अब जबसे से डिजिटल क्रांति हुआ है तब से देखा जाए तो लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भारत की जनता ने भीड़ लगाकर रखा हुआ है। सब कलाकार बनने लग गए है, घर बैठे पैसे कमाने के होड़ गंध से गंध भरी कलाकारी का प्रदर्शन कर रहे है। नाचना भी एक कला है ढंग से सीखने वाला ही कलाकार कहलाता है, वर्ना सारी जिंदगी भांड का तमगा माथे पर टिका रहना है...!
किताबें पढ़ो, अखबार पढ़ो, अपने आसपास का माहौल परखो, लोगों के दुःख सुख उनकी परेशानियों को समझो, प्रबोधन वहां से मिलेगा। तरस आता है उन लोगों की सोच पर जो सोशल मीडिया पर ज्ञान के लिए भटक रहे हैं। असल जीवन में बगल वाला पड़ोसी ही काम आने वाले है ये सोशल मीडिया के मित्र सिर्फ एक छलावा है। सोशल मीडिया पर कुछ पत्रकार भी मिल जाएंगे मोबाइल हईये कैमरा का क्या जरूरत उठाए मुंह चल दिए गांव के किसी सरकारी स्कूल में मैडम पढ़ा रही है बच्चो को इनको कोई फर्क नही पड़ने वाला ये उसी बीच में अपना अर्धज्ञान लेकर कूद पड़ेंगे और पूरे कक्षा माहौल खराब कर देंगे। इन्हे भले पत्रकारिता का "प" भी न पता हो फिर भी स्वतंत्र पत्रकार बनेंगे..! अरे इतना ही नही सरकारी अस्पतालों में भी घुसकर बकैती करने लग जाते है चिल्ला चिल्ला कर मानो वो एमबीबीएस करके बैठे डॉक्टर साहब कुछ जनबे नही करते है..! ये तथाकथित स्वघोषित स्वतंत्र पत्रकार सोशल मीडिया के गंदी नाली के कीड़े और कुछ नही हैं।
सोशल मीडिया पर लोग बहस करते हुए मोबाइल नंबर तो ऐसे मांगते है मानो पांच मिनट में पूरी राजनीति और अर्थव्यवस्था समझा देंगे..! एक से एक विद्वान मिल जाते है क्या ही बोला जाय जब गलत खबरों को पढ़े लिखे लोग ही हवा देने लग जाय तो..! हद तो तब हो जाती है जब वही सोशल मीडिया का ज्ञान भोले भाले बच्चो के ऊपर थोपी जाती है। खैर बच्चों के हाथ में भी स्मार्ट फोन आ ही गया है तो क्या फर्क पड़ता है आने वाली नस्ले बिगड़े या बने किसी कोई फर्क नही पड़ता है। सब अपने घिसे-एजेंडे को लेकर चल रहे है जो बहुत ही घातक है। सोचने समझने की शक्तियों का प्रयोग बंद हो चुका है लोगो द्वारा अब जो होता है वो गूगल बाबा के माध्यम से होता है। अब किसी के पास जानकारी की कमी नही हैं। किसी भी मुद्दे पर चर्चा हो रही हो लोग घुस जाते है भले उसके बारे में रत्ती भर ना पढ़े हो पर सोशल मीडिया का ज्ञान उन्हे एक्सपर्ट बना ही देता है..! अब जैसे एक लड़का मेरे ख्याल से हाई स्कूल में रहा होगा वो मेरे मित्र के पोस्ट पर कॉमेंट करता है की "भईया जी आपको क्या पता है मुलायम सिंह यादव जी का देन है सेना के जवानों को पेंशन मिल रहा है" अब इसका क्या ही जवाब दिया जाय ? उदहारण के तौर पर भारत- चीन सीमा विवाद को लेकर बस ये पाँच सात नाम याद करने हैं गलवान, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्दी, हॉटस्प्रिंग्स,श्योक रिवर,फिंगर 4-8, शिरिझप ओर आप भी इधर 'स्ट्रेटेजिक अफेयर एक्सपर्ट' ओर 'लीडिंग डिफेंस एंड सिक्योरिटी एनालिस्ट' बन जाएंगे..! बाकी सोशल मीडिया एक ऐसा रंगमंच बन चुका है जहा सब नंगा नाच कर रहे है और उसी में बुलबुल है।
सच ऐसा लगता है आज किताब कॉपी में नहीं बल्कि सारा ज्ञान सोशल मीडिया में छिपा है
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने।🌻❤️
Deleteसही कहा आपने, कहीं कहीं वर्तनी की अशुद्धियां हैं आलेख में।
Deleteआपका बहुत आभार सर.. हा कुछ टाइपिंग सेटिंग की वजह से गड़बड़ हो गई है ... जल्द ही सही कर दूंगा...🌻🙏
Deleteवास्तविकता बयान करता हुआ आलेख, बहुत सारे प्रश्न उठाता है, बहुत प्रभावशाली लेखन, अभिनंदन सह ।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार शांतनु जी🙏
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-11-2022) को "देवों का गुणगान" (चर्चा अंक-4603) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी मेरे लेख को प्रतिष्ठित चर्चामंच पर स्थान देने के लिए🌻❤️
Deleteबहुत ख़ूब ! गूगल बाबा ने सबको महा-ज्ञानी बना दिया है.
ReplyDeleteअब सवाल यह उठता है कि - यदि सब महा-ज्ञानी हैं तो फिर ऑफ़लाइन या फिर ऑनलाइन कक्षाओं की आवश्यकता ही क्या है?
हा गोपाल जी बिलकुल सही कहा आपने... स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर❤️🌻🙏
Deleteबढ़िया कहा आपने👌
ReplyDeleteसादर
आपका बहुत आभार आदरणीय अनीता जी🌻🙏
Deleteसही कहा है आपने ... हर कोई पत्रकार हो गया है आज ...
ReplyDeleteसच्चा जूठा सब कुछ परोसा जा रहा है ...
आपका बहुत आभार सर।🙏🌻
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