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Friday, April 10, 2020

नक्सलवाद एक समस्या

लाल सलाम मुर्दाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद !
लाल सलाम के नाम के पर देश में हिंसा भड़काया जा रहा है। नक्सलवादियों ने लाल सलाम के नाम पर ना जाने कितने बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया ये कहते हुए कि हम मजदूरों और किसानों के हक ले लिए लड़ाई लड़ रहे है और हमारी लड़ाई सरकार से है आम लोगो से नहीं। सिर्फ दंतेवाड़ा जैसे जंगलों में 15000 से भी ज्यादा जवान नक्सली हमले में अपनी जान गवा बैठे है इतना तो  युद्ध (1948,1962 ,1965,1971 और 1999 की कारगिल में) में नहीं शहीद हुए होंगे। ये किसानों की बात करते है और इनके घर के चिराग को भी बुझा देते है जो देश सेवा के लिए आर्म्ड फोर्सेज में शामिल होते है। आजकल इनका एक नया एजेंडा चल रहा है "आज़ादी" जबकि देश को आज़ाद हुए 70 साल से ज्यादा हो गया है । एक विशेष वर्ग इनकी तुलना भगत सिंह और उनके साथियों से करने में लगा हुआ है जबकि ये उनके पैरों के धूल बराबर भी  नहीं है । उन्होंने ने तो अपनी  जिंदगी देश के नाम कर दी थी और हसते हुए फांसी पे झुल गए थे ताकि भारत माता का उद्धार हो सके पर लाल सलामी विचारधारा वाले अपनी ही धरती को अपने ही सपूतों के खून से रंगने की साजिश रच रहे है ।

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