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Tuesday, May 18, 2021

तथाकथित एजेंडो का पिटारा "टूलकिट"

आज बहुत बढ़िया बारिश हुई मानो बहुत दिनों बाद सुकून मिला हो। तीन चार दिन से उमस भरी गर्मी ने हाल बेहाल कर दिया था। इस लॉकडाउन में घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नही। सबकुछ रुक सा गया है। पढ़ाई लिखाई तो एक तरह से बर्बाद ही हो चुकी है। इस वुहान वायरस ने झकझोर कर रख दिया है। कुछ तथाकथित न्यूज मीडिया वाले भी कम नही है इसको "इंडियन वेरिएंट" नाम से प्रचारित कर रहे है। बताइए भला जिसकी उत्पत्ति चीन में हुई हो उसे इंडियन वेरिएंट कहना कहा तक ठीक है? बात यही तक नही रह जाती कोई इस कोरोना वायरस को वुहान वायरस कह देता है तो उल्टा उसपर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।
लाशों की तलाश में निकले पत्रकार आजकल चमक रहे है। सोशल मीडिया के माध्यम से उलूल-जुलूल तथ्यों को लोगो के सामने परोस रहे है। दूसरी लहर ने इनके सूखे जीवन में बरखा कर दी और फिर से जीवन हरा-भरा हो गया है। कुछ मिल भी नही रहा था एजेंडा चलाने के लिए कुछ नही तो यही सही। अब श्मशान घाट के मुर्दे तो बोलेंगे नही कोई तो चाहिए न जो इनकी आवाज बने। पिछले साल करोड़ों भारत में लोग मर रहे थे इनके अनुसार इस बार कुछ नही तो बीस-पच्चीस लाख तो ये मार ही दिए होंगे अपने जादुई आंकड़े का हवाला देकर। देखिए क्या क्या करते है ये लोग इनको ऐसे ही थोड़ी न विदेशियों द्वारा "कोरोना पत्रकार" के टाइटल से नवाजा जा रहा है। 

अफवाह फैलाया जा रहा है की सरकार वुहान वायरस से मरने वालों के आंकड़ों को छिपा रही है। अगर सरकार को छिपाना होता चार हजार से ज्यादा लोगो की मृत्यु हो रही इसे ही न छिपा देती। लाशों को समुद्र या सागर में फेंक दिया जाता जल जीवो का आहार बनने के लिए किसी को खबर ही नहीं लगती। लाशों का तमाशा करके रोजी रोटी चलाया जा रहा है इसके विरोध में बोल दो तो "डर का माहौल है" अब कोई आजाद देश में  पत्रकारिता भी नही कर सकता क्या? पत्रकारों की आजादी छीनी जा रही है!  नकारात्मक खबर दिखाकर वाहा-वाही लूटी जा रही है दुनिया भर से कि "अरे देखो कितना बेहतरीन पत्रकार है सत्य को दिखा रहा है!" 
अफवाह क्या सरासर झूठ बोला जा रहा है इन तथाकथित पत्रकारों द्वारा। गांव समाज से  जुड़ा हुआ  व्यक्ति देखेगा इसको टेलीविजन या सोशल मीडिया पर वो यहीं मानेगा न की इतने बड़े पत्रकार है झूठ थोड़ी बोलेंगे। कुछ नही सब वामपंथी, तथाकथित लिबरलो का एजेंडा है।

कांग्रेसियों का तो टूलकिट वायरल हो रहा है सोशल मीडिया पर जैसे किसान आंदोलन में विदेशी लड़की ग्रेटा थर्नबर्ग का हुआ था। टूलकिट एक माध्यम बन गया है भारत विरोधी एजेंडा चलाने का। भाजपा नेताओं का कहना है कि ये वो दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कॉन्ग्रेस ने अपने नेताओं को कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुम्भ मेला को बदनाम करने के तरीके समझाए हैं। ये टूलकिट दिखाता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी किस तरह एक महामारी के वक़्त भी राजनीति का घिनौना खेल खेलने से बाज़ नहीं आती है।इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और देश की संस्कृति को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। ईद की भीड़ पर चुप रहने के विशेष निर्देश भी दिए गए हैं। कॉन्ग्रेस के ‘माननियों’ द्वारा इसमें अपने आईटी सेल को ईद और कुम्भ की तुलना करने से बचने की भी सलाह दी गई है।
टूलकिट में कार्यकर्ताओं से आस-पास के अंतिम संस्कार स्थलों से ‘शवों और अंत्येष्टि की तस्वीरों का नाटकीय रूप से उपयोग’ करने के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा, स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं को अस्पतालों में बेड ‘रोकने’ के सुझाव दिए गए हैं, जिसे कॉन्ग्रेस के इशारे पर ही मरीजों को दिया जाएगा। टूलकिट में गुजरात को कोविड के खिलाफ लड़ाई में असफल राज्य बताने के साथ ही कॉन्ग्रेस नेताओं को PM CARES पर भी सवाल उठाने का निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नही कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों के ‘मित्र पत्रकारों’ से कोरोना के नए स्ट्रेन को ‘इंडियन स्ट्रेन’ लिखवाने के निर्देश दिए गए है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हो और इसका नतीजा मोदी को चुनाव में उठाना पड़े।
इन सब से एक बात समझ में तो आही गई होगी की कौन कितना बड़ा दूध का धुला हुआ है। खैर गिद्धों का काम ही क्या है? 

12 comments:

  1. राष्ट्रहित की अवहेलना किंचित नहीं होनी चाहिए।

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    1. बिलकुल सही कहा अपने। स्वागत है सर आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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  2. All of your points are very authentic and catchy! here

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  3. इन तथाकथित लोग पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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    1. सहमत हु आपसे। प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।

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  4. ऐसे जयचंदों को जो देश को अपना न समझे, उन्हें देश निकाला दे देना चाहिए

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने कविता जी। आपका बहुत आभार टिप्पणी करने लिए।

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  5. अच्छा पेज है आपका, बधाई।

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार विवेक जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

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  6. वामपंथीयो और कांग्रेसियो ने तो भसड़ मचाकर रख दिया है। बंगाल में तो साफ हो गए। आने वाले समय में बचे खुचे जगहों पर भी नामो निशान नही बचेगा। ये तथाकथित पत्रकार इनका हाल धोबी के कुत्ते की तरह होगा।

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    1. सहमत रजत जी। इस वक्त देखा जाय तो ये सोशल मीडिया पर फेक नैरेटिव सेट कर रहे है और अपनी योजनाओं में कामयाब हुए है। जरूरत है इस वक्त की सरकार को सोशल मीडिया पर सख्त कार्रवाई करने की।

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