Pages

Thursday, July 2, 2020

चीन के अड़े रहने के कारण दोनों तरफ से बढ़ी सेना की तैनाती

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव दूर करने के लिए मंगलवार को करीब 12 घंटे चली बैठक का परिणाम उत्साहवर्धक नहीं रहा। दोनों पक्षों ने तनाव कम करने पर जोर दिया लेकिन चीन के भारतीय सेना को भी दो किलोमीटर पीछे हटाने पर अड़े रहने से मामला फिर अगली पैंगोंग त्सो ले बैठक के लिए टल गया। हालांकि इस बात पर सहमति बनी कि तनाव दूर करने के लिए बैठकों का दौर चलता रहेगा। बैठक राजनयिक स्तर पर भी होगी। मसला पैंगोंग त्सो लेक के फिंगर 4 को लेकर फंसा है। चीन की शर्त है कि वह इस बिंदु से तभी हटेगा जब भारत भी दो किलोमीटर पीछे हटेगा। भारत का पीछे हटना का अर्थ है कि उसका फिगर चार से दावा कमजोर पड़ जाएगा। भारत की शर्त है कि चीन वापस फिंगर-8 से पीछे जाए। भारत की तरफ से 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट हरविंदर सिंह और चीन की तरफ से तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के मेजर जनरल लीयू लिन बैठक में भाग लिया। इस बात बैठक चिशुल में भारतीय भूभाग में हुई। बातचीत का परिणाम न निकलने के कारण दोनों तरफ से एलएसी पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है।भारत ने सीमा पर भीष्म टैंकों की तैनाती बढ़ाने के साथ ही पेंगोंग त्सो लेक में निगरानी बढ़ाने के लिए नौसेना के आधुनिक नावों की तैनाती की है। सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना ने उत्तरी शिनजियांग प्रांत में दो डिवीजनों को तैनात किया एक डिवीजन में 10,000 सैनिक हैं। यह वास्तविकनियंत्रण रेखा से 1000 किलोमीटर की दूरी पर है, चीनी सीमा पर समतल इलाकों के कारण अधिकतम 48 घंटे में सीमा तक पहुंचने के लिए उन्हें जुटाया जा सकता है। भारत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के आस-पास के स्थानों से कम से कम दो डिवीजनों को तैनात किया है इसमें एक आरक्षित माउंटेन डिवीजन भी शामिल है जो हर साल पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपने युद्ध अभ्यास करती है। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार की बैठक में तनाव दूर करने के लिए चीनी सेना को पीछे हटने और छह व 22 जून को हुईकोर कमांडर स्तर की बैठक में जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी, उन पर कितना अमल हुआ, इस पर चर्चा हुई भगवान घाटी में चीनी सेना टोकन के रूप में थोड़ा पीछे हटी है, लेकिन उसने अपने ढांचा नहीं होते हैं। मंगलवार को बैठक में चीन की तरफ से कहा गया कि भारत को भी दो किलोमीटर पीछे हटना पड़ेगा। इस अर्थ हुआ कि भारत को अपनी ही धरती पर से दावा छोड़ना होगाऔर चीन को भारत पर दो किलोमीटर की बढ़त मिल जाएगी। भारत की तरफ से बातचीत कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरविंदर सिंह ने अपना पक्ष मजबूती रखा कि चीन को 4 मई से पहले की स्थिति बहाल करनी होगी और 17 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत में बनी सहमति के अनुसार इस मसले को जिम्मेदारी के साथ सुलझाना होगा। चीनी पक्ष अपनी बात पर अड़ा रहा कि भारतीय सेना को भी पीछे हटना होगा। उधर पाकिस्तान ने भी मौके का फायदा उठाने के लिए एलओसी 20 हजार जवानों को गिलगित बाल्टिस्तान में एलओसी के नजदीक तैनात किया है।

( स्रोत:  राष्ट्रीय सहारा)

4 comments:

  1. चीन के पास कोई नया रास्ता नहीं है और अपने साथ साथ पाकिस्तान को भी पिटवाना चाहता...

    ReplyDelete
  2. ये 62 वाला हिंदुस्तान नहीं है चीन बुरी तरह पिटेगा बाकि PKMKB.😅

    ReplyDelete