नेता और पत्रकार
राजनीति देश की भलाई के लिए की जाती है लेकिन आज के दौर में देखा जाए ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। हर जगह जातिवाद को लेकर संघर्ष छिड़ा रहता है । हद तो तब हो जाती है जब कोई समाजवादी नेता जात के नाम पर वोट मांगने लग जाता है बात यही तक सीमित नहीं रह जाती है ये अपनी उलूल- जुलुल बातो से जनता को मूर्ख बनाते है। विभिन्न राजनैतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर तरह - तरह के अफवाहों से भरे पोस्ट जाति और धर्म के नाम साझा की जाती है मात्र आम जन को भड़काने और उकसाने के लिए इसीलिए किसी पोस्ट को बिना सोचे समझे फैलाना नहीं चाहिए ये घातक सिद्ध हो सकता है। आज कल राजनीति के नाम पर जो जनता के बीच सिर फुटौव्वल करवाने की साज़िश रची जा रही है जाति के नाम पर इसे समझने की जरूरत है कि ये कौन लोग करवा रहे है! नहीं तो जाति के नाम पर अपना नेता चुनेंगे तो तैयार रहिए अपना सिर फोड़वाने के लिए।
अब ये सब रोकने के लिए देश की पत्रकारिता का बहुत बड़ा रोल होता है क्योंकि पत्रकारिता का मतलब ही होता है सच्चाई दिखाना और बेईमान नेताओ को बेनकाब करना परंतु देश का दुर्भाग्य यह है कि आज कल की पत्रकारिता बिक गई है। इन सबके बीच बहुत से ऐसे पत्रकार और राष्ट्रवादी लोग है जो देश की हकीक़त से आप लोगो को परिचय कराते है जो देश तोड़ने की बात करने वालो के मुंह पर कड़े तमाचे का काम करता है।
छात्र नेता
अब हम का बताए छात्रनेताओ के बारे के में जब ये लोग चुनाव जीत जाते है तब ये लोग छात्रो से मिलना मुनासिब नही समझते। ये लोग देश-प्रदेश के जितने बड़े नेता उनसे आशीर्वाद लेने जाते है,पैर छुते है ,उनके साथ डिनर करते है आदि।आम भाषा मे बोले तो ये लोग चाकरी करते है! एक छात्रनेता को स्वतंत्र होना चाहिए ताकि वो अपनी और छात्रो की समस्याओ को खुलकर सबके सामने रख सके । आमतौर पर देखा जाए तो ये किसी न किसी पार्टी और उसकी विचारधाराओ जुड़े रहते है जिसकी वजह से इन्हे सही गलत का पता नही चलता है और ये अपने मुद्दे ना उठाकर राजनैतिक पार्टियो की बात रखते है! इस तरह बिना मेहनत के देश के तमाम राजनैतिक दलो को हर विश्वविधालयो से अपना-अपना कैडर मिल जाता है जिसका काम आरजकता फैलाना होता है।
युवा नेता
भारत देश में कोइ भी व्यक्ति राजनिति में आता है तो अपने आप को एक युवा नेता के रूप में दर्शाता हैं असल में वो ये भुल जाता है कि उसके सिर के बाल पक गए है बकैती बतियाते-बतियाते! मतलब उम्र 45-50 पार हो चुकी है तब भी ये अपने आप को युवा समझने की भुल कर बैठते है।
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