Monday, November 15, 2021

प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में जनजाति के हितों का संरक्षण

लेखक:- शिवराज सिंह चौहान

स्वाधीनता के लिए जनजातीय संघर्ष के महानायक भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन। भगवान बिरसा मुंडा गरीबों के सच्चे भगवान थे। उन्होंने शोषित और वंचित वर्ग के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष किया। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान और सामाजिक सद्भावना के लिए किए गए प्रयास हम सभी को सदैव प्रेरित करते हैं। बिरसा मुंडा ने अपने सुधारवादी आंदोलनों से लोगों के लिए आदर्श प्रस्तुत किया। भगवान बिरसा मुंडा ने नैतिक आत्म-सुधार ,आचरण की शुद्धता और एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। ऐसे  ही क्रांतिवीर नायक का स्मरण करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने आज  दिन जनजातीय गौरव दिवस मनाने का फैसला लिया है। मुझे बेहद खुशी है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने 15 नवंबर को देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इसके के लिए मैं माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जनजातीय लोगों के विकास को लेकर कितने संवेदनशील है, इसका आंकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए जनजातीय भाई-बहनो के विकास से जुड़े कई  अहम फैसले लिए। कई मुश्किलें आई, लेकिन राज्य ने नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में इन तमाम मुश्किलों को अवसर में बदल दिया। मोदी जी कहते हैं कि विकास की गति को तेज करने का हमारा  दृढ़ संकल्प है, ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस विकास यात्रा का सक्रिय भागीदार बन सके। उन्हीं के नेतृत्व में राज्य ने जनजातीय समुदाय के विकास के नवीन आयामों को छुआ। गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी जी ने आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए वर्ष 2007 में 10 सूत्रीय वनबंधु योजना शुरू की। इसमें वनवासी बच्चों के उच्च शिक्षा, आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं, पीने का शुद्ध जल, सिंचाई सहित स्थानीय स्तर पर रोजगार से जुड़ी योजनाओं का सीधा लाभ जनजाति लोगों को मिला। संकलित डेयरी विकास योजना के तहत 1 लाख 42 हजार लोगों को दुधारू पशु दिए गए। यही नहीं, राज्य की साक्षरता दर को 45.7% से बढ़ाकर 62.5% पहुंचाया। दूध संजीवनी योजना के तहत 11 लाख छात्रों को पोस्टिक तो दूध दिया गया। सिकल सेल के लिए एक करोड़ से अधिक जनजाति लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें स्वस्थ बनाया। आवासीय योजना से 6 लाख 30 हजार लोगों के घर का सपना पूरा किया।

जनजातीय लोगों की विकास कार्य कार्य गुजरात तक ही सीमित नहीं रहा। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जी ने इस प्रक्रिया को सतत जारी रखा। आज भारत दुनिया के बड़े जनजाति समाज के विकास के इस कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है। 11 करोड़ से अधिक जनजाति समाज के हितों को संरक्षण प्रदान करने का कार्य नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए वनबंधु कल्याण योजना, आदिवासी शिक्षा ऋण योजना,सावधि ऋण योजना, आदिवासी महिला सशक्तिकरण, स्वयं सहायता समूह के लिए सूक्ष्म ऋण योजना, एकलव्य मॉडल आवासीय विकास जैसी कई योजनाएं शुरू की। जिनका सीधा लाभ जनजाति वर्ग को मिल रहा है। प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि पूरे जनजातीय समाज की जल, जंगल और जमीन पर आंच नहीं आएगी। आज जनजाति समाज स्वयं को सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रहा है। जनजाति समाज जितना मजबूत होगा, देश उतना ही मजबूत बनेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश विकास की नई करवट ले रहा है। प्रधानमंत्री जी के संकल्प 'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास' से ही प्रेरित है प्रदेश की जनजाति विकास और कल्याण की योजनाएं। जनजाति समाज के चहुंमुखी विकास, स्थान और मान-सम्मान की रक्षा के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध हैं। पिछले 17 वर्षों से हमने जनजातीय समाज को बराबर के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। वर्ष 2003-04 में जनजातियों के विकास के लिए महज 746.60 करोड़ रुपए का बजट था, जिसे हमने बढ़ाकर 8085.99 करोड़ तक पहुंचाया।
पं. दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे  दरिद्र ही हमारा नारायण है और उसकी सेवा ही हमारी पूजा, उनके इस विचार  से हमको  प्रेरणा मिलती है।  हमने जनजातीय क्षेत्रों में 24 घंटे  घरेलू बिजली और 10 घंटे कृषि कार्यों के लिए बिजली देने का इंतजाम किया। यही नहीं, जल जीवन मिशन के माध्यम से वनवासी अंचलों  के अलावा पूरे प्रदेश में पीने का शुद्ध पानी हर घर में नल से प्रदान किया जा रहा है। पिछले  17 वर्षों में 2 लाख किलोमीटर से अधिक सड़को का जाल बिछाया गया है। प्रदेश में अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम 2020 लागू किया गया है जो आज से (15 नवंबर 2021) से पूरे प्रदेश में प्रभावशील होगा। प्रदेश सरकार ने जनजातीय समाज को उनकी उपज का सही मूल्य मिले इसके लिए  समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। तेंदूपत्ता बेचने का कार्य जनजातियों की वन समिति द्वारा किया जायेगा। तेंदूपत्ता संग्रहित करने वाली जनजातियों को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चरण पादुकाएं प्रदान की जा रही है।

