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Wednesday, June 24, 2020

मेरी कुछ राष्ट्रवादी कविताएं...

                 (1)
मुझे ये फिक्र नहीं आगे क्या होगा
जो मुझे करना है वो अच्छा  होगा
कोई राहों में बाधा अता है तो आए 
सबको ढकेल कर पूरा  फोड़ कर
निकल जाऊंगा राष्ट्रवाद के लिए।।

          (2)
भारत माता पुकार रही है 
शत्रुओं का विनाश करो
जोर लगाओ मार भगाओ
उन हिमालय पार वालो को
जमीन अपनी जल अपना
फिर काहे को उनसे डरना

           (3)
जनमेजय वाला यज्ञ करो,
 जहरीले सांपों को नष्ट करो 
दांत उखाड़ो उनके
जो अपनी ही मां के
 छाती में दात गड़ाए बैठे है
दूध के बजाय खून पी बैठे है..
रोती मातृभूमि को सुकून दो
 देशद्रोहियों को गोलियों से भून दो..


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