मैं महामहिम राष्ट्रपति महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि माननीय राष्ट्रपति जी ने दोनों सभाओं को संयुक्त रूप से संबोधित किया और विगत वर्ष में जो उल्लेखनीय प्रगति थी, देश से और उसके नागरिकों से जो उनकी अपेक्षा थी, उसे विस्तार से देश के समक्ष रखा देश में कोविड-19 का संकट आया, सभी गतिविधियों पर विराम लगा, अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन उस समय हमारे देश ने जिस अनुशासन का परिचय दिया वह बहुत प्रशंसनीय है। प्रधान मंत्री जी के दृढ़संकल्प और देश की ताकत, दोनों ने मिलकर इस महामारी पर नियंत्रण प्राप्त करने की एक सफलतम कोशिश की है। आज हम यह कह सकते हैं कि इस प्रकार की महामारी से निपटने में भारत पूर्ण रूपेण सक्षम है। वर्तमान परिस्थिति में स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना हम सबके लिए अत्यंत आवश्यक है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि इस बज़ट में स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से 137 प्रतिशत की जो वृद्धि की गई है, वह निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम है। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने देश को देसी वैक्सीन बनाकर उपलब्ध कराई।
इस कारण से निश्चित रूप से भारत की ताकत भी बढ़ी है।
भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है और हमारे वैज्ञानिकों का सम्मान भी बढ़ा है । कोरोना के इस कालखंड में चाहे उस समय दवाइयों को देने का मामला हो या आज वैक्सीन को देने का मामला हो, उसमें भारत दूसरे देशों की भी मदद कर रहा है। यह निश्चित रूप से हम सब भारतीयों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। कई बार हमारे प्रतिपक्ष के विद्वान वक्ताओं की ओर से यह बात आती है कि आप तो यह कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने ही किया है और बाकी पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया है। मैं इस मामले पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ और यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है। नरेन्द्र मोदी जी ने सेंट्रल हॉल के अपने पहले भाषण में, जब उनको पहले कार्यकाल में नेता चुना जा रहा था, उस समय भी और 15 अगस्त को लाल किले से दिए जाने वाले उद्बोधन में भी उन्होंने जोर देकर यह कहा था कि मेरे पूर्व की जितनी सरकारें हैं, उन सब सरकारों का योगदान देश के विकास में रहा है। मुझे सभा को यह बताते हुए प्रसन्नता है कि 15वें वित्त आयोग ने 2,36,850 करोड़ रुपया ग्राम पंचायतों को देने की सिफ़ारिश की है और उसको मंत्री परिषद् ने स्वीकार कर लिया है। मुझे यह बताते हुए भी प्रसन्नता हो रही है कि गत वर्ष पंचायती राज दिवस के अवसर पर हमने प्रधान मंत्री जी से अनुरोध किया और 'स्वामित्व' नामक स्कीम प्रारंभ की, जिसको हम लोगों ने 6 राज्यों में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया और अभी तक इसके अंतर्गत लगभग 1 लाख 47 हज़ार लोगों को मालिकाना हक़ दिया जा चुका है। साथ ही इस बज़ट में वित्त मंत्री जी ने इस योजना को 6 राज्यों के अतिरिक्त अब पूरे देश में प्रभावी कर दिया है और पैसा देना स्वीकार कर लिया है। 'मनरेगा' के संबंध में मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह आपके कार्यकाल में प्रारंभ हुआ किन्तु उस योजना को आगे परिमार्जित हमने किया। केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि मजदूरों का पैसा सीधे उनके खाते में जाए। हमने 'मनरेगा' में भी यह सुनिश्चित किया कि प्रवासी मजदूरों को रोज़गार मिले। इसके अतिरिक्त प्रधान मंत्री जी ने गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' भी संचालित किया जिसके माध्यम से भी रोज़गार के ज्यादा अवसर खुले तथा लोगों को रोजगार मिला। गाँव में भी ग्राम पंचायत का सचिव, रोज़गार सहायक, आशा वर्कर और सेल्फ हैल्प ग्रुप की महिलाओं ने कोविड प्रोटोकॉल का शत-प्रतिशत पालन करवाने में अपनी भूमिका का निर्वाह किया- चाहे वह मास्क बनाने का मामला हो, चाहे सेनिटाइज़र बनाने का मामला हो, उन सबने देश के उस कालखंड के दौरान जो उनकी भूमिका थी, उस भूमिका का निर्वाह सफलतापूर्वक किया है। "प्रधान मंत्री आवास योजना" को दोबारा से परिमार्जित करके बनाया गया, उसका आकार बढ़ाया गया और पैसा बढ़ाया गया।
“उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 8 करोड़ रसोई गैस उपलब्ध कराए, हर घर में शौचालय की उपलब्धता कराई, "सौभाग्य योजना" के अंतर्गत बिजली की उपलब्धता कराई। हम सभी जानते हैं कि कृषि क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है कृषि के क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। किन्तु मैं सभा को यह बताना चाहता हूँ कि इस दिशा में लगातार आशातीत वृद्धि हो रही है। आज हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं। "पी.एम. किसान योजना के माध्यम से हमने 10 करोड़, 75 लाख किसानों को 1 लाख, 15 हज़ार करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में भेजने का काम किया है मैं आपके माध्यम से सदन को और किसानों को भी यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना में पैसे की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत एक लाख करोड़ रुपये की अवसंरचना निधि देने के अलावा मत्स्य-पालन के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 15 हज़ार करोड़ रुपये, हर्बल खेती के लिए 4 हज़ार करोड़ रुपये और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए हैं।
भारत में सौ किसान रेलें प्रारम्भ की गई हैं, जो एक तरह से चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज का काम करती हैं। ये रेलें हर रोज आ-जा रही हैं और इनके माध्यम से किसान अपना उत्पादन एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा रहे हैं। इससे किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिलने में मदद हो रही है। पीएम कृषि उड़ान योजना के अंतर्गत आज त्रिपुरा का अन्नानास दूसरे देशों में पहुंच कर अच्छी कीमत प्राप्त कर रहा है। भारत सरकार और प्रधानमंत्री जी पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार ने 12 बार ससम्मान उन्हें बुलाकर बातचीत की है। यह शंका है कि एपीएमसी खत्म हो जाएगी, तो सरकार इस पर विचार करती। एपीएमसी ख़त्म नहीं होगी। भारत सरकार किसी भी संशोधन के लिए तैयार है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि किसान कानून में कोई गलती है। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी ज़मीन को ले जायेंगे लगभग 20-22 राज्य ऐसे हैं जिनमें कॉट्रेक्ट फार्मिंग के लिए नया ऐक्ट बनाया गया है। पंजाब सरकार के एक्ट में किसान को जेल भेजे जाने का प्रावधान है। खरीद में पारदर्शिता लाने, ई-ट्रांजेक्शन बढ़ाने, किसान को उचित मूल्य दिलाने और इलेक्ट्रॉनिक व्यापार बढ़ाने के लिए 1.000 मंडियों को ई-एनएएम मंडियों के रूप में परिवर्तित किया गया और आगे अब 1,000 और मंडियों को परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है। हमने कोशिश की है कि कृषक की आमदनी दोगुनी हो और खेती का योगदान देश के जीडीपी में तीव्र गति से बढ़े। सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों से किसान के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे। इनसे किसान की आमदनी बढ़ेगी और देश और गाँव आगे बढ़ेंगे। इसी उद्देश्य के साथ मोदी सरकार इस देश में काम कर रही है।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-02-2021) को "विश्व प्रणय सप्ताह" (चर्चा अंक- 3970) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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"विश्व प्रणय सप्ताह" की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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जी आपका बहुत आभार एवं धन्यवाद🌻🙏
Deleteअच्छा लेख है |
ReplyDeleteजी हा।
Deleteकृषि मंत्री ने बड़े अच्छे ढंग से अपनी बात रखी है।आशा है उनकी बात सत्य सिद्ध होगी।
ReplyDeleteबिल्कुल वीरेंद्र जी 🌻
Deleteअच्छी जानकारी दी आपने,आधे-अधूरे ज्ञान पर किसी को सही गलत समझना सही नहीं होता,सादर नमन आपको
ReplyDeleteस्वागत है आपका कामिनी जी।
Deleteसच सिर्फ यही है कि किसान कानून देश को एक बार फिर से गुलामी की ओर लेकर जाएंगे। इसलिए इन कानूनों का रद्द होना बेहद जरूरी है।
ReplyDeleteटिप्पणी के लिए आपका धन्यवाद। ये आपका व्यक्तिगत विचार है यशवन्त जी। बाकी Ends Justifies the Means..!
Deleteअच्छा लेख
ReplyDeleteहा सरिता जी। ये नरेंद्र सिंह तोमर का राज्यसभा का भाषण है..!
Deleteदोनों पक्ष चाहे वह सरकार हो या किसान, दोनों ही किसानों के लिए सोच रहे। किसान कानून एक परिवर्तन लाएगा ये बात सही है, लेकिन परिवर्तन सकारात्मक होंगे या नकारात्मक ये समय और काल ही बता सकता है। किसानों और सरकार दोनों को मिल के एक बैठिकी में अपने सारे भविश कि दिशा और उम्मीदों को साझा करना चाहिए। इस सरकार के भूतपूर्व कार्य भी वह उन्मेदानुसर सफलताा नहीं ला पाए। जैसे नोटबंदी एक बड़ा फैसला ध्यान में आता है।
ReplyDeleteतो मेरा मानना यह है कि आपको हर पहलू को देखना चाहिए दोनों पहलू अपने आप में ठीक हैं।
बिल्कुल सही। आपका बहुत धन्यवाद अपने विचार को रखने के लिए लिए। बाकी आपको मेरा नोटेबंदी को लेकर लेख पढ़ना चाहिए।
Deleteजानकारीपूर्ण लेख |
ReplyDeleteआभार सिद्धरार्थ जी। हमारा हमेशा प्रयास रहता है महत्वपूर्ण लेख और को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करने का।
Deleteअच्छी जानकारी दी आपने
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी।
Deleteभविष्य उज्जवल है लेखनी का ।
ReplyDeleteआपका एक बार फिर से बहुत धन्यवाद एवं आभार अमृता जी। इस ब्लॉग पर आपका सदैव स्वागत है।🌻🙏
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