Saturday, February 20, 2021

देश विरोधी तत्वों से सावधान रहे

अरे लगता है ये उलुल - जुलुल बयान देने वाले सुधरेंगे नहीं। बिना सोचे समझे जो मन में आता है वहीं बक देते है। फिर वो देश के पूर्व प्रधामंत्री राजीव गांधी की हत्या को लेकर ही क्यों न हो। इनका पुत्र कहता है "मैं अपने पिता के हत्यारो को माफ करता हूं।" सत्ता पाने के लिए ये लोग न जाने कितना गिरेंगे। खैर इन महाशय को एक बात पता होना चाहिए कि वो भारत के प्रधानमंत्री थे जिनके कंधों पर राष्ट्र का भार सौंपा गया था भारत के नागरिकों  द्वारा। अतः  उनकी हत्या देश के लोकतंत्र की हत्या थी। मूर्खो को यह बात जितनी जल्दी समझ में आ जाए उतना ही बढ़िया  है कि देश तोड़ने वाले मृत्युदंड के पात्र है माफी के नहीं। 
पिछले महीने तथाकथित किसान आंदोलन के दौरान एक खालिस्तानी समर्थक कह रहा था जनरल वैद्य को ठोक दिए, इंदिरा गांधी को ठोक दिए ये मोदी क्या चीज है? आंदोलन के नाम पर यही उलुल - जुलुल दुष्प्रचार किया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रची जा रही है! इसको लेकर  सतर्क रहने कि जरुरत है।

भारत माता की जय और वन्देमातरम के नारों से चिढ़ने वाले लोग अपने घटिया बयानबाजी से बाज नहीं आते है। जो धरा इनका पालन पोषण करती है उसी के साथ ये तथाकथित विदेशी  विचारधारा से प्रेरित लोग विश्वासघात करते है। माता का दूध पीने नाम पर छाती में दात गड़ाकर खून पीने को तत्पर इन दुष्टों का सर्वनाश करना बेहद जरूरी हो गया है। इनके समर्थन में जितने लोग आते है सबके ऊपर उचित कार्रवाई करनी चाहिए सरकार द्वारा। देश को तोड़ने वाली आवाजे जो विश्वविद्यालयो में  बैठे विदेशी विचारधारा से प्रेरित वामपंथी उठा रहे है जिसे क्रांति का नाम दिया जा रहा है, बहुत खतरनाक एवं घातक है। जीभ काट लेनी चाहिए इनकी ताकि कोई ऐसा दुस्साहस न कर सके। भारतीय छात्र जो इस विदेशी विचारधारा से प्रेरित है उन्हे अपने सुनहरे भविष्य को देखते इसका त्याग करना चाहिए अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
 संकीर्ण मानसिकता वाले से  उचित दूरी बनाकर रखने कि आवश्यकता है। ये पूरी कोशिश करते है सबको अपने जाल में फसाने की। इनका काम लोगो भटकाना और भड़काना रहता है ताकि किसी तरह इनकी घटिया राजनीति चलती रहे।
 इनके साथ वाद- विवाद में पड़ना ही नहीं चाहिए। ये अपना स्तर इतना नीचे गिरा देते है कि सामने वाले को मूर्ख और अपने को विद्वान बताने लग जाते है। ये वही लोग है जो सरकार का  विरोध करते - करते  देश विरोधी बाते करने लग जाते है। इनके साथ बहस करके ज्ञानी व्यक्ति भी मूर्ख सिद्ध हो जाता है। देश तोड़ने वाले लोगो के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है नहीं तो आने वाली बर्बादी को कोई रोक नहीं सकता और अखण्ड भारत का उद्देश्य मात्र एक स्वप्न बनकर रह जाएगा।

