की हत्या” बताता है लेकिन 300 साल धरोहर रूपी शिव मंदिर पर सिस्टम अंधा, बहरा, लूला, लंगडा, गूंगा तक हो जाता है।
इस सिस्टम से निपटने के लिए हर किसी को आदत डाल लेनी चाहिए। क्योंकि जब तक आप केवल सरकार बनाएंगे तब तक आप कोई भी वैचारिक लड़ाई नहीं जीत पाएंगे लेकिन जिस दिन आप सिस्टम बनाना शुरू कर देंगे उस दिन आप बड़े से बड़ा वैचारिक युद्ध जीत जाएंगे।
वैसे भी इस सिस्टम के रहते हुए अब इस देश में किसी गजनी, खिलजी, बाबर, औरंगजेब की जरूरत नहीं है जो अयोध्या में राम मंदिर की जगह बाबरी, काशी में विश्वनाथ मंदिर की जगह ज्ञानवापी, मथुरा में जन्मस्थान से लगाकर मस्जिद खड़ी कर दे, उसके लिए इस देश का सेक्लुरिजम से ग्रसित हिंदू ही काफी हैं....!