वनवासी अंचलों का तेजी से विस्तार करना मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। पिछले चार वर्षो में मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना से 5 हजार 500 से अधिक जनजातीय छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए हैं। शैक्षणिक  सत्र 2020-21 एवं 2021-22 में 27 नए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का निर्माण किए जाने की योजना है। 1 वर्ष के भीतर बैकलॉग के पदों को भरने की योजना है। छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय किया गया। वनवासी अंचल  की संस्कृति आनंद की संस्कृति है। इसीलिए हमने फैसला किया है कि हर वर्ष झाबुआ उत्सव मनाया जायेगा।
ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार देने के लिए पेसा एक्ट लागू करने का ऐतिहासिक कदम उठाया है।  वनाधिकार अधिनियम के अंतर्गत 34 हजार परिवारों के दावे मान्य किए गए। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सके इसके लिए देवाण्य योजना शुरू की गई। जनजाति लोगों को सिकल सेल एनीमिया बीमारी से बचाव के लिए नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है। इसके लिए आज से सिकल सेल मिशन शुरू किया जाएगा। राशन आपके द्वार योजना से जनजातीय  भाई-बहनों को अब राशन लेने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा। इन दोनों ही योजनाओं का शुभारंभ आज माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी करने जा रहे हैं।
मैं दोनो बाहें फैलाकर जनजातीय समाज का आह्वान करता हु की वे अपनी जिंदगी बदले। विकास की दौड़ में जो पीछे और नीचे रह गए है उन्हें आगे लाने के लिए मैं  सब कुछ करूंगा। जनजातीय समुदाय जितना सशक्त होगा, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश निमार्ण की हमारी संकल्पना उतना ही मजबूत होगी। जनजातीय समुदाय के विकास के लिए मैं और मेरी सरकार समर्पित थे, समर्पित है और हमेशा समर्पित रहेंगे।

(लेखक मध्यप्रदेश के  मुख्यमंत्री है।  प्रस्तुत लेख राष्ट्रीय सहारा में छपा था जिसे राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया है।)

Friday, November 5, 2021

को अतिभारः समर्थानाम।

जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में दिवाली के अवसर पर भारतीय सशस्त्र बलों के सैनिकों के साथ प्रधानमंत्री ने बातचीत की।  मोदी जी ने जोरदार भाषण दिया जिसे  राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया है।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