Tuesday, February 9, 2021

अरे! इज्जत से वो युवा नेता है

अरे ये क्या हो रहा है देश में? जिसे देखो वही युवा नेता बना फिर रहा है। पोस्टर में भगत सिंह, आजाद और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर लगाकर अपना भौकाल बनाते है भले ही इन क्रांतिकारियों के बारे में कुछ जानते हो या नहीं ! किसी कॉलेज में चले जाओ तो वहा छात्र नेता हाथ जोड़ते है,लेटकर कर दंडवत प्रणाम करते है आदि वोट पाने के लिए।इनको आता - जाता कुछ नहीं है पर उलुल- जुलुल बाते करने में सबसे ज्यादा माहिर हैं। कोई भी त्योहार हो हाथ जोड़कर एक फोटो खींचा लेंगे और पोस्टर छपवा देंगे शुभकामनाओं के साथ। जब कोई बड़ा नेता आ रहा हो किसी समारोह या रैली में तब ये कुछ युवा लोग इस फिराक में रहते है कैसे भी इनके साथ एक तस्वीर हो जाए। तस्वीर मिल जाती हैं तो उसे सोशल मीडिया पर डाल देते है आज फलाने नेता से आशीर्वाद लेते हुए,इनके साथ समय व्यतीत करते हुए... और ना जाने क्या क्या छाप देते है..! 

नारा लगता है "छात्र एकता जिंदाबाद" पर जब मांग पूरी हो जाती है विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से तब ये छात्रों का गढ़ गुटो में बट जाता है श्रेय लेने के लिए की हमने संघर्ष किया था ! पता नहीं कौन सा संघर्ष करते है ये लोग  भगवान ही मालिक है। एक बात और भगवान में तो ये विश्वास ही नहीं करते हैं ये कहते हुए कि "मै नास्तिक हूं"। बाकी भांग गांजा फूंकते हुए दिख जाएंगे तो अपनी तुलना महावदेव से करने लग जाएंगे। जहर की घूंट मुंह से लग जाए इनके तो राम ना सत्य हो जाय बात करते है महादेव की। बड़ी अजीब व्यथा है धार्मिक ग्रंथों को मानने से इन्कार भी करते है  फिर उसको लेकर तर्क कुतर्क भी करने लग जाते है। क्रांतिकारी इतने बड़े की नक्सलियों का समर्थन करते है। कहते है हम किसी पार्टी की विचारधारा से जुड़े नहीं है पर तथाकथित पार्टियों के एजेंडे को अपनी आवाज़ देकर उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। फंडिग भी बराबर होती रहती हैं तमाम राजनैतिक पार्टियों द्वारा तो इनकी आवाज तो उठेगी ही। एक छात्र नेता युवा नेता से कब अपनी जाति का नेता बन जाता है पता ही नहीं चलता है। जातिवाद भी करता है और समाजवादी भी बनता है। बिल्कुल सफेद वस्त्र धारण कर घूमते है ये युवा नेता भले ही इनके दिमाग़ के अंदर घोर काला अंधेरा हो। कहते है अंधेरे में ही आज की सच्चाई है समझो बस यही से किरांती आई है ओह माफ करना क. क.क्रा... कांति ...क्रांति ..बोलते है...!

