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Friday, May 28, 2021

कोरोना से लड़ना है तो दवाई नही ईसाई बनो!

  
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क्या हो रहा है देश में आजकल ? किसी से कुछ छिपा नहीं हैं। बड़े ही भोले और ईमानदार समझा जाता है उन्हे। वो पढ़े लिखे होते है ऐसा बोलकर सम्मान दिया जाता है। कहा ये पंडा ,पुजारी और पाखंडी ब्राह्मण लोगो लूटकर सिर्फ अपना झोला भरते है। ऐसा बोलकर हिंदुओ धर्म की बुराई बतियाने वाले लम्पटो से पूछना चाहता हू की कौन सा हिंदू संगठन आपदा को अवसर बनाकर धर्म परिवर्तन करवा रहा है ? धर्मांतरण का नंगा नाच गांव गांव गली गूचो तक चल रहा है। निशाने पर आदिवासी इलाके और दलितों की बस्ती रहती है। ये कम है ईसाई मिशनरियों का प्रचार प्रसार करने में पढ़े लिखे डॉक्टरों का नाम आ रहा है। मध्य प्रदेश में एक महिला डॉक्‍टर पर 'किल कोरोना अभियान' के दौरान ईसाई धर्म के प्रचार का आरोप लगा है। आरोप है कि वह घर-घर जाकर लोगों को दवाओं और भोजन के बारे में समझाने के साथ ईसाई धर्म का प्रचार कर रही थीं।  डाइट प्लान वाले पर्चे के पीछे हाथों से प्रभु यीशू की प्रार्थना लिख कर दे रही थीं। वह लोगों को समझा रही थीं कि ईसा मसीह की प्रार्थना करो तो कोरोना से बचे रहोगे। इस तथाकथित महिला डॉक्टर का नाम संध्या तिवारी हैै। खबरों के मुताबिक सर्वे  टीम  के साथ बाजना में जब स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताई तो डॉ संध्या ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा कि वे कुछ गलत नहीं कर रही हैं। उनके काम से किसी को नुकसान नहीं पहुंच रहा है। शनिवार को मामले की हिंदू संगठनों द्वारा शिकायत के बाद डॉ संध्या से थाने में पूछताछ की गई। तहसीलदार बीएस ठाकुर की जांच के बाद कलेक्टर ने सीएमएचओ को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद उन्हें पद से हटा दिया गया है।
नर्स को ईसाई धर्म का प्रचार करते पकड़ा गया जो कोविड-19 ड्यूटी पर है (छवि: ट्विटर/ वायरल वीडियो का स्क्रीनग्रैब)

ये महिला चिकित्सक अकेले थोड़ी है इस काम में IMA प्रमुख डॉ. जॉनराज ऑस्टिन जयलाल खुलेआम ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे है। स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन जी इनपर कार्यवाही नहीं किए पर बाबा रामदेव से माफी मंगवाने पर अड़ गए। जयलल ने 1000 हजार करोड़ का मानहानि का दावा ठोका है। सच में IMA का  फुलफॉर्म अब इंडियन मिशनरी एसोसिएशन कर दिया जाय तो कुछ गलत नही है। आपदा को अवसर बनाना कोई इनसे सीखे। आयुर्वेद से डॉ जयलाल इतना चिढ़ते है की पूछिए मत। सरकार ने कुछ आयुर्वेद वालो को सर्जरी करने के लिए मंजूरी दे दी थी तो ये अनाप-शनाप बकने लगे थे। जबकि आयुर्वेद के ज्ञाता बनारस में जन्मे आचार्य सुश्रुत को शल्य (सर्जरी) चिकित्सा का जनक माना जाता है। काशिराज दिवोदास धन्वंतरि के सात शिष्यों में प्रमुख आचार्य सुश्रुत को 'फादर आफ प्लास्टिक सर्जरी' यानी प्लास्टिक सर्जरी का पितामह भी कहते हैैं। उन्हें 2500 वर्ष पहले भी प्लास्टिक सर्जरी एवं इसमें इस्तेमाल होने वाले यंत्रों की जानकारी थी।

