सबसे पहले मैं संक्षेप में चाईना के साथ हमारेBoundary issue के बारे में बताना चाहता हॅू। जैसा कि सदन इस बात से अवगत है कि भारत एवं चाईना का सीमा का प्रश्न (Boundaryquestion) अभी तक unresolved है। भारत और China की Boundary का customary और traditional alignment,China नहीं मानता है ।हम यह मानते हैं, कि यहalignment, well-established भौगोलिक सिद्धांतों पर आधारित है, जिसकी पुष्टि न केवल treaties और agreements द्वारा, बल्किhistoric usage औरpractices द्वारा भी हुई है। इससे दोनों देश सदियों से अवगत हैं।जबकि चाईना यह मानता है कि boundary अभी भी औपचारिक रूप से निर्धारित नहीं है। साथ ही चाईना यह भी मानता है कि historical jurisdiction के आधार पर जो traditional, customary lineहै, उसके बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देश,1950 एवं 1960 के दशक में इस पर बातचीत कर रहे थे, परन्तु इस पर mutually acceptable समाधान नहीं निकल पाया।
जैसा कि यह सदन अवगत है चाईना, भारत की लगभग 38,000square km भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है। इसके अलावा,1963 में एक तथाकथित Boundary-Agreement के तहत, पाकिस्तान नेPoKकी 5180square km भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है। चाईना, अरूणाचल प्रदेश की सीमा से लगे हुए लगभग 90,000square km भारतीय क्षेत्र को भी अपना बताता है। भारत तथा चाईना, दोनों ने, औपचारिक तौर पर यह माना है कि सीमा का प्रश्न (Boundaryquestion)एक जटिल मुद्दा है जिसके समाधान के लिए patience की आवश्यकता है तथा इस issue का fair, reasonable और mutually acceptable समाधान, शांतिपूर्ण बातचीत के द्वारा निकाला जाए। अंतरिम रूप से दोनों पक्षों ने यह मान लिया है कि सीमा पर peace और tranquillityबहाल रखना bilateral relationsको बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि अभी तक India-China के border areas में commonly delineated Line of Actual Control (LAC) नहीं है और LAC को लेकर दोनों का perception अलग-अलग है। इसलिए peace और tranquillity बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के agreementsऔर protocolsहैं।
इन समझौतों के तहत दोनों देशों ने यह माना है कि LAC पर peace और tranquillity बहाल रखी जाएगी, जिसपर LAC की अपनी-अपनीrespective positions और boundary questionका कोई असर नहीं माना जाएगा। इस आधार पर वर्ष 1988 के बाद से दोनों देशों के bilateral relationsमें काफी विकास हुआ। भारत का मानना हैकि,bilateral relations को विकसित किया जा सकता है, तथा साथ ही साथ boundary मुद्दे के समाधान के बारे में चर्चा भी की जा सकती है। परन्तु LAC पर peace और tranquillity में किसी भी प्रकार की गम्भीर स्थिति का bilateral relations पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा।
वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र हैकि LAC के पास, दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भीहै, कि जबतक boundaryissueका पूर्णसमाधान नहीं होता है, तबतक LACको strictly respect और adhere किया जाएगा और उसका उल्लंघन नहीं किया जाएगा । इन समझौतों में भारत व चाईना, LACके clarification द्वारा एक common understanding पर पहुचने के लिए भी committed हुए थे | इसके आधार पर 1990 से 2003 तक दोनों देशों द्वारा LAC पर एक common understanding बनाने की कोशिश की गई लेकिन इसके बाद चाईना ने इस कार्यवाही को आगे बढ़ाने पर सहमति नहीं जताई । इसके कारण कई जगहों पर China तथा भारत के बीच LAC perceptions में overlap है | इन क्षेत्रों में तथा border के कुछ अन्य इलाकों में दूसरे समझौतों के आधार पर दोनों की सेनाएं face-offआदि की स्थिति का समाधान निकालती हैं,जिससे कि शांति कायम रहे।
इससे पहले कि मैं सदन को वर्तमान स्थिति के बारे में बताऊॅं, मैं यह बताना चाहता हॅूं कि सरकार की विभिन्न intelligence agencies के बीच coordination का एक elaborate और time tested mechanism है जिसमें Central Police Forces और तीनों armed forces की intelligence agencies शामिल हैं | Technicalऔर human intelligence को लगातार coordinated तरीके से इकट्ठा किया जाता है, तथा armed forces से उनके decision making के लिए share किया जाता है।
अब मैं सदन को इस साल उत्पन्न परिस्थितियों से अवगत कराना चाहता हॅूं। अप्रैल माह से Eastern Ladakhकी सीमा पर चाईना की सेनाओं की संख्या तथा उनके armaments में वृद्धिदेखी गई। मई महीने कीके प्रारंभ में चाईना ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारी troopsकेnormal, traditional patrolling pattern में व्यवधान शुरू किया जिसके कारण face-offकी स्तिथि उत्पन्न हुई । Ground Commanders `द्वारा इस समस्या को सुलझाने के लिए विभिन्न समझौतों तथा protocol के तहत वार्ता की जा रही थी, कि इसी बीच मई महीने के मध्य में चाईना द्वारा western sector में कई स्थानों पर LAC पर transgression करने की कोशिश की गई। इनमें Kongka La, Gogra and Pangong Lakeका North Bank शामिल है। इस कोशिशों को हमारी सेनाओं ने समय पर देख लिया तथा उसके लिए आवश्यक जवाबी कार्यवाही की।
