नदी वो है जिसने सभ्यता को जन्म दिया
और लोग पूछते है तुमइसे मां क्यों कहते हो?
असंख्य अनगिनत लोगो की प्यास बुझाई,
क्या मनुष्य? क्या जीव जंतु?
सबने इसमें आस्था की डुबकी लगाई।
जिसके गहराइयों में गोते लगाते
ना जाने कितने तरूणाई
लेते हुए अंगड़ाई
जिसके जल से फसल लहराई
ना जाने कितने नस्लों ने भूख मिटाई
नदी वो हैं जिसने जीवन दिया और
लोग पूछते है तुम इसे मां क्यों कहते हो?
सुन्दरतम। अदभुद। लाजवाब }
ReplyDeleteजी आपका बहुत आभार ❤️🙏
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपका बहुत आभार सिन्हा जी।❤️🙏
Deleteबहुत सही शिवम जी। बहुत सुंदर और सार्थक। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। सादर।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद एवं आभार वीरेंद्र जी।❤️🌻
Deleteबहुत सुंदर 🌻
ReplyDeleteआपका बहुत आभार राजेश जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻🙏
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