Monday, February 8, 2021

आत्मनिर्भर भारत के बुनियाद का बजट

लेखक:- अमित शाह,केंद्रीय गृहमंत्री


कोरोंना की चुनौती और प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच आम बजट लाना एक जटिल काम था, परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्धि तक ले जाने वाला सर्वस्पर्शी एवं सर्वांगीण विकास को समर्पित बजट पेश किया। इस बजट के मूल्यांकन में इसकी मूल भावना को दो बिंदुओं में समझना चाहिए। पहला यह कि महीनों तक लॉकडाउन के कारण ठप आर्थिक गतिविधियों के बावजूद यह बजट चुनौतियों से उबर कर आगे बढ़ने की मजबूत इच्छाशक्ति वाले सशक्त भारत की तस्वीर प्रस्तुत करता है। दूसरा यह कि बजट में भविष्य के आत्मनिर्भर भारत की आकांक्षा रखने वाले देश की संकल्पशक्ति नजर आती है। देश ने महसूस किया है कि यदि नेतृत्व दूरदर्शी और संकल्पवान हो तो आपदा को अक्सर में बदला जा सकता है। अनेक चुनौतियों के बावजूद मोदी सरकार ने किसी प्रकार का कोई अतिरिक टैक्स लगाए विना बजट में जनकल्याण के कार्यों को 'सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास' मंत्र के साथ आगे बढ़ाते हुए गरीब, किसान, महिला, युवा को प्राथमिकतादी है। कृषि की बुनियादी संरचना को सुदृढ़करने और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के लिहाज से यह बजट विशेष महत्व रखता है। बजट से स्पष्ट है कि किसानों की उपज लागत से डेढ़ गुने अधिक एमएसपी पर खरीदी जाएगी। बीते वर्ष में गेहूं एवं दाल और चालू वर्ष में धान की खरीद में वृद्धि यह दिखाती है कि केंद्र में किसानों के हित में काम करने वाली सरकार बैठी है। पहले जो किसान यूरिया के लिए पुलिस की लाठियां खाते थे, आज सम्मान निधि की राशि सीधे उनके खातों में पहुंचती है। सरकार ने कृषि ऋण के लिए बढ़ोतरी करते हुए 16.5 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड को 30 से 40 हजार करोड़ रु करने, लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 10 हजार करोड़ रु, 1000 'ई-नाम' के जरिये किसानों को वैश्विक बाजार से जोड़ने और स्वामित्व योजना जैसे अनेक प्रयास किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किए गए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में महामारी के दौरान देशव्यापी टेस्टिंग नेटवर्क, पीपीई किट उत्पादन में भारत की कार्यशैली ने विकसित देशों को भी चकित किया। स्वास्थ्य बजट में 137 प्रतिशत की ऐतिहासिक बढ़ोतरी करते हुए उसे 2.38 लाख करोड़ रु किया गया है। बजट में प्रस्तावित आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना से लगभग 75 हजार गांवों के वेलनेस सेंटर्स को मदद मिलेगी। नई लैब नए संस्थान खुलने से स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक बदलाव होंगे। बजट में कोरोना वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ रु की व्यवस्था की गई है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ मोदी जी दुनिया के कई देशो में कोरोना का टीका पहुंचा कर भारत को वैश्विक पटल पर सम्मान दिला रहे हैं। बजट में सबके लिए कुछ न कुछ है। उज्ज्वला योजना में आठ करोड़ महिलाओं तक मुफ्त रसोई गैस पहुंचाने के बाद अब एक करोड़ अन्य लाभार्थियों तक पहुंचने का लक्ष्य है। बजट में 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स रिटर्न भरने से छूट का निर्णय सरकार के मानवतावादी नजरिये का प्रतीक है। मत्स्य उद्योग से जुड़े लोगों के हित में पांच नए बंदरगाह बनाने और प्रवासी मजदूरों के डाटा को एकीकृत करने का प्रस्ताव है, जिससे वे एक देश एक राशन कार्ड का लाभ उठा सकें। मध्यम वर्ग के हित में सस्ते घर के लिए कर्ज में छूट की अवधि एक साल और बढ़ाई गई है। मोदी जी ने गरीबों को आवास, शौचालय, बिजली, रसोई गैस, शुद्ध जल, खाद्य सुरक्षा इत्यादि सुविधाएं देने का जो संकल्प लिया है, उसे यह बजट सिद्धि तक ले जाने में सहायक होगा।

बीते सात दशकों में अनेक सरकारें आईं, किंतु वैश्विक पटल पर भारत की साख को बढ़ाते हुए युगानुकूल आर्थिक सुधारों के साथ सामान्य जन के कल्याण के प्रति इतनी प्रतिबद्ध सरकार पहले कभी नहीं आई। आज देश आर्थिक महाशक्ति बनने को तैयार है, किंतु मुझे कई बार दुःख होता है कि कुछ विपक्षी दल देशहित के मसलों पर भी नकारात्मक विचारों से राजनीति करते हैं। ऊपर जिन कार्यों का मैंने उल्लेख किया, वे सभी आमजन के जीवन में बेहतर बदलाव लाने वाले हैं। क्या यह सब तब संभव है जब देश आर्थिक रूप से कमजोर हो?