 डॉ.जयलाल ने क्रिश्चियनिटी टुडे के साथ अपने साक्षात्कार में बिल्कुल चौंकाने वाले और विचित्र बयान दिए, जब उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को और अधिक ईसाई डॉक्टरों को लगाने की अपनी योजना के बारे में बात की।
इस इंटरव्यू में डॉ. जयलाल द्वारा की गई कुछ चौंकाने वाली टिप्पणियों में शामिल हैं:

‘वास्तविक विज्ञान’ की वकालत करने के लिए एक अभियान चलाने वाले डॉक्टर ने कहा, “यह केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा है जो हमें संकट से उबरने और सुरक्षित रहने में मदद करती है और यह उनकी कृपा थी जिसने हमारी रक्षा की।”

उन्होंने क्रिश्चियनिटी टुडे को बताया, “मैं देख सकता हूँ, उत्पीड़न के बीच, कठिनाइयों के बीच, यहाँ तक कि सरकार के नियंत्रण के बीच, खुले तौर पर अपने संदेश की घोषणा करने में हमारे सामने आने वाले प्रतिबंधों के बीच भी ईसाई धर्म बढ़ रहा है।” क्रिश्चियनिटी टुडे ने बाद में इस हिस्से को एडिट किया।
जयलाल ने कहा कि सरकार आयुर्वेद में आस्था रखती है क्योंकि उसका सांस्कृतिक मूल्य और हिंदुत्व में पारंपरिक विश्वास है। डॉ. जयलाल ने कहा, “भारत सरकार, हिंदुत्व में अपने सांस्कृतिक मूल्य और पारंपरिक विश्वास के कारण, आयुर्वेद नामक एक प्रणाली में विश्वास करती है। पिछले तीन-चार सालों से उन्होंने आधुनिक चिकित्सा को इससे बदलने की कोशिश की है। अब 2030 से आपको आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ इसका अध्ययन करना होगा।”

जयलाल का तर्क है कि संस्कृत भाषा पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना एक ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से सरकार हिंदुत्व की भाषा को लोगों के दिमाग में लाना चाहती है। डॉ. जयलाल ने क्रिश्चियनिटी टुडे को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, “यह (आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग आदि) भी संस्कृत भाषा पर आधारित है, जो हमेशा पारंपरिक रूप से हिंदू सिद्धांतों पर आधारित होती है। यह सरकार के लिए लोगों के मन में संस्कृत की भाषा और हिंदुत्व की भाषा को पेश करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है।”
एक इंटरव्यू में, जब पूछा गया कि ईसाई समुदाय का हिंदू राष्ट्रवादियों के साथ क्या संबंध है, तो डॉ. जयलाल ने सुझाव दिया कि हिंदुओं को यीशु और मुहम्मद को अपने भगवान के रूप में स्वीकार करना चाहिए क्योंकि उनका धर्म बहुदेववाद पर आधारित है। चूँकि हिंदू कई भगवानों में विश्वास करते हैं, इसलिए डॉ. जयलाल का मानना ​​है कि उनके लिए सहिष्णुता प्रदर्शित करना और ईसाई एवं इस्लामी प्रथाओं को आत्मसात करना मुश्किल नहीं है।

डॉ. जयलाल ने कहा, “हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हिंदू धर्म या हिंदुत्व, बहुदेववाद के कारण अन्य धर्मों से अलग है। वे विभिन्न देवताओं को स्वीकार करते हैं। उन्हें यह स्वीकार करने या घोषित करने में कोई कठिनाई नहीं है कि यीशु देवताओं में से एक हैं या मुहम्मद देवताओं में से एक हैं। इसलिए अन्य देशों की प्रणालियों के साथ तुलना करने पर धार्मिक प्रतिबंध कम होते हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि भारत में यह उतना मुश्किल नहीं है।”

