Pages

Saturday, January 30, 2021

लोकतंत्र से षड्यंत्र।

               तस्वीर स्रोत:-  डीडी न्यूज

इतना शोर मचाकर , राष्ट्रीय ध्वज को जलाकर या नाले फेंककर कोई क्रांतिकारी नहीं हो जाता है। लंबे चौड़े झूठ कपास भाषण देकर अपनी तुलना भगत सिंह से करने वालो को चुल्लू भर में डूब मरना चाहिए। किसान आंदोलन के नाम पर आराजाकता फैलाना,हिंसा और लूटपाट करना कौन सा क्रांतिकारी कदम है? खालिस्तानी नारा लगाना , हवा में तलवार लहराना और लालकिले से तिरंगे का अपमान करना  ये उस विभाजनकारी विचारधारा का प्रतीक है जो भारत को हमेशा के लिए बर्बाद कर देना चाहता है। 
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में जगह-जगह पर हुई किसान हिंसा में पुलिस के 300 से ज्यादा जवान और ऑफिसर घायल हो गए। मंगलवार को मूलतः पंजाब और हरियाणा से जुड़े किसानों ने ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में जमकर बवाल काटा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वालों पर लाठी-डंडों और पत्थरों से प्रहार किए। दिल्ली पुलिस ने संयम दिखाया और धैर्य परिचय दिया वरना बंदूक धारियो को कोई तलवार दिखाकर डरा धमका दे ,और हमले कर दे ना किसी की हिम्मत है ना किसी में दम..! जो हो रहा था उसका जवाब सिर्फ गोली था अगर अराजक तत्वों के खिलाफ गोली चलाने का आदेश दिया जाता तो अगले दिन लाशों की राजनीति होने लगने जाती और इनकी तुलना जलियांवाला बाग़ के शहीदों से होने लग जाती। दिन भी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस का मौका था इनको लोकतंत्र का रक्षक बनाकर महान बना दिया जाता। घड़ियाली आंसू बहाकर आखिर कब तक कोई सच पर पर्दा डाल सकता है? जो है वो सामने खुलकर आएगा ही। भारत सरकार की कार्रवाई में सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है और प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। जल्द से जल्द  से सड़कों पर से उपद्रवियों के भीड़ भाड़ को हटाने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय गांव के लोग भी इन तथाकथित किसानो की हरकतों से परेशान हो गए है और चेतावनी दी है कि वापस लौटकर चले जाए वरना खामियाजा भुगतना पड़ेगा। कई जगहों पर ग्रामीणों और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत भी देखने को मिला है।जाहिर है स्थानीय लोगों भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है फालतू के महीनों के जाम से कौन न परेशान हो जाय।

कई वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों भी कार्रवाई की गई है जो हिंसा वाले दिन लोगो के बीच में भ्रामक फैला रहे थे। एडिटर्स गिल्ड जैसी दो कौड़ी की संस्था इनका समर्थन कर रही है यह कहते हुए कि दर्ज प्राथमिकियों को वापस लिया जाए और आजादी के साथ रिपोर्टिंग की आजदी दी जाए।  कांग्रेस के नेता शशि थरूर पर भी मध्य प्रदेश में एफआईआर दर्ज हुआ है। राकेश टिकैत अपने आप को किसान नेता बनता है पर कर्मो से ये डकैत है!  झूठे आंसू बहाकर ये अपने को बड़ा किसान नेता समझते है और इनका समर्थन करने वाले कहते है की आंसुओ से इन्कलाब आयेगा..! खुद करोड़ों की सम्पत्ति बनाने वाले देखते देखते किसान नेता बन जाते है और कब गरीबों की हक की लड़ाई लड़ने लग जाते है पता ही नहीं चलता है। इनकी तुलना गांधी से होने लगती है और खुद को गांधीवादी कहने लग जाते है पर इनका काम असत्य और हिंसा का सहारा लेकर अपनी राजनीतिक दुकान चलाना है। इनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा ये इन देशविरोधी , देशद्रोहियों की सबसे बड़ी भूल है। 
 


8 comments:

  1. Replies
    1. आपका बहुत धन्यवाद एंव आभार आलोक जी। 🌻

      Delete
  2. बहुत ही यथार्थ पूर्ण समसामयिक लेख लिखा है आपने शिवम जी, लिखते रहिए..सादर शुभकामनायें..मैंने भी 27 को इसी विषय पर एक कविता पोस्ट की है..सादर..जिज्ञासा सिंह..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आपका बहुत ही धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी। हा, आपकी कविता मैंने देख ली है..!

      Delete
  3. बहुत बढ़िया लेख।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत धन्यवाद शांतनु जी।

      Delete
  4. सार्थक विश्लेषण ।

    ReplyDelete