मैं बधाई देना चाहता हूं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को, जिन्होंने देश को समृद्ध करने के अभियान को आर्थिक सुधारों से गति देने का काम किया है। महामारी के बाद रिसेटिंग मोड में चल रही वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत के लिए नए अवसर हैं। इस बजट में इन अवसरों को परिणाम में बदलने की नीतिगत योजना दिखती है। आज देश को आर्थिक विकास में अपनी संपूर्ण ऊर्जा और क्षमता के साथ जुटना होगा। निजी क्षेत्र भी हमारी इसी ऊर्जा का हिस्सा है। मोदी सरकार ने पारदर्शी और सुगम व्यवस्था देकर आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है और आधारभूत संरचना के विकास के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 1.18 लाख करोड़ रु के बजट से राजमार्गों के विस्तार को नई गति मिलेगी। रेलवे की अगले एक दशक की जरूरतों के अनुरूप तैयार करने के लिए रिकार्ड 1.10 लाख करोड़ रु का बजट दिया गया है। इसके साथ जलमार्गों, बंदरगाहों के विकास हेतु पूंजी निवेश और पीपीपी मॉडल के जरिये अनेक कदम उठाए गए हैं। आर्थिक विकास को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय में 34.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यह पिछले वर्ष के 4.21 लाख करोड़ से बढ़कर 5.54 लाख करोड़ रु हो गया है। सरकार ने स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देते हुए उन्हें 31 मार्च 2022 तक टैक्स जमा करने से राहत दी है। अर्थव्यवस्था की धुरी और करोड़ों लोगों को रोजगार देने वाले लघु एवं मध्यम उद्योगों की मजबूती के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। साथ ही बैंकिंग तंत्र में सुधार, ऋण प्राप्ति की सुगमता एवं आर्थिक विवादों के निपटारे के कदम उठाकर आर्थिक उन्नति को सुगम बनाया गया है। इन कदमों का ही परिणाम है कि विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा है। गत तिमाही में यह 24.6 अरब डॉलर तक पहुंचा। नए दशक में लाया गया यह पहला बजट आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने की बुनियाद रखने वाला है। बजट देश के हर नागरिक, हर क्षेत्र, हर समुदाय की आकांक्षाओं को पंख देकर नई उड़ान भरने के लिए प्रेरित करने वाला है। यह 'आत्मनिर्भर भारत के विकास की बुनियाद रखने वाला बजट है। 

( लेख दैनिक जागरण अखबार से साभार)

Saturday, February 6, 2021

किसानों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाएंगे नए कानून

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ग्रामीण विकास मंत्री पंचायती राज मंत्री; और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर का राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर पढ़े  पूरा भाषण