दीवाली का आज पावन त्‍योहर है और हर किसी का मन करता है कि दिवाली अपने परिवार के लोगों के बीच में मनाये। मेरा भी मन करता है कि मैं दिवाली मेरे परिवारजनों के बीच में मनाओं और इसीलिए हर दिवाली मैं मेरे परिवारजनों के बीच में मनाने के लिये आता हूं क्‍योंकि आप मेरे परिवारजन हैं, मैं आपके परिवार का साथी हूं। तो मैं यहां प्रधानमंत्री के रूप में नहीं आया हूं। मैं आपके परिवार के एक सदस्‍य के रूप में आया हूं। आप सभी के बीच आना, जो भाव अपने परिवार के बीच जाकर के होता है, वही भाव मेरे मन में होता है और जब से मैं इस संवैधानिक जिम्‍मेदारी को संभाल रहा हूं, आज उसको 20 साल से भी अधिक समय हो गया है। बहुत लंबे अरसे तक मुझे देशवासियों ने इस प्रकार की सेवा का मौका दिया। पहले गुजरात वालों ने दिया, अब देशवासियों ने दिया। लेकिन मैंने हर दिवाली सीमा पर तैनात आप मेरे परिवारजनों के बीच बितायी है। आज मैं फिर आपके बीच आया हूं, आपसे नई ऊर्जा लेकर के जाऊंगा, नया उमंग लेकर के जाऊंगा, नया विश्‍वास लेकर के जाऊंगा। लेकिन मैं अकेला नहीं आया हूं। मैं मेरे साथ 130 करोड़ देशवासियों के आर्शीवाद आप के लिए लेकर के आया हूं, ढेर सारा आर्शीवाद लेकर के आया हूं। आज शाम को दीवाली पर एक दीया, आपकी वीरता को, आपके शौर्य को, आपके पराक्रम को, आपके त्‍याग और तपस्‍या के नाम पर और जो लोग देश की रक्षा में जुटे हुए हैं, ऐसे आप सब के लिए हिन्‍दुस्‍तान के हर नागरिक वो दिये की ज्‍योत के साथ आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी देता रहेगा। और आज तो मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि आप घर पर बात करेंगे, हो सकता तो फोटो भी भेज देंगे और मुझे पक्‍का विश्‍वास है आप कहेंगे हां यार इस बात तो दिवाली कुछ और थी, कहेंगे ना। देखिये आप रिलैक्‍स हो जाईये, कोई आपको देखते नहीं है, आप चिंता मत कीजिए। अच्‍छा आप ये भी बताएंगे ना कि मिठाई भी बहुत खाई थी, नहीं बतायेंगे?

साथियों,

आज मेरे सामने देश के जो वीर हैं, देश की जो वीर बेटियां हैं, वो भारत मां की ऐसी सेवा कर रहे हैं, जिसका सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता है, किसी किसी को ही मिलता है। जो सौभाग्‍य आपको मिला है। मैं देख रहा हूँ, मैं महसूस कर रहा हूँ आपके चेहरे के उन मजबूत भावों को मैं देख रहा हूं। आप संकल्‍पों से भरे हुए हैं और यही आपके संकल्‍प, यही आपके पराक्रम की पराकाष्‍ठा की भावनाएं, चाहे हिमालय हो, रेगिस्‍तान हो, बर्फीली चोटियां हों, गहरे पानी हों, कहीं पर भी आप लोग मां भारती का एक जीता-जागता सुरक्षा कवच हैं। आपके सीने में वो जज्‍बा है जो 130 करोड़ देशवासियों को भरोसा होता है, वो चैन की नींद सो सकते हैं। आपके सामर्थ्य से देश में शांति और सुरक्षा एक निश्‍चिंतता होती है, एक विश्‍वास होता है। आपके पराक्रम की वजह से हमारे पर्वों में प्रकाश फैलता है, खुशियां भर जाती हैं, हमारे पर्वों में चार चांद लग जाते हैं। अभी दीपावली के बाद गोवर्धनपूजा, फिर भैयादूज और छठ पर्व भी बिल्‍कुल गिनती के दिनों में सामने आ रहा है। आपके साथ ही मैं सभी देशवासियों को नौशेरा की इस वीर वसुंधरा से, इन सभी पर्वों के लिए देशवासियों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। देश के अन्य हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग आज दिवाली का जब दूसरा दिन होता है तो नववर्ष की भी शुरुआत करते हैं और हमारे यहां तो हिसाब-किताब भी दिवाली से पूरा होता है और दिवाली के दूसरे दिन से शुरू होता है। खासकर के गुजरात में कल नया साल होता है। तो मैं आज नौशेरा की इस वीर भूमि से गुजरात के लोगों को भी और जहां-जहां नववर्ष मनाते हैं उन सबको भी अनेक-अनेक मंगलकामनाएं उनके लिये देता हूँ।

