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Wednesday, July 22, 2020

समझना होगा संघ को

( प्रभात झा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद है। आज उनका ये लेख संघ को लेकर "जनसत्ता" में छपा है)

हाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 'वर्तमान परिदृश्य और हमारी भूमिका' विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोरोना से पूरी दुनिया  जूझ रही है। जीवन तो चल रहा है। स्वयंसेवकों को लगता होगा कि शाखा बंद है, नित्य कार्यक्रम बंद है। लेकिन ऐसा नहीं है। शाखा भी लग रही है और संघ का काम भी चल रहा है। बस उसका स्वरुप बदल गया है। संघ प्रमुख के इन विचारों को लेकर विश्लेषण और मेरे कुछ विपक्षी दलों के राजनीतिक मित्र हतप्रभ हैं कि ऐसी क्या बात है संघ में कि यह संगठन किसी भी परिस्थिति में सक्रिय बना रहता है। संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने सन 1925 को जब विजयादशमी के दिन नागपुर में पहली शाखा शुरू की, तो उपस्थित स्वयंसेवकों ने कहा कि आप संघ के गुरु बन जाइये। इस पर हेडगेवार ने कहा कि हम सबका गुरु व्यक्ति नहीं, परम पवित्र भगवा ध्वज होगा। यहीं से संदेश चला गया कि संघ व्यक्ति आधारित नहीं, बल्कि विचार आधारित सांस्कृतिक संगठन बनेगा और विश्व में हिंदू संस्कृति की विजयपताका फहराएगा। आज स्थिति यह है कि देश में मनुष्य को परिवार में मिलने वाले संस्कारों के अलावा राष्ट्रीय संस्कार का शिक्षण कहीं दिया जा रहा है। संघ का प्रमुख उद्देश्य है चरित्र निर्माण करना और मनुष्य को संस्कारवान बनाना। ही नहीं, आज बाल्यकाल से बच्चे अपनी भारतीय संस्कृति में पले-पढ़ें, अध्ययन करें, इसके लिए संघ की प्रेरणा से विद्या भारती के मार्गदर्शन में देशभर में लाखों विद्यार्थी सरस्वती शिशु मंदिर के माध्यम से अध्ययन करते हैं। तरुण विद्यार्थियों के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद है। मजदूरों, कर्मचारियों के बीच, शिक्षकों के बीच काम करने के लिए भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की गई थी। ये सभी संगठन संघ की प्रेरणा, लेकिन अपनी योजना से काम करते हैं। संघ को कोई भी दूर से नहीं समझ सकता। जैसे आंख होते हुए भी लोग कान से राजनीति करते हैं और धोखा खा जाते हैं, वैसे ही संघ को देख कर ही संघ को समझा जा सकता है। संघ के बारे में सुन कर आश्चर्य ही प्रकट कर सकते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, आचार्य विनोबा भावे, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित अगर अभी की बात करें तो भारत रत्न डॉ. प्रणव मुखर्जी ने भी संघ को जब करीब से देखा-समझा तो उनका मन बदला। संघ के कार्य की नींव में आपसी विश्वसनीयता, आत्मीयता, मानवता और भारतीयता के साथ सबसे बड़ी बात है कि स्वयंसेवक जैसे देश की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानता है, वैसे ही स्वयंसेवक पर आई पीड़ा को भी अपने परिवार की पीड़ा मानता है और उसे दूर करने में तन-मन-धन से लग जाता है। संघ का कार्य अपेक्षा के बीज पर खड़ा नहीं हुआ है। स्वयंसेवक के रूप में देखें तो अटल बिहारी वाजपेयी पहले स्वयंसेवक थे, जो देश के प्रधानमंत्री बने और लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री बने। आज तो देश की जनता ने स्थिति ही बदल दी है। देश में संघ के स्वयंसेवक के नाते भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भी पूर्व में प्रचारक रहे। संघ जड़ नहीं है, बल्कि प्रवाहमान संगठन है। संघ के जितने भी अनुषांगिक संगठन हैं, उनमें सभी संगठन आज भारत में शीर्ष के संगठन हैं। संघ का कार्य वैश्विक स्तर पर भी है। विश्व के अनेक राष्ट्रों में शाखा लगती है। राष्ट्रीय सेविका समिति देश की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हुए सबसे बड़ी महिला संस्था है। संघ ऐसा सांस्कृतिक संगठन है जो संघ के स्वयंसेवकों की 'गुरु दक्षिणा' से चलता है। संघ में प्रचारक नाम की एक अद्भुत व्यवस्था है। संघ के कार्य का सबसे मजबूत नैतिक आधार प्रचारक ही होता है। सरल, सामान्य, नैतिकता, प्रामाणिकता और संवेदनशीलता से जुड़ कर मानवता भाव से वह सहज ही संघ का कार्य करता है। संघ नूतनता को आमंत्रित भी करता है और पुरातनता को सम्मान भी देता है।

2 comments:

  1. जय श्री राम। हर हर महादेव।

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    1. जय श्री राम। हर हर महादेव।🌻

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