आजकल लोगो को क्या हो गया है? शब्दों का आकाल पड़ गया है क्या जो गाली गलौज की भाषा इस्तेमाल करने लगते है। कहने को पढ़े लिखे पर बात वाहियात और जाहिलो से भी गिरे हुए स्तर का करते है। हम एक सभ्य समाज में रहते है खासकर भारत में जो अपनी पुरानी संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है जहा खाते वक्त कुत्ते को भी नहीं टोका जाता वहा पे लोगो का इस प्रकार की घटिया बाते करना निंदनीय और असभ्य होने की निशानी है। यहां है कुछ लोग जो भारतीय संस्कृति को तहस नहस करना चाहते है इसीलिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते है जिसका वर्णन करना भी शर्म कि बात है। ये तथाकथित लोग अपने आप को बुद्धिजीवी समझते है पर ये कैसे बुद्धिजीवी जो अपनी कही गई बातों को तर्क के माध्यम से सिद्ध नहीं कर पाते है तो अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगते है । इतना ही नहीं ये कुतर्की लोगो के मा बहन के लिए ऐसी अभद्र भाषा का प्रयोग करते है जिसे सुनते ही आपका भी खून खौल जाय। ये एक बात से अंजान है कि "भरी सभा में सौवीं गाली देने के बाद भगवान श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का शीश काट कर वध कर दिया गया था" जिससे साफ पता चलता है कि हमारे यहां गाली देने वाले को बख्शा नहीं जाता चाहे वो बुआ का ही लड़का क्यों न हो स्वयं इतिहास इसका साक्षी है। सरकार को भी इसपर सख्त एक्शन लेना चाहिए और कब तक सोशल मीडिया को ऐसी हरकतों पर कार्यवाही न करने के लिए माफ किया जाय।
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