साथियों,

जब मैं यहां नौशेरा की पवित्र भूमि पर उतरा, यहां की मिट्टी का स्पर्श किया तो एक अलग ही भावना, एक अलग ही रोमांच से मेरा मन भर गया। यहाँ का इतिहास भारतीय सेना की वीरता का जयघोष करता है, हर चोटी से वो जयघोष सुनाई देता है। यहाँ का वर्तमान आप जैसे वीरजवानों की वीरता का जीता-जागता उदाहरण है। वीरता का जिंदा सबूत मेरे सामने मौजूद है। नौशेरा ने हर युद्ध का, हर छद्म का, हर षड्यंत्र का माकूल जवाब देकर कश्मीर और श्रीनगर के प्रहरी का काम किया है। आज़ादी के तुरंत बाद ही दुश्मनों ने इस पर नज़र गड़ा कर के रखी हुई थी। नौशेरा पर हमला हुआ, दुश्मनों ने ऊंचाई पर बैठकर इस पर कब्जा जमाने की कोशिश की और अभी जो मुझे विडियो देखकर सारी चीजें मुझे देखने-समझने का मौका मिला और मुझे खुशी है कि नौशेरा के जाबाजों के शौर्य के सामने सारी साजिशें धरी की धरी रह गईं ।

दोस्‍तो,

भारतीय सेना की ताकत क्या होती है, इसका अहसास दुश्मन को शुरूआत के दिनों में ही लग गया था। मैं नमन करता हूँ नौशेरा के शेर, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को, नायक जदुनाथ सिंह को जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। मैं प्रणाम करता हूँ लेफ्टिनेंट आरआर राणे को जिन्होंने भारतीय सेना की जीत का रास्ता प्रशस्त किया था। ऐसे कितने ही वीरों ने नौशेरा की इस धरती पर गर्व की गाथाएँ लिखी हैं, अपने रक्‍त से लिखी हैं, अपने पराकम से लिखी हैं, अपने पुरुषार्थ से लिखी हैं, देश के लिए जीने-मरने के संकल्‍पों से लिखी हैं। अभी मुझे ये मेरा सौभाग्‍य था कि दिवाली के इस पवित्र त्‍यौहार पर मुझे आज दो ऐसे पहापुरुषों का आर्शीवाद प्राप्‍त करने का सौभाग्य मिला, वो मेरे जीवन में एक प्रकार से अनमोल विरास्‍त है। मुझे आर्शीवाद मिले श्री बलदेव सिंह और श्री बसंत सिंह जी, ये दोनों महापुरुष बाल्‍यकाल में मां भारती की रक्षा के लिए फौज के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर साधनों के आभाव के बीच भी और आज जब मैं सुन रहा था उनको वही जज्‍बा था भई, वही मिजाज था और वर्णन ऐसे कर रहे थे जैसे आज ही, अभी से लड़ाई के मैदान से आएं हैं, ऐसा वर्णन कर रहे थे। आज़ादी के बाद हुए युद्ध में ऐसे अनेकों स्थानीय किशोरों ने ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान के मार्गदर्शन में बाल सैनिक की भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए उतनी कम उम्र में देश की सेना के साथ कंधे से कंधा मिलकार के काम किया था, सेना की मदद की थी। नौशेरा के शौर्य का ये सिलसिला तबसे जो शुरू हुआ, ना कभी रूका है, ना कभी झुका है, यही तो नौशेरा है। सर्जिकल स्ट्राइक में यहाँ की ब्रिगेड ने जो भूमिका निभाई, वो हर देशवासी को गौरव से भर देता है और वो दिन तो मैं हमेशा याद रखूंगा क्‍योंकि मैं कुछ तय किया था कि सूर्यास्‍त के पहले सब लोग लौट कर के आ जाने चाहिए और मैं हर पल फोन की घंटी पर टिक-टिका कर के बैठा हुआ था कि आखिर से आखिर का मेरा जवान पहुंच गया क्‍या और कोई भी नुकसान किये बिना ये मेरे वीर जवान लौट कर के आ गए, पराक्रम करके आ गए, सिद्धि प्राप्‍त करके आ गए। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यहाँ अशांति फैलाने के अनगिनत कुत्सित प्रयास हुए, आज भी होते हैं, लेकिन हर बार आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब मिलता है। असत्य और अन्याय के खिलाफ इस धरती में एक स्वाभाविक प्रेरणा है। माना जाता है और मैं मानता हूं ये अपने आप में बड़ी प्रेरणा है, ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने भी अज्ञातवास के दौरान अपना कुछ समय इसी क्षेत्र में व्यतीत किया था। आज आप सबके बीच आकर, मैं अपने आपको यहाँ की ऊर्जा से जुड़ा हुआ महसूस कर रहा हूँ।
साथियों,

