भारत में इस समय कुंभ चल रहा है। दुनिया भर के लोग यहां पहुंचे छोटे से लेकर बड़े तक। लाखों करोड़ों की भीड़ उत्साह से भरी हुई । इस बीच एक दुखद घटना भी घटी जो कि नहीं घटनी चाहिए थी । इस लेकर बहुत राजनीति भी हुई । वो भी राजनीति करने लगे जिन्होंने कुंभ मेले का प्रबन्धक एक मुस्लिम को बना रखा था जिनके कार्यकाल में भगदड़ मची थी रेलवे का पुल टूटा था और दो लाख से ज्यादा तो गुमशुदा हुए। और भी न जाने क्या क्या हुआ? जिन्हें सैफई महोत्सव से फुरसत नहीं मिला वो क्या कोई धार्मिक आयोजन करवाएंगे होंगे... बस माहौल बिगाड़ने आता है।
आजकल कुकुरमुत्तों की तरह पत्रकार हो गए हैं। जिसे देखो वही माइक कैमरा लेकर पत्रकार बना हुआ है। गिद्ध पत्रकारों जमावड़ा लगा हुआ है जिनका काम सिर्फ कुंभ खिलाफ नकारात्मक प्रचार प्रसार करना है।
जया बच्चन प्रयागराज में नहीं रहती। उत्तर प्रदेश में ही नहीं रहती। गंगा जी में कुंभ मेले में मरे लोगों की लाशें फेंके जाने का कोई साक्ष्य नहीं है। फिर भी जुबान दराजी कर रही हैं और उत्तर प्रदेश को बदनाम कर रही हैं। रामगोपाल यादव ने भी कहा कि लाशों को बालू में दफना दिया गया है अब क्या बोला जाए दो कौड़ी के समाजवादियों को। इनके अध्यक्ष जी खुद फालतू बयान देने में लगे रहते हैं जिससे अराजकता फैलती है।
कांग्रेस बड़े नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि "गंगा में डुबकी लगाने के लिए इन लोगों में कंपीटिनशन लगा रखा है। लेकिन गंगा में स्नान करने से गरीबी दूर होती है क्या, भूखे पेट को रोटी मिलती है क्या? मैं किसी की आस्था पर चोट करना नहीं चाहता। अगर किसी को दुख हुआ तो माफी चाहता हुं। लेकिन हजारों रुपए खर्च करके डुबकियां मार रहे हैं और जब तक टीवी पर अच्छे नहीं आता तबतक डुबकी मारते रहते हैं।"
भाजपा के विरोध में सनातन धर्म एवं संस्कृति का मजाक बनाकर रख दिया है इन लोगों ने जो कही से भी ठीक नहीं है।
तब में और अब में बहुत अंतर है ... आज के समय में निजी और सार्वजनिक दोनों साधन आसानी से उपलब्ध हैं। सड़के चौड़ी और बेहतरीन बन चुकीं हैं जिससे काफी समय बचता है, ट्रेनों में बढ़ोतरी हुई है कई सारी चल रही हैं पहले के मुकाबले, जहां एक लेन की पटरी थी दो लेन हो चुकी है। पहले लोगों को सोचना पड़ता था आने जाने में अब नहीं सोचता है कोई भी। लोगों के पास जब मोबाइल फोंस आए हैं सबकुछ आसान सा हो चुका है। ऐसा नहीं है कि सब पहले बहुत ज्यादा अमीर और पैसे वाले हो चुके हैं पर लोगों का थोड़ा बहुत लाइफ स्टैंडर्ड तो बढ़ा ही है..लोग अपने निजी वाहनों से निकल ले रहे हैं।
सोशल मीडिया पर फोटो वीडियो सबको डालने का शौक है ... खास मौके का सब इंतजार करते हैं.. कुंभ तो बहुत बड़ा मौका है। जमकर प्रचार प्रसार हुआ है खासकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का बहुत बड़ा योगदान है। वैसे इससे पहले भी लोग आते ही थे लेकिन इतने बड़े स्तर पर कभी नहीं।
व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार और प्रशासन की बनती है। इस आधुनिकता के दौर में तमाम तरह के भ्रामक खबरों को लेकर एक्शन लेना सरकार का काम है और किसी भी तरह की हुड़दंगई ना हो ये भी सुनिश्चित करना सरकार का काम है। आप इससे पीछे नहीं हट सकते हैं। प्रशंसा होगा तो आलोचना भी होगा।
पुरा भारत एक ही विशेष दिन कुंभ नहाले ये भी संभव नहीं है । लगभग सभी अपने गांवों शहरों से इक्कठे निकल ले रहे हैं। नियंत्रित करना आसान नहीं है पर अराजकता रोकना शासन प्रशासन का काम है। कुछ लोग भगदड़ में मरने वालों को कह रहे हैं उन्हें मोक्ष मिला है तो थोड़ा वाणी पर संयम रखे। कोई वहां मरने नहीं गया था। अब सबकुछ बढ़िया से निकले यही सब चाहते हैं। व्यस्था में थोड़ी चूक हुई लेकिन समय रहते सब संभाल लिया गया। ढंग से जांच होना बनता है जैसा प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया है ।
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