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Friday, May 14, 2021

लाशों पर पत्रकारिता

आजकल बड़ा सुर्खिया बटोर रही है अनगिनत अनजान लाशे। कुछ तो माइक और लेकर बैठ जा रहे है श्मशान घाट पर फिर होता लाइव कवरेज जलती हुई लाशों का। देश विकट परिस्थितियों से जूझ रहा और ये मनहूसियत फैला रहे है अपने खूनी खबरों से। कुछ लोग कह रहे है सत्य दिखाना गलत है क्या? नही सत्य दिखाना गलत नही है पर किसी अनजान व्यक्ति के लाश को दिखाना कितना सही है? क्या ये अपमान नही है? श्मशान घाट पर रोज लाश जलती है लोग विभिन्न कारणों से अपने प्राण गवा देते है। जितना जीवन सत्य है उतना मृत्यु भी इस बात कोई झुठला नहीं सकता है। लेकिन असल मुद्दा तो ये है कि आजकल लोग वुहान वायरस से मर रहे है। सरकार को बदनाम करने के लिए लाशों को फुटेज मिल रहा है भले ही देश का नाम खराब हो इन तथाकथित लोगो कि पत्रकारिता चलनी चाहिए।

देखा जाए तो विदेशो में भारत से ज्यादा लोगो की मृत्यु हुई है इस वुहान वायरस से। अमेरिका को ही ले लीजिए उसकी स्थिति देखिए आपको खुद पता चल जायेगा कितनी भयावह स्थिति हो गई है पर वहा की मीडिया क्या अपने आम जनता की लाशों कवरेज दे रही है? अमेरिका छोड़िए यूरोप का ही उदारहरण ले लीजिए। एक तरह से अपना एजेंडा ही चला रहे है ये लोग इनका काम सिर्फ और सिर्फ भारत की छवि बिगाड़नी है। मोदी घृणा में ये कुछ भी करने को तैयार है।विपक्षी दलों नेता वैक्सीन न लगवाने का अपील कर रहे थे कुछ दिन पहिले तक। कुछ नेता तो वैक्सीन लगवाने से नपुंसक हो रहे थे। अब क्या हो रहा है ? अब लाशों का  ढिढोरा पीटा जा रहा है की सरकार गलत कदमों की वजह से मौतें हो रही है। वैक्सीन का उत्पादन क्यों नही हो रहा है? ऑक्सीजन को लेकर भी लोग बवाल खड़ा किए थे।

अब तो गंगा में लाशों के प्रवाह कि खबरे आना शुरू हो गई है। मानो ये घटना लिबरल मीडिया के लिए वरदान साबित हुई है। अब भारत की छवि और धूमिल करेंगे ये तथाकथित पत्रकार। निश्चिंत ही ये सरकारों की जवाबदेही है की आखिर लोग लाश को जल में प्रवाहित क्यों कर रहे है? क्या मामला है की दाह संस्कार करने वाले जगहों पर जल प्रवाह किया जा रहा है? कोरोना संक्रमित लाशो के लोग नजदीक नही चाहते है कही संक्रमण फैल ना जाय पर इसका मतलब ये भी नही की उस मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी ढंग से ना हो। किसी का भी परिवार हो चाहे निर्धन असहाय ही क्यों ना हो वो अपने जिगर के टुकड़े का शव क्षत- विक्षत तो नही होने देगा। कुंठित मानसिकता वालो का कुछ कहा नहीं जा सकता उनके लिए अपने जान और माल से बढ़कर कुछ भी नही हैं भले उनका पुत्र उनके सामने क्यों ना दम तोड़ दे। कोई तो पिता की लाश ही नही लेने जा रहा है मजबूरी में अस्पलताल वाले लाश को सामाजिक संस्थाओं के हवाले कर दे रहे है। गंगा में शव बहाना कोई आज की परंपरा नहीं है बहुत पुरानी है पर जल प्रदूषण के रोकथाम के लिए इसपर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है। जो श्मशान में बैठकर लाइव कवरेज दे सकता है मानो पिकनिक मन रहा हो उनके लिए तो ये बहती गंगा में लाशे किसी अमृत से कम थोड़ी है !

22 comments:

  1. बहुत सटीक और विचारोत्तेजक लेख।
    ऐसी ही स्थिति है ।

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  2. बहुत ही सटीक विश्लेषण

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  3. बिल्कुल सटीक बात शिवम जी, ऐसी मानसिकता वाले लोग देश को बदनाम करने में लगे रहते हैं,इनका बहिष्कार होने ही चाहिए ।

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    1. जिज्ञासा जी
      आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार महत्वपूर्ण टिप्पणी के लिए। बिल्कुल करना चाहिए बहिष्कार और सरकार को भी चाहिए की सख्त कार्रवाई करे इन तथाकथित पत्रकारों पर।

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  4. यहाँ के पत्रकारों ने देश का बहुत नुकसान किया है।

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    1. सहमत नीतीश जी आपसे।
      स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

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  5. जो श्मशान में बैठकर लाइव कवरेज दे सकता है मानो पिकनिक मन रहा हो उनके लिए तो ये बहती गंगा में लाशे किसी अमृत से कम थोड़ी है ----आज भी तो "वो" गंगा पहुंची हैं

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    1. हा,ट्विटर पर वीडियो डाला है। गिद्धों का काम ही क्या है?

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    1. ब्लॉग को फॉलो भी कर दो की बस प्रचार प्रसार करने के लिए ही आते है आप लोग।

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    2. आपका बहुत आभार आलोक जी।🌻

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  7. maaf keejiyega lekin aap tathyon ka vishleshan karne ki bajay madhyam ki alochna kar rahe hain ..

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    1. धन्यवाद आपका वर्षा जी आपने अपना विचार रखा। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

      तथ्यों की परवाह इन तथाकथित पत्रकारों ने कब की है जिनका जीवन बर्बाद लगने लगा था कि तब तक कोरोना की दूसरी लहर आ गई। सूखे जीवन में फिर से बरखा हुई और फिर से जीवन हरा-भरा हो गया है।

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  8. बहुत ही सटीक एवं विचारणीय लेख।

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार सुधा जी।🌻

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  9. स्थिति विचारणीय है

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    1. आपका बहुत आभार प्रीति जी।
      स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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