 मैं महामहिम राष्ट्रपति महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए खड़ा हुआ हूँ। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि माननीय राष्ट्रपति जी ने दोनों सभाओं को संयुक्त रूप से संबोधित किया और विगत वर्ष में जो उल्लेखनीय प्रगति थी, देश से और उसके नागरिकों से जो उनकी अपेक्षा थी, उसे विस्तार से देश के समक्ष रखा देश में कोविड-19 का संकट आया, सभी गतिविधियों पर विराम लगा, अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन उस समय हमारे देश ने जिस अनुशासन का परिचय दिया वह बहुत प्रशंसनीय है। प्रधान मंत्री जी के दृढ़संकल्प और देश की ताकत, दोनों ने मिलकर इस महामारी पर नियंत्रण प्राप्त करने की एक सफलतम कोशिश की है। आज हम यह कह सकते हैं कि इस प्रकार की महामारी से निपटने में भारत पूर्ण रूपेण सक्षम है। वर्तमान परिस्थिति में स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना हम सबके लिए अत्यंत आवश्यक है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि इस बज़ट में स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से 137 प्रतिशत की जो वृद्धि की गई है, वह निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम है। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने देश को देसी वैक्सीन बनाकर उपलब्ध कराई। 
इस कारण से निश्चित रूप से भारत की ताकत भी बढ़ी है। 
भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ी है और हमारे वैज्ञानिकों का सम्मान भी बढ़ा है । कोरोना के इस कालखंड में चाहे उस समय दवाइयों को देने का मामला हो या आज वैक्सीन को देने का मामला हो, उसमें भारत दूसरे देशों की भी मदद कर रहा है। यह निश्चित रूप से हम सब भारतीयों के लिए बहुत ही गर्व की बात है। कई बार हमारे प्रतिपक्ष के विद्वान वक्ताओं की ओर से यह बात आती है कि आप तो यह कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने ही किया है और बाकी पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया है। मैं इस मामले पर ध्यान दिलाना चाहता हूँ और यह कहना चाहता हूँ कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है। नरेन्द्र मोदी जी ने सेंट्रल हॉल के अपने पहले भाषण में, जब उनको पहले कार्यकाल में नेता चुना जा रहा था, उस समय भी और 15 अगस्त को लाल किले से दिए जाने वाले उद्बोधन में भी उन्होंने जोर देकर यह कहा था कि मेरे पूर्व की जितनी सरकारें हैं, उन सब सरकारों का योगदान देश के विकास में रहा है। मुझे सभा को यह बताते हुए प्रसन्नता है कि 15वें वित्त आयोग ने 2,36,850 करोड़ रुपया ग्राम पंचायतों को देने की सिफ़ारिश की है और उसको मंत्री परिषद् ने स्वीकार कर लिया है। मुझे यह बताते हुए भी प्रसन्नता हो रही है कि गत वर्ष पंचायती राज दिवस के अवसर पर हमने प्रधान मंत्री जी से अनुरोध किया और 'स्वामित्व' नामक स्कीम प्रारंभ की, जिसको हम लोगों ने 6 राज्यों में प्रायोगिक तौर पर शुरू किया और अभी तक इसके अंतर्गत लगभग 1 लाख 47 हज़ार लोगों को मालिकाना हक़ दिया जा चुका है। साथ ही इस बज़ट में वित्त मंत्री जी ने इस योजना को 6 राज्यों के अतिरिक्त अब पूरे देश में प्रभावी कर दिया है और पैसा देना स्वीकार कर लिया है। 'मनरेगा' के संबंध में मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह आपके कार्यकाल में प्रारंभ हुआ किन्तु उस योजना को आगे परिमार्जित हमने किया। केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि मजदूरों का पैसा सीधे उनके खाते में जाए। हमने 'मनरेगा' में भी यह सुनिश्चित किया कि प्रवासी मजदूरों को रोज़गार मिले। इसके अतिरिक्त प्रधान मंत्री जी ने गरीब कल्याण रोज़गार अभियान' भी संचालित किया जिसके माध्यम से भी रोज़गार के ज्यादा अवसर खुले तथा लोगों को रोजगार मिला। गाँव में भी ग्राम पंचायत का सचिव, रोज़गार सहायक, आशा वर्कर और सेल्फ हैल्प ग्रुप की महिलाओं ने कोविड प्रोटोकॉल का शत-प्रतिशत पालन करवाने में अपनी भूमिका का निर्वाह किया- चाहे वह मास्क बनाने का मामला हो, चाहे सेनिटाइज़र बनाने का मामला हो, उन सबने देश के उस कालखंड के दौरान जो उनकी भूमिका थी, उस भूमिका का निर्वाह सफलतापूर्वक किया है। "प्रधान मंत्री आवास योजना" को दोबारा से परिमार्जित करके बनाया गया, उसका आकार बढ़ाया गया और पैसा बढ़ाया गया। 

“उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 8 करोड़ रसोई गैस उपलब्ध कराए, हर घर में शौचालय की उपलब्धता कराई, "सौभाग्य योजना" के अंतर्गत बिजली की उपलब्धता कराई। हम सभी जानते हैं कि कृषि क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है कृषि के क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। किन्तु मैं सभा को यह बताना चाहता हूँ कि इस दिशा में लगातार आशातीत वृद्धि हो रही है। आज हम खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हैं। "पी.एम. किसान योजना के माध्यम से हमने 10 करोड़, 75 लाख किसानों को 1 लाख, 15 हज़ार करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में भेजने का काम किया है मैं आपके माध्यम से सदन को और किसानों को भी यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना में पैसे की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत एक लाख करोड़ रुपये की अवसंरचना निधि देने के अलावा मत्स्य-पालन के लिए 20 हज़ार करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 15 हज़ार करोड़ रुपये, हर्बल खेती के लिए 4 हज़ार करोड़ रुपये और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए हैं। 