इस समय देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहा है। आजादी का अमृत महोत्‍सव गुलामी के लंबे कालखंड में असंख्य बलिदान देकर हमने ये आजादी हासिल की है। इस आज़ादी की रक्षा करने का दायित्व हम सभी हिन्‍दुस्‍तानियों के सर पे है, हम सबकी जिम्‍मेवारी है। आज़ादी के अमृतकाल में हमारे सामने नए लक्ष्य हैं, नए संकल्प हैं, नई चुनौतियाँ भी हैं। ऐसे महत्‍वपूर्ण कालखंड में आज का भारत अपनी शक्‍तियों को लेकर भी सजग है और अपने संसाधनों को लेकर भी। दुर्भाग्य से, पहले हमारे देश में सेना से जुड़े संसाधनों के लिए ये मान लिया गया था कि हमें जो कुछ भी मिलेगा विदेशों से ही मिलेगा! हमें technology के मामले में झुकना पड़ता था, ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे। नए हथियार, नए उपकरण खरीदने होते थे तो प्रक्रिया सालों-साल चलती रहती थी। यानी एक अफसर फाईल शुरू करे, वो retire हो जाए, तब तक भी वो चीज नहीं पहुंचती थी, ऐसा ही कालखंड था। नतीजा ये कि जरूरत के समय हथियार आपाधापी में ख़रीदे जाते थे। यहाँ तक कि spare parts के लिए भी हम दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे।

साथियों,

डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता का संकल्प उन पुरानी स्थितियों को बदलने का एक सशक्त मार्ग है। देश के रक्षा खर्च के लिए जो बजट होता है, अब उसका करीब 65 प्रतिशत देश के भीतर ही खरीद पर खर्च हो रहा है। हमारे देश ये सब कर सकता है, करके दिखाया है। एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए अब भारत ने ये भी तय किया है कि 200 से ज्यादा साजो-सामान और उपकरण अब देश के भीतर ही खरीदे जाएंगे। आत्‍मनिर्भर भारत का यही तो संकल्‍प है। अगले कुछ महीनों में इसमें और सामान जुड़ने वाले हैं, देश को आत्मनिर्भर बनाने वाली ये पॉजिटिव लिस्ट और लंबी हो जाएगी। इससे देश का डिफेंस सेक्टर मजबूत होगा, नए नए हथियारों, उपकरणों के निर्माण के लिए निवेश बढ़ेगा।

साथियों,

आज हमारे देश के भीतर अर्जुन टैंक बन रहे हैं, तेजस जैसे अत्याधुनिक लाइट कॉम्बैट एयर-क्राफ़्ट बन रहे हैं। अभी विजयदशमी के दिन 7 नई डिफेंस कंपनियों को भी राष्ट्र को समर्पित किया गया है। हमारी जो ऑर्डिनेन्स फ़ैक्ट्रीज़ थीं, वो अब specialized सेक्टर में आधुनिक रक्षा उपकरण बनाएँगी। आज हमारा प्राइवेट सेक्टर भी राष्ट्र रक्षा के इस संकल्प का सारथी बन रहा है। हमारे कई नए डिफेन्स start-ups आज अपना परचम लहरा रहें हैं। हमारे नौजवान 20, 22, 25 साल के नौजवान क्‍या-क्‍या चीजें लेकर के आ रहे हैं जी, गर्व होता है।

साथियों,

उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बन रहे डिफेंस कॉरिडोर इस स्पीड को और तेज करने वाले हैं। ये सारे कदम जो आज हम उठा रहे हैं, वो भारत के सामर्थ्य के साथ-साथ डिफेंस एक्सपोर्टर के रूप में हमारी पहचान को भी सशक्त करने वाले हैं।

