क्रांति का स्तर तो इतना बढ़ गया है की अब ट्रैक्टर खेतो की बजाय सड़को पर करतब दिखाने लगा है। क्रांति का मुख्य फैक्टर अब ट्रैक्टर हैं। वो एक बीता जमाना था जब हरित क्रांति होती थी अब हर क्रांति के लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती है। वो कैसे इसकी जानकारी तो कोई बढ़िया फैक्ट चेकर ही दे सकता है। मैं तो बस यहीं कहूंगा की बिना ट्रैक्टर के जोताई नही होगी और जोताई नही होगी तो बोवाई कैसे होगी...! इस्तेमाल तो हल का भी होता था पर ये लोग बैलों पर अत्याचार नही करते बेचारा बेजुबान पशु है। आधुनिकता का जमाना है और जमाने के साथ चलना चाहिए। एक ही जीवन है कब क्या हो जाए कोई इसका ठिकाना है... कुछ लोग यही सोचकर कहते है पूरा जीवन हमे आंदोलन करते हुए बिताना है। क्रांति के बीज बोने वालों के आगे हमारे आपकी क्या बिसात? अरे कौन जात? कौन जात?.. अरे कौन जात वाला पत्रकार याद आ गया बिना इसके जिक्र के तो क्रांति की कहानी अधूरी मानी जाएगी.....! खैर मुझे क्या लेना देना मै तो ठहरा संघी जन्मजात..!