भारत में सौ किसान रेलें प्रारम्भ की गई हैं, जो एक तरह से चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज का काम करती हैं। ये रेलें हर रोज आ-जा रही हैं और इनके माध्यम से किसान अपना उत्पादन एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा रहे हैं। इससे किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिलने में मदद हो रही है। पीएम कृषि उड़ान योजना के अंतर्गत आज त्रिपुरा का अन्नानास दूसरे देशों में पहुंच कर अच्छी कीमत प्राप्त कर रहा है। भारत सरकार और प्रधानमंत्री जी पूरी तरह किसानों के प्रति प्रतिबद्ध है। सरकार ने 12 बार ससम्मान उन्हें बुलाकर बातचीत की है। यह शंका है कि एपीएमसी खत्म हो जाएगी, तो सरकार इस पर विचार करती। एपीएमसी ख़त्म नहीं होगी। भारत सरकार किसी भी संशोधन के लिए तैयार है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि किसान कानून में कोई गलती है। किसानों को इस बात के लिए बरगलाया गया है कि ये कानून आपकी ज़मीन को ले जायेंगे लगभग 20-22 राज्य ऐसे हैं जिनमें कॉट्रेक्ट फार्मिंग के लिए नया ऐक्ट बनाया गया है। पंजाब सरकार के एक्ट में किसान को जेल भेजे जाने का प्रावधान है। खरीद में पारदर्शिता लाने, ई-ट्रांजेक्शन बढ़ाने, किसान को उचित मूल्य दिलाने और इलेक्ट्रॉनिक व्यापार बढ़ाने के लिए 1.000 मंडियों को ई-एनएएम मंडियों के रूप में परिवर्तित किया गया और आगे अब 1,000 और मंडियों को परिवर्तित किया जाएगा। इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है। हमने कोशिश की है कि कृषक की आमदनी दोगुनी हो और खेती का योगदान देश के जीडीपी में तीव्र गति से बढ़े। सरकार द्वारा लाए गए कृषि सुधार कानूनों से किसान के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आएंगे। इनसे किसान की आमदनी बढ़ेगी और देश और गाँव आगे बढ़ेंगे। इसी उद्देश्य के साथ मोदी सरकार इस देश में काम कर रही है।

'वसुधैव कुटुम्बकम्' की हमारी धारणा है


भाजपा के राज्यसभा  सांसद डॉ विनय पी सहस्त्र बुद्धे का 5 फरवरी 2021 को  राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर  दिए गए भाषण को ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया है। 