हमने चाईना को diplomatic तथा military channels के माध्यम से यह अवगत करा दिया, कि इस प्रकार की गतिविधियाँ, status quoको unilaterally बदलने का प्रयास है। यह भी साफ कर दिया गया कि ये प्रयास हमें किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।
LACके ऊपर friction बढ़ता हुआ देख कर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की, तथा इस बात पर सहमति बनी कि reciprocal actionsके द्वारा disengagement किया जाए। दोनो पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि LAC को माना जाएगा तथा कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी, जिससे status-quoबदले। किन्तु इस सहमति के violation में चीन द्वारा एक violent face off की स्थिति 15 जून को गलवान में create की गई। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे।
इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने, जहाँ संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा तथा जहाँ शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य प्रदर्शित किया। मै सदन से यह अनुरोध करता हूँ कि हमारे दिलेरों की वीरता एवं बहादुरी की भूरि-भूरि प्रशंसा करने में मेरा साथ दें। हमारे बहादुर जवान अत्यंत मुश्किल परिस्थतियों में अपने अथक प्रयास से समस्त देशवासियों को सुरक्षित रख रहे हैं।
एक ओर किसी को भी हमारे सीमा की सुरक्षा के प्रति हमारे determination के बारे में संदेह नहीं होना चाहिए, वहीँभारत यह भीमानता है कि पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंधों के लिए आपसी सम्मान और आपसी sensitivity आवश्यक हैं। चूंकि हम मौजूदा स्थिति का dialogueके जरिए समाधान चाहते हैं, हमने Chinese sideके साथ diplomatic और military engagement बनाए रखाहै। इन discussions में तीन key principles हमारी approachको तय करते हैंः (i)दोनों पक्षों को LACका सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए; (ii) किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए; और (iii)दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों और understandings का पूर्णतया पालन होना चाहिए। Chinese sideकी यह position है कि , स्थिति को एक जिम्मेदार ढंग से handled किया जाना चाहिए और द्विपक्षीय समझौतों एवं protocolके अनुसार शांति एवं सद्भाव सुनिश्चिित किया जाना चाहिए।
जबकि ये discussions चल ही रहे थे, चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को provocative सैनिक कार्रवाई की गई, जो Pangong Lakeके South Bank area में status quo को बदलने का प्रयास था। लेकिन एक बार फिर हमारी armed forces द्वारा timely और firm actionsके कारण उनके ये प्रयास सफल नहीं हुए।
जैसा कि उपर्युक्त घटनाक्रम से स्पष्ट है, चीन की कार्रवाई से हमारे विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के प्रति उसका disregard दिखता है। चीन द्वारा troops की भारी मात्रा में तैनाती किया जाना 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन है। LAC का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है, और इसे 1993 एवं 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है। जबकि हमारी armed forcesइसका पूरी तरह पालन करती हैं, Chinese sideकी ओर से ऐसा नहीं हुआ है। उनकी कार्रवाई के कारण LACके आसपास समय- समयपर face-offsऔर frictions पैदा हुए हैं। जैसा कि मैंने पहले भी उल्लेख किया, इन समझौतों में face-offsकी स्थिति से निपटने के लिए विस्तृत procedures और normsनिर्धारितहैं। तथापि, इस वर्ष हाल की घटनाओं में Chinese forces का violent conduct सभी mutually agreed normsका पूर्णतया उल्लंघन है।
अभी की स्थिति के अनुसार, Chinese side ने LAC और अंदरूनी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सैनिक टुकड़ियां और गोलाबारूद mobilize किआ हुआ है। पूर्वी लद्दाख और Gogra, Kongka La और Pangong Lake का North और South Banks पर कई friction areas हैं। चीन की कार्रवाई के जवाब में हमारी armed forces ने भी इन क्षेत्रों में उपयुक्त counter deployments किए हैं ताकि भारत के security interests पूरी तरह सुरक्षित रहे। अध्यक्ष महोदय, सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी armed forces इस चुनौती का सफलता से सामना करेंगी, और इसके लिए हमें उनपर गर्व है। अभी जो स्थिति बनी हुई है उसमें sensitive operational issues शामिल है। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा ब्यौरा का खुलासा नहीं करना चाहॅूंगा और, मैं आश्वस्त हॅूं, यह सदन इस sensitivity को समझेगा।