साथियों,

हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

को अतिभारः समर्थानाम।

यानि जो समर्थ होता है उसके लिए अतिभार मायने नहीं रखता, वो सहज ही अपने संकल्पों को सिद्ध करता है। इसलिए आज हमें बदलती दुनिया, युद्ध के बदलते स्वरूप के अनुसार ही अपनी सैन्यशक्ति को बढ़ाना है। उनको नए ताकत के साथ ढालना भी है। हमें अपनी तैयारियों को दुनिया में हो रहे इस तेज़ परिवर्तन के अनुकूल ही ढालना ही होगा। हमें मालूम है किसी समय हाथी-घोड़े पर लड़ाईयां होती थी, अब कोई सोच नहीं सकता हाथी-घोड़े की लड़ाई, रूप बदल गया। पहले शायद युद्ध के रूप बदलने में दशकों लग जाते होंगे, शताब्‍दियां लग जाती होंगी। आज तो सुबह एक तरीका होगा तो शाम को दूसरा तरीका होगा लड़ाई का, इतनी तेजी से technology अपनी जगह बना रही है। आज की युद्धकला सिर्फ ऑपरेशन्स के तौर-तरीकों तक ही सीमित नहीं है। आज अलग-अलग पहलुओं में बेहतर तालमेल, technology और hybrid tactics का उपयोग बहुत बड़ा फर्क डाल सकता है। संगठित नेतृत्व, एक्शन में बेहतर समन्वय आज बहुत ज़रूरी है। इसलिए बीते समय से हर स्तर पर लगातार रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। Chief of Defence Staff की नियुक्ति हो या Department of Military Affairs का गठन, ये हमारी सैन्यशक्ति को बदलते समय के साथ कदमताल करने में अहम रोल निभा रहे हैं।

साथियों,

आधुनिक बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर भी हमारी सैन्य ताकत को और मजबूत करने वाला है। सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी को लेकर पहले कैसे काम होता था, ये आज देश के लोग, आप सभी भली-भांति जानते हैं। अब आज लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक, जैसलमेर से लेकर अंडमान निकोबार द्वीप तक, हमारे बॉर्डर एरियाज़ में जहां सामान्य कनेक्टिविटी भी नहीं होती थी, आज वहां आधुनिक रोड, बड़ी-बड़ी सुरंगें, पुल और ऑप्टिकल फाइबर जैसे नेटवर्क बिछाए जा रहे हैं। इससे हमारी डिप्लॉयमेंट कैबेबिलिटी में तो अभूतपूर्व सुधार हुआ ही है, सैनिकों को भी अब बहुत अधिक सुविधा हो रही है।

साथियों,

नारीशक्ति को नए और समर्थ भारत की शक्ति बनाने का गंभीर प्रयास बीते 7 सालों में हर सेक्टर में किया जा रहा है। देश की रक्षा के क्षेत्र में भी भारत की बेटियों की भागीदारी अब नई बुलंदी की तरफ बढ़ रही है। नेवी और एयरफोर्स में अग्रिम मोर्चों पर तैनाती के बाद अब आर्मी में भी महिलाओं की भूमिका का विस्तार हो रहा है। मिलिट्री पुलिस के द्वार बेटियों के लिए खोलने के बाद अब महिला अफसरों को परमानेंटट कमीशन देना, इसी भागीदारी के विस्तार का ही हिस्सा है। अब बेटियों के लिए नेशनल डिफेंस एकेडमी, राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल और राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज जैसे देश के प्रीमियर मिलिट्री संस्थानों के दरवाज़े खोले जा रहे हैं। इसी वर्ष 15 अगस्त को मैंने लाल किले से ये भी घोषणा की थी कि अब देशभर के सभी सैनिक स्कूलों में बेटियों का भी पढ़ाई का अवसर मिलेगा। इस पर भी तेजी से काम शुरू हो गया है।

