लाशों की तलाश में निकले पत्रकार आजकल चमक रहे है। सोशल मीडिया के माध्यम से उलूल-जुलूल तथ्यों को लोगो के सामने परोस रहे है। दूसरी लहर ने इनके सूखे जीवन में बरखा कर दी और फिर से जीवन हरा-भरा हो गया है। कुछ मिल भी नही रहा था एजेंडा चलाने के लिए कुछ नही तो यही सही। अब श्मशान घाट के मुर्दे तो बोलेंगे नही कोई तो चाहिए न जो इनकी आवाज बने। पिछले साल करोड़ों भारत में लोग मर रहे थे इनके अनुसार इस बार कुछ नही तो बीस-पच्चीस लाख तो ये मार ही दिए होंगे अपने जादुई आंकड़े का हवाला देकर। देखिए क्या क्या करते है ये लोग इनको ऐसे ही थोड़ी न विदेशियों द्वारा "कोरोना पत्रकार" के टाइटल से नवाजा जा रहा है।
अफवाह फैलाया जा रहा है की सरकार वुहान वायरस से मरने वालों के आंकड़ों को छिपा रही है। अगर सरकार को छिपाना होता चार हजार से ज्यादा लोगो की मृत्यु हो रही इसे ही न छिपा देती। लाशों को समुद्र या सागर में फेंक दिया जाता जल जीवो का आहार बनने के लिए किसी को खबर ही नहीं लगती। लाशों का तमाशा करके रोजी रोटी चलाया जा रहा है इसके विरोध में बोल दो तो "डर का माहौल है" अब कोई आजाद देश में पत्रकारिता भी नही कर सकता क्या? पत्रकारों की आजादी छीनी जा रही है! नकारात्मक खबर दिखाकर वाहा-वाही लूटी जा रही है दुनिया भर से कि "अरे देखो कितना बेहतरीन पत्रकार है सत्य को दिखा रहा है!"
अफवाह क्या सरासर झूठ बोला जा रहा है इन तथाकथित पत्रकारों द्वारा। गांव समाज से जुड़ा हुआ व्यक्ति देखेगा इसको टेलीविजन या सोशल मीडिया पर वो यहीं मानेगा न की इतने बड़े पत्रकार है झूठ थोड़ी बोलेंगे। कुछ नही सब वामपंथी, तथाकथित लिबरलो का एजेंडा है।
कांग्रेसियों का तो टूलकिट वायरल हो रहा है सोशल मीडिया पर जैसे किसान आंदोलन में विदेशी लड़की ग्रेटा थर्नबर्ग का हुआ था। टूलकिट एक माध्यम बन गया है भारत विरोधी एजेंडा चलाने का। भाजपा नेताओं का कहना है कि ये वो दस्तावेज है, जिसके माध्यम से कॉन्ग्रेस ने अपने नेताओं को कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुम्भ मेला को बदनाम करने के तरीके समझाए हैं। ये टूलकिट दिखाता है कि कॉन्ग्रेस पार्टी किस तरह एक महामारी के वक़्त भी राजनीति का घिनौना खेल खेलने से बाज़ नहीं आती है।इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और देश की संस्कृति को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। ईद की भीड़ पर चुप रहने के विशेष निर्देश भी दिए गए हैं। कॉन्ग्रेस के ‘माननियों’ द्वारा इसमें अपने आईटी सेल को ईद और कुम्भ की तुलना करने से बचने की भी सलाह दी गई है।
टूलकिट में कार्यकर्ताओं से आस-पास के अंतिम संस्कार स्थलों से ‘शवों और अंत्येष्टि की तस्वीरों का नाटकीय रूप से उपयोग’ करने के लिए भी कहा गया है। इसके अलावा, स्थानीय कॉन्ग्रेस नेताओं को अस्पतालों में बेड ‘रोकने’ के सुझाव दिए गए हैं, जिसे कॉन्ग्रेस के इशारे पर ही मरीजों को दिया जाएगा। टूलकिट में गुजरात को कोविड के खिलाफ लड़ाई में असफल राज्य बताने के साथ ही कॉन्ग्रेस नेताओं को PM CARES पर भी सवाल उठाने का निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नही कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों के ‘मित्र पत्रकारों’ से कोरोना के नए स्ट्रेन को ‘इंडियन स्ट्रेन’ लिखवाने के निर्देश दिए गए है ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हो और इसका नतीजा मोदी को चुनाव में उठाना पड़े।
इन सब से एक बात समझ में तो आही गई होगी की कौन कितना बड़ा दूध का धुला हुआ है। खैर गिद्धों का काम ही क्या है?
राष्ट्रहित की अवहेलना किंचित नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा अपने। स्वागत है सर आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻
DeleteAll of your points are very authentic and catchy! here
ReplyDeleteThank you Sakshi ji.
DeleteWelcome to Rashtrachintak Blog.
इन तथाकथित लोग पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ReplyDeleteसहमत हु आपसे। प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।
Deleteऐसे जयचंदों को जो देश को अपना न समझे, उन्हें देश निकाला दे देना चाहिए
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने कविता जी। आपका बहुत आभार टिप्पणी करने लिए।
Deleteअच्छा पेज है आपका, बधाई।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद एवं आभार विवेक जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।
Deleteवामपंथीयो और कांग्रेसियो ने तो भसड़ मचाकर रख दिया है। बंगाल में तो साफ हो गए। आने वाले समय में बचे खुचे जगहों पर भी नामो निशान नही बचेगा। ये तथाकथित पत्रकार इनका हाल धोबी के कुत्ते की तरह होगा।
ReplyDeleteसहमत रजत जी। इस वक्त देखा जाय तो ये सोशल मीडिया पर फेक नैरेटिव सेट कर रहे है और अपनी योजनाओं में कामयाब हुए है। जरूरत है इस वक्त की सरकार को सोशल मीडिया पर सख्त कार्रवाई करने की।
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