(1)
मातृभूमि पर मेरा सबकुछ अर्पण
इससे ही होगा मेरे पूर्वजों का तर्पण
निश्चल प्रेम छिपा है राष्ट्र की माटी में
लहराएगा भगवा तिब्बत की आज़ादी में
लाहौर कराची में परचम फहरा देंगे
सिंधु की प्यास रक्त से बुझा देंगे।।
गिलगिट से गारो पर्वत तक सिर्फ
भारत माता की जय के नारे होंगे...
खंडित भारत माता,स्वतंत्रता अधूरी है
महादेव का रुद्र अवतार जरूरी है।।
(2)
हिंदू हु राजनीति का केंद्रबिंदु हु...
सदियों से लहूलुहान मेरे मां का आंचल..
क्या उत्तरांचल क्या हिमाचल...
खूनी संघर्षों से जूझता हिमालय
क्या मंदिर क्या देवालय...
काकोरम से कन्याकुमारी!
किसने पूछी हालत हमारी...
वो देखो रोती रक्त के
आंसू माता हमारी...
(3)
हम कोई वक्त नहीं जो बदल जाएंगे
हे भारत माता तेरे ही गीत गाएंगे।
रक्त की एक-एक बूंद है वंदेमातरम
जीवन का सार है वन्देमातरम।।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteवंदेमातरम
आपका बहुत धन्यवाद तिवारी जी।
Deleteवंदेमातरम!🌻♥️
बेहतरीन👌
ReplyDeleteधन्यवाद रजत जी।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर रचना शिवमं जी ।
ReplyDeleteआपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आलोक जी🌻🙏
Deleteहम कोई वक्त नहीं जो बदल जाएंगे
ReplyDeleteहे भारत माता तेरे ही गीत गाएंगे।
रक्त की एक-एक बूंद है वंदेमातरम
जीवन का सार है वन्देमातरम।।
👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन और उम्दा रचना 👌👌👌
आपका बहुत आभार मनीषा जी।🌻
Deleteसच 'जीवन का सार है वन्देमातरम'
ReplyDeleteयह एक शब्द भर नहीं देशप्रेम के जज्बे के हुंकार है
आपका बहुत आभार कविता जी🌻
Deleteहम कोई वक्त नहीं जो बदल जाएंगे
ReplyDeleteहे भारत माता तेरे ही गीत गाएंगे।
रक्त की एक-एक बूंद है वंदेमातरम
जीवन का सार है वन्देमातरम।।
देशप्रेम से परिपूर्ण बहुत सुंदर रचना।
आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी। स्वागत हैं आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।
Deleteदेशभक्ति के भाव से ओतप्रोत भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार जिज्ञासा जी टिप्पणी करने के लिए।
Deleteराष्ट्रप्रेम के भाव से सुसज्जित सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी। स्वागत है आपका ब्लॉग पर।🌻
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