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Tuesday, June 1, 2021

कुछ लोगो का तो काम ही है ज्ञान झाड़ना


कुछ लोगो को कुछ नही मिलता हैं तो ज्ञान झाड़ने लगते है दूसरो के सामने मानो जिस विषय के बारे में बता रहे है उसमे Phd करके बैठे हो। दुनिया में कोई भी घटना घट जाय ये हर विषय के एक्सपर्ट बनते है चाहे अर्थव्यस्था का मुद्दा हो , युद्धनीति हो या विदेश नीति हर मुद्दे पर ज्ञान झाड़ते है। ये लोग हर जगह मिल जायेंगे चाय वाले के दुकान से लेकर विश्वविद्यालय की कक्षा में यहां तक कि शादी समारोह में भी खाने के समय पूछ देते है ये जो सलाद खा रहे हो इससे कौन सा विटामिन मिलता है? मतलब जीव विज्ञान के भी जानकार बनने लग जायेंगे या कह लीजिए डॉक्टर से कम जानकार  थोड़ी न समझते है खुद को !  चावल उठाकर प्लेट में डालने ही वाला रहता हु की तभी कोई पूछ देता है धान का कटोरा किसे कहते है? अरे इस सरकार की  दाल नही गलने वाली अगले चुनाव में। पुड़िया कम  खाओ वरना वजन बढ़ जाएगा ये कहने वाले भी मिल जाते हैं मानो वो बहुत बड़े एथलीट हो।

विश्वविद्यालय में तो कहिए ही मत बहुत से छात्र अपने को क्रांतिकारी  समझने लगते है जबतक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का क्लास चलता है। खुद को भगत सिंह समझने लग जाते हैं सब भले ही उनके बारे में कुछ ना पढ़े हो। वही सुनी सुनाई बातो पर विश्वास कर लेना एक बहुत बड़ी बीमारी है। एक लेख है भगत सिंह का "मैं नास्तिक क्यों हूं?" बस इसके बारे में सब जान गए और सब खुद को जी जान से नास्तिक बनाने  में लग जाते है। कोई कह दिया भगत सिंह तो मार्क्सवादी थे तो फिर मार्क्सवादी बन गए। अरे भगत सिंह तो लेनिन की किताब पढ़ रहे थे हम भी लेनिन के सिद्धांतो पर चलेंगे और वामपंथी बनेंगे। इन मूर्खो को कौन बताए की भगत सिंह तो गीता और रामायण भी पढ़ते थे। कुछ अपने को माओ और चे ग्वेरा समझते है। स्टालिन बनने की ख्वाहिश में पूरा जिंदगी बर्बाद कर लेते है। ये सब के सब ज्ञान देते है दूसरो को की तुम सोए हुए युवा हो या नागरिक हो और खुद गांजा फूंकते हुए कैंपस में मिल जायेंगे।

अपना काम तो होता नहीं है इन लोगो से पर दुनिया भर का ज्ञान झाड़ते है। दो चार लेख और अखबारों को पढ़कर ये रक्षा
विशेषज्ञ बनते है। पूरा इतिहास और भूगोल का ऐसा ज्ञान देंगे की मानो इन्हे लड़ने के लिए भेज दिया जाए तो जीतकर आएंगे। वो अलग बात है कि सौ मीटर दौड़ने में हाफ जाते है। उलुल- जुलूल ज्ञान झाड़ना अलग बात है और काम करना अलग बात है। मुझे तो ये बात आजतक नहीं पता चला कि की इतना ज्ञान लाते कहा से है? गलत और अधूरी जानकारी को ये ग्रहण करके अपने सामने दूसरों को ये तुच्छ समझते हैं। इनकी जानकारी जाकारी और सामने वाले की महामारी!
हद है! दूसरो की सत्य बाते इनसे पचती कहा  है?  कुछ तो ऐसे इतिहास के जानकार मिलते है जिनका कहना है कि हिंदुओ ने भी नरसंहार किया है ! ज्ञान झाड़ने की इस लड़ाई में कोई किसी से पीछे नहीं रहता है। वाद-विवाद का एक अलग ही दौर चल पड़ा है इस इंटरनेट के जमाने में।कोई जानकारी लेनी है इंटरनेट पर आसानी से मिल जाता है कुछ एक क्षणों में। वही से दो चार लाइन जान जाते है और कोई मिल जाता है तो उसके सामने झाड़ने लग जाते हैं। सोशल मीडिया का नशा सबके सर चढ़ कर बोल रहा हैं जहा झूठ कपास और अफवाह सिवाय कुछ नही है। जो पक्ष में है वही सही है बाकी सब गलत है। एक दूसरे को ज्ञान देते देते बोल पड़ते हैं आप हमशे ज्यादा जानते हैं क्या? नही तू मुझसे ज्यादा जानता है! चल निकल यहां से! तुझे बोलने का शहूर नही है? जाओ पढ़ो लिखो बच्चे हो मेरे सामने! बच्चा किसको बोल रहे हो खड़े खड़े बेच दूंगा आपको! चलो जाओ रास्ता नापो अपना। बिना जानकारी के बहस नही करते!

29 comments:

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    1. धन्यवाद आलोक जी।
      सदैव स्वागत है आपका ब्लॉग पर।
      🌻

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  2. बिल्कुल सही कहा आपने शिवम जी,सार्थक लेखन ।

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    1. आपका बहुत आभार जिज्ञासा जी।🌻

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  3. बहुत सुंदर लेख!

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    1. आपका बहुत धन्यवाद भाई।🙏♥️

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  4. बहुत सही कहा शिवम जी आपने!

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    1. बहुत धन्यवाद सोमेश्वर जी आपका।🌻♥️

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  5. बिल्कुल सुंदर लेख

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    1. आपका बहुत धन्यवाद सरिता जी।

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  6. ये नेट का दौर ऐसा ही है ...
    फिर पिछले ७० सालों से जो पढ़ाया है वो रगों में असर तो करेगा ...

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    1. आपका बहुत आभार दिगम्बर जी महत्वपूर्ण टिप्पणी के लिए। बिल्कुल सही बात कही आपने।
      🌻

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    1. शुक्रिया मनोज जी।
      स्वागत है आपका ब्लॉग पर।

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  8. सर,बहुत ही सुंदर और उन लोगों के मुहं पर तमाचा है ये लेख जो आधी अधूरी जानकारी लिए खुद को बहुत बड़ा ज्ञानी और सामने वाले को मूर्ख प्राणी समझते हैं

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    1. जी आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार।
      स्वागत हैं आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार शांतनु जी 🌻🙏

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  11. बेहतरीन लेख।

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    1. बहुत शुक्रिया सिद्धार्थ जी।

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  12. उम्दा लेख।
    पढ़कर मजा आ गया😅

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