देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को भी इन तथाकथित लोगो ने नही छोड़ा। जब पूरी दुनिया इस महामारी से जूझ रही है तब यही भारत देश के वैज्ञानिकों और चिकित्सको ने मोर्चा संभाला है कोई राजनीतिक दल का कार्यकर्ता इलाज नही कर रहा है। दो चार बैनर और पोस्टर लगाकर समाजवाद का नारा देने वाले लोगो के रगो में जातिवाद का जहर दौड़ता हैं। तभी तो वैक्सीन को लेकर तपाक से बोले पड़े "बीजेपी वैक्सीन लगाएगी उसका भरोसा करू मैं ? अपनी सरकार आएगी सबको मुफ्त में वैक्सीन लगेगी। हम बीजेपी का वैक्सीन नही लगवा रहे है।" भला बताओ जरा ये उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके है बाते मूर्खो वाली करते है।
खैर बाप ही के पास बेटे का इलाज है। पूर्व रक्षा मुलायम सिंह यादव ने टीका लगवा लिया हैं और अपने पुत्र को ये संदेश दिया है कि टीका लगवा लो जिंदा रहे तो बहुत राजनीति होगी। बाप के टीका लगवाने और प्रधानमंत्री के भाषण के बाद फिर इसपर साहब का बयान आया की- "जनाक्रोश को देखते हुए आख़िरकार सरकार ने कोरोना के टीके के राजनीतिकरण की जगह ये घोषणा करी कि वो टीके लगवाएगी। हम भाजपा के टीके के ख़िलाफ़ थे पर 'भारत सरकार' के टीके का स्वागत करते हुए हम भी टीका लगवाएंगे व टीके की कमी से जो लोग लगवा नहीं सके थे उनसे भी लगवाने की अपील करते हैं ।"
शायद इसी को थूककर चाटने वाली राजनीति कहते है। समाजवाद के नाम पर जातिवादी मानसिकता को बढ़ावा देने वाले समाजवादियों का झंडा फट कर चरर हो चु जीका है। इनका काम नही कारनामा बोलता है। इनके युवा समर्थक कहते है "कहा हो अखिलेश यूपी बुलाती है" और तो और नारा लगाया जाता है "22 में बायसाइकिल" का जो महज एक ख्याली पुलाव है।
इतना ही नही सपा के सांसद एसटी हसन का बेतुका बयान देते है की बीते 7 वर्षों में शरीयत में छेड़छाड़ हुई, तभी आई आसमानी आफत..! एसटी हसन ने कहा कि "इन सात सालों में जनता का जो हश्र हुआ है, वो किसी से छिपा नहीं है।पिछले सात सालों में भाजपा सरकार ने कई कानून बनाये हैं. जिनमें शरीयत के साथ छेड़छाड़ की गई। नागरिकता कानून बना दिया गया, जिसमें सिर्फ मुसलमान को नागरिकता नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार के ऐसे कामों से जो नाइंसाफियां हुई हैं, इसके चलते ही देश में 10 दिन के अंदर दो बार बड़े तूफान आए। आसमानी आफत आई और कोरोना के चलते हजारों लोगों की मौत हो गई।" ये सब बकवास सुनकर तो यही लगता है की समाजवादी पार्टी का नाम बदलकर नमाजवादी पार्टी कर देना चाहिए हद से हद क्या होगा सपा से नपा कहलाएंगे बाकी नप तो ये वैसे भी गए है।