क्या ऐसे लोगों का पद पर बना रहना कही से भी उचित है। क्या इन जैसो को तत्काल बर्खास्त नही करना चाहिए सरकार को? ये सरकार की नौकरी कर रहे है या इसाई मिशनरी का प्रचार? ये डॉक्टर है या पादरी? इन जैसे का इलाज करना बहुत जरूरी है।
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फंडिंग कहा से होती है?
देखा जाए तो गांव गांव में झोला लेकर घूमने वाले ये मिशनरी वाले पैसा देकर तो कभी इंडिया गेट बासमती चावल का बोड़ीया देकर धर्म परिवर्तन करवा देते है। आंध्र प्रदेश का की स्थिति किसी से छिपी नहीं है की वहा किस तरह धर्मांतरण का नंगा नाच हो रहा हैं। इन सबमे वहा के मुख्यमंत्री जगमोहन रेड्डी जो मिशनरीयो को बढ़ावा दे रहे है। सुनने में तो ये भी आ रहा है की मंदिरों का लूटा हुआ धन ये मिशनरी के मिशन में लगा रहे है। 
चर्च को मिल रहे पैसा कहां से आ रहा है, किस लिए आ रहा है तथा इसका उपयोग कैसे हो रहा है इस बात की पूरी जांच होनी चाहिए। विदेश से जो आर्थिक सहायता दे रहे हैं उनका राजनीतिक उद्देश्य क्या है इस बात की भी जांच होनी चाहिए। इस जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार को चर्च के राष्ट्रविरोधी गतिविधि पर आवश्यकीय रोक लगाने चाहिए। सरकार को यह कार्य जल्द से जल्द करना चाहिए, अन्यथा काफी देर हो सकती है। 

(स्रोत: डूपॉलिटिक्स, आप इंडिया, नवभारत टाइम्स आदि )

20 comments:

  1. इन विषयों पर सरकार को निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाय ।सार्थक लेख ।

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने जिज्ञासा जी। आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार 🌻

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  2. बहुत ही सुंदर श‍िवम जी, पूरी की पूरी बख‍िया उधेड़ दी आपने तो----वाह । मुश्‍क‍िल ये है क‍ि धार्मांतरण करने वाले कहीं बाहर से नहीं हमारे बीच से ही आते हैं।

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    1. आपका बहुत आभार अलकनंदा जी। बिलकुल सही कहा आपने ये हमारे बीच से ही आते है। अब स्वतंत्रता आंदोलन पर ही ध्यान दे तो जो कन्वर्टेड ईसाई थे वो अंग्रेजो को खिलाफ लड़ने से मना कर दिए थे और जो लड़ रहा था उसकी जान लेने पर तुले थे। ऐसे ही लोगो के लिए हमारे भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि "इनके लिए मैं एक हाथ तलवार लेकर चलता हु तो दूसरे हाथ में यूनियन जैक"! बाकी जस्टिस नियोगी की रिपोर्ट भी बहुत अहम है इन तथाकथित मिशनरियों को लेकर।

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  3. बहुत ही गहन आपका लेख सोचने को मजबूर करता हैं।
    बेबाकी से लिखा आपने बहुत सुंदर।

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    1. जी आपका बहुत ही धन्यवाद कुसुम जी🌻

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  4. इस जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार को चर्च के राष्ट्रविरोधी गतिविधि पर आवश्यकीय रोक लगाने चाहिए। सरकार को यह कार्य जल्द से जल्द करना चाहिए, अन्यथा काफी देर हो सकती है।
    बिल्कुल सटीक एवं चिन्तनपरक लेख।

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    1. आपका बहुत आभार एवं धन्यवाद सुधा जी।🌻🙏

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  5. बहुत बहुत बढ़िया लेख

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    1. आपका बहुत धन्यवाद आलोक जी।🌻

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार सर। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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  7. ऐसे कुछ लोग होते हैं जो पेशे क बदनाम करते हैं ... और शेर भी बनते हैं जैसे इनका ही साम्राज्य है ... शर्म आती है ऐसे डाक्टरों पर भी ...

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    1. बिलकुल सही कहा सर आपने। नीचता की सारी हदें इन लोगो ने पार कर दी है।

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  8. पोल खोल कर रख दिया हैं आपने तो।

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  9. आपने बहुत सही लिखा है शिवम भाई। मिशनरी वाले गांव के बस्तियों मे अक्सर दिख जाते है ढोंग और पाखंड करते हुए। बाकी मुझे आपका ब्लॉग बहुत बढ़िया लगा। नाम भी सही है "राष्ट्रचिंतक"!

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार रजत जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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