साथियों,

मुझे आप जैसे देश के रक्षकों की वर्दी में केवल अथाह सामर्थ्य के ही दर्शन नहीं होते, मैं जब आपको देखता हूँ, तो मुझे दर्शन होते हैं अटल सेवाभाव के, अडिग संकल्पशक्ति के और अतुलनीय संवेदनशीलता के। इसीलिए, भारत की सेना दुनिया की किसी भी दूसरी सेना से अलग है, उसकी एक अलग पहचान है। आप विश्व की शीर्ष सेनाओं की तरह एक professional force तो हैं ही, लेकिन आपके मानवीय मूल्य, आपके भारतीय संस्कार आपको औरों से अलग, एक असाधारण व्‍यक्‍तित्‍व के धनी बनाते हैं। आपके लिए सेना में आना एक नौकरी नहीं है, पहली तारीख को तनख्‍वाह आएगा, इसके लिये नहीं आये आप लोग, आपके लिये सेना में आना साधना है! जैसे कभी ऋषि-मुनि साधना करते थे ना, मैं आपके हर एक के भीतर वो साधक का रूप देख रहा हूं। और आप माँ भारती की साधना कर रहे हैं। आप जीवन को उस ऊंचाई पर ले जा रहे हैं कि जिसमें 130 करोड़ देशवासियों की जिन्‍दगी जैसे आपके भीतर समाहित हो जाती है। ये साधना का मार्ग है और हम तो भगवान राम में अपने सर्वोच्च आदर्श खोजने वाले लोग हैं। लंका विजय करने के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे थे तो यही उद्घोष करके लौटे थे-

अपि स्वर्ण मयी लंका, न मे लक्ष्मण रोचते।
 जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥

यानि, सोने और समृद्धि से भरपूर लंका को हमने जीता जरूर है, लेकिन हमारी ये लड़ाई हमारे सिद्धांतों और मानवता की रक्षा के लिए थी। हमारे लिए तो हमारी जन्मभूमि ही हमारी है, हमें वहीं लौटकर उसी के लिए जीना है। और इसीलिए, जब प्रभु राम लौटकर आए तो पूरी अयोध्या ने उनका स्वागत एक माँ के रूप में किया। अयोध्या के हर नर-नारी ने, यहाँ तक कि पूरे भारतवर्ष ने दीवाली का आयोजन कर दिया। यही भाव हमें औरों से अलग बनाता है। हमारी यही उदात्त भावना हमें मानवीय मूल्यों के उस अमर शिखर पर विराजमान करती है जो समय के कोलाहल में, सभ्यताओं की हलचल में भी अडिग रहती है। इतिहास बनते हैं, बिगड़ते हैं। सत्ताएँ आती हैं, जाती हैं। साम्राज्य आसमान छूते हैं, ढहते हैं, लेकिन भारत हजारों साल पहले भी अमर था, भारत आज भी अमर है, और हजारों साल बाद भी अमर रहेगा। हम राष्ट्र को शासन, सत्ता और साम्राज्य के रूप में नहीं देखते। हमारे लिए तो ये साक्षात् जीवंत आत्मा है। इसकी रक्षा हमारे लिए केवल भौगोलिक रेखाओं की रक्षा भर नहीं है। हमारे लिए राष्ट्र-रक्षा का अर्थ है इस राष्ट्रीय जीवंतता की रक्षा, राष्ट्रीय एकता की रक्षा, और राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा! इसीलिए, हमारी सेनाओं में आकाश छूता शौर्य है, तो उनके दिलों में मानवता और करुणा का सागर भी है। इसीलिए, हमारे सेनाएँ केवल सीमाओं पर ही पराक्रम नहीं दिखातीं, जब देश को जरूरत पड़ती है तो आप सब आपदा, विपदा, बीमारी, महामारी से देशवासियों की हिफाज़त के लिए मैदान में उतर जाते हैं। जहां कोई नहीं पहुंचे, वहां भारत की सेनाएं पहुंचे, ये आज देश का एक अटूट विश्वास बन गया है। हर हिन्‍दुस्‍तानी के मन में से ये भाव अपने आप प्रकट होता है ये आ गए ना अरे चिंता नहीं अब हो गया, ये छोटी चीज नहीं है। आप देश की अखंडता और सार्वभौमिकता के प्रहरी हैं, एक भारत-श्रेष्ठ भारत के संकल्प के प्रहरी हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि आपके शौर्य की प्रेरणा से हम अपने भारत को शीर्ष ऊंचाइयों तक लेकर जाएंगे।

साथियों, 

दिपावली की आपको भी शुभकामना है। आपके परिवारजनों को शुभकामना है और आप जैसे वीर बेटे-बेटियों को जन्‍म देने वाली उन माताओं को भी मेरा प्रणाम है। मैं फिर एक बार आप सबको दिपावली की अनेक-अनेक शुभकामनाएँ देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये भारत माता की जय! भारत माता की जय भारत माता की जय!

धन्यवाद!