Covid-19 के challenging समय में, हमारी armed forces और ITBP की तेजी से deployment हुई है। उनके प्रयासों को appreciate किए जाने की जरूरत है। यह इसलिए भी संभव हुआ है, क्योंकि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में border infrastructure के विकास को काफी अहमियत दी है। सदन को जानकारी है कि पिछले कई दशकों में चीन ने बड़े पैमाने पर infrastructure activity शुरू की है, जिनसे border areas में उनकी deployment क्षमता बढ़ी है।इसके जबाव में हमारी सरकार ने भी border infrastructure विकास के लिए बजट बढ़ाया है, जो पहले से लगभग दुगुना हुआ है। इसके फलस्वरूप border areas में काफी roads और bridges बने हैं। इससे न केवल local population को जरूरी connectivity मिली है, बल्कि हमारी armed forces को बेहतर logistical support भी मिला है। इसके कारण वे border areas में अधिक alert रह सकते हैं, और जरूरत पड़ने पर बेहतर जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। आने वाले समय में भी सरकार इस उद्देश्य के प्रति committed रहेगी।
Honorable Speaker,
मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि भारत हमारे border areas में मौजूदा मुद्दों का हल, शांतिपूर्ण बातचीत और consultation के जरिए किए जाने के प्रति committed है। इस उद्देश्य को पाने के लिएमैं अपने Chinese counterpart से 4 सितंबर को Moscow में मिला और उनसे हमारीin-depth discussion हुई। मैंने स्पष्ट तरीके से हमारी चिन्ताओं को चीनी पक्ष के समक्ष रखा, जो उनकी बड़ी संख्या में troops की तैनाती, aggressive behaviour और unilaterally status quo बदलने की कोशिश, (जो bilateral agreements के उल्लंघन) से सम्बंधित थाI मैंने यह भी स्पष्ट किया, कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करेंIवहीं हमने यह भी स्ष्ट कर दिया कि हम भारत की sovereignty और territorial integrity की रक्षा के लिए पूरी तरह से determined हैं। इसके बाद मेरे colleague विदेश मंत्री श्री जयशंकर जी भी 10 सितंबर को Moscow में Chinese विदेश मंत्री से मिले । दोनों एक agreement पर पहुंचे कि यदि Chinese side द्वारा sincerely और faithfully agreement को implement किया जाता है तो complete disengagement प्राप्त किया जा सकता है, और border areas में शांति स्थापित हो सकती है।
जैसे कि सदस्यों को जानकारी है, बीते समय में भी चीन के साथ हमारे border areas में लम्बे stand-offs की स्थिति कई बार बनी है जिसका शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया गया था। हालांकि, इस वर्ष की स्थिति, चाहे वो troops की scale of involvement हो या friction points की संख्या हो, वह पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति committed हैं। इसके साथ-साथ मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हॅूं कि हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं।
अध्यक्ष महोदय, इस सदन की एक गौरवशाली परम्परा रही है, कि जब भी देश के समक्ष कोई बड़ी चुनौती आयी है तो इस सदन ने भारतीय सेनाओं की दृढ़ता और संकल्प के प्रति अपनी पूरी एकता और भरोसा दिखाया है। साथ ही, सीमा क्षेत्र में तैनात अपने बहादुर सेना के जवानों के शौर्य, पराक्रम, और सीमा की सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर पूरा विश्वास व्यक्त किया है।
मैं आपको यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे armed forces के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है। माननीय प्रधानमंत्री जी के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं। उनके लिए बर्फीली ऊॅंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का specialised tent तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हमारे जवानों की यह प्रतिज्ञा सराहनीय है I दुर्गम ऊॅंचाइयों पर, जहां आक्सीजन की कमी है, तथा तापमान शून्य से नीचे है, उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आती है, और वे सियाचीन, कारगिल आदि ऊॅंचाइयों पर अपना कर्तव्य इतने वर्षों से निभाते आ रहे हैं।
मुझे इस गौरवमयी सदन के साथ यह साझा करने में कतई संकोच नहीं है कि लद्दाख में हम एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं, और मैं इस सदन से यह आग्रह करना चाहता हॅूं कि हमें एक resolution पारित करना चाहिए कि हम अपने वीर जवानों के साथ कदम-से-कदम मिलाकर खड़े हैं, जो कि अपनी जान की बगैर परवाह किए हुए देश की चोटियों की उचाईयों पर विषम परिस्थितियों के बावजूद भारत माता की रक्षा कर रहे हैं। यह समय है जब यह सदन अपने सशस्त्र सेनाओं के साहस और वीरता पर पूर्ण विश्वास जताते हुए उनको यह संदेश भेजे कि यह सदन और सारा देश सशस्त्र सेनाओं के साथ है जो भारत की संप्रभुता एवं सम्मान की रक्षा में जुटे हुए हैं।