हमारे कृषि मंत्री ने 11-12 बार उनके साथ बातें शुरू की हैं और अभी भी हम बात करने के लिए तैयार हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि आप थोड़ा-बहुत भी लचीलापन न दिखाएं। हमने तो लचीलापन दिखाया है। हमने कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया है, शायद पहली बार सरकार ने इस पद्धति का रवैया अपनाया होगा। आप भी ऐसा करिए। सभी आंदोलनकर्ताओं के प्रति हमारे मन में सम्मान की भावना है, आदर की भावना है, किसी को उसके बारे में गलत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि इस सदन को कोई बपोती समझ ले। यह जनतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति नुकसानदेह बात होगी, इसका भी एहसास हम सबको होना चाहिए। जो सबसे पिछड़े जिले थे, उनको हम बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट्स कहते थे, हमने उनको एसपिरेशन जिलों में परिवर्तित किया है और यह केवल शब्दों का खेल नहीं है, उसके लिए काफी कुछ काम भी किए हैं। सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट के बारे में जहां से खनिज निकलता है, वहां पर जो राशि मिलती है, 'वह रकम वहां के जिले के अधिकार में दी गई है. यह सत्ता का विकेन्द्रीकरण है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस राज्य में किसकी सत्ता है, यह विषय नहीं है, यह सुशासन है। गृह मंत्रालय की एक वार्षिक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि 2010 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इंसिडेंट्स की संख्या 2,213 थी जो कि घटकर अब 230 तक आई है। जब मैं सुरक्षा की बात करता हूँ तब स्वाभाविक रूप में सुरक्षा संसाधन का भी विषय आता है। हम सबको पता है कि सरकार ने जिस पद्धति से आर्थिक मोर्चे पर काम किया है, वह सराहनीय है। विगत छह सालों में हमने विदेश नीति के क्षेत्र में भी काफी अच्छा काम किया है।चाहे वह वैक्सीन कूटनीति हो या सॉफ्ट पावर बढ़ाने की बात हो, मैं मानता हूँ कि इन सारे विषयों की ओर इस देश ने बहुत अच्छे तरीके से ध्यान देने की दिशा में अग्रसर होने का प्रण किया है। महात्मा गाँधी जी के 150वें जन्म जयंती के कार्यक्रम के अवसर पर "वस्त्र परंपरा के माध्यम से संबंधों में प्रगाढ़ता के रूप में एक वेबिनार का आयोजन किया गया था, जिसमें भूटान की महारानी, कोरिया की फर्स्ट लेडी और बंगलादेश के वस्त्र मंत्री भी आए थे। हम वस्त्र जैसी कला के माध्यम से भी विश्व में अपने संबंधों को और उजागर करना चाहते हैं भारत में पढ़ कर विदेश में गए छात्र वहां बहुत अहम भूमिका निभा रहे हैं इन सबके लिए हमने भारतीय विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्रों का संघ आयोजित किया है। हम विकासपरक राजनय का सहारा लेकर आगे बढ़ रहे हैं। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की हमारी धारणा है। विपदा के हमारे मित्र कहते हैं कि इजराइल के साथ मित्रता न करो, फिलिस्तीन नाराज होगा। हम दोनों देशो के साथ मित्रता कर सकते हैं जब बजट में पब्लिक सेक्टर के बैंकों के बारे में चर्चा चली, तो लोगों ने कहा कि घर की चांदी बेच रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश घर का एल्युमिनियम निकला है अगर हम इस तरीके से लोकलुभावनवाद का सहारा न लेते हुए आगे बढ़ेंगे, तो हम देश में कई दृष्टि से सुधारों के बारे में भी चर्चा कर सकते हैं। हमने विश्व के सारे समुदायों को साथ में लिया, चाहे वह इस्लामी देशों का संगठन हो। खाड़ी देशों में माननीय प्रधान मंत्री जी को जितने पुरस्कार और सम्मान मिले इससे पहले हमारे किसी भी प्रधान मंत्री को उन देशों के द्वारा इस तरह से सम्मानित नहीं किया गया होगा। जम्मू-कश्मीर में सेब के व्यापार को नैफेड से जोड़ कर वहां के किसानों की आय बढ़ाने की दृष्टि से हमने नए-नए प्रयास किए हैं हमने रक्षा सेना प्रमुख के पद का सृजन किया, जिससे काफी अच्छे परिणाम निकल कर आ रहे हैं 'आत्मनिर्भर भारत' की दृष्टि से 'आत्मनिर्भर रक्षा संपदा', हम इस विषय पर भी काम कर रहे हैं। सेना में महिलाओं की सहभागिता को भी हम अत्यधिक महत्व दे रहे हैं। हम सभी का साथ चाहते हैं, सभी का विकास चाहते हैं और सभी का विश्वास चाहते हैं। आत्मनिर्भता की ओर तीव्र गति से आगे बढ़ रहे हैं और बदलाव का जो बैकलॉग रहा है, उसको दूर करने की दिशा में हम अग्रसर हैं।

Monday, February 1, 2021

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का आभार व्यक्त किया

केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सोमवार 01 फरवरी 2021 को संसद भवन में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश किया। इस बजट में रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए रक्षा क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में 18.75 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम है।

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रक्षा क्षेत्र के बजट आवंटन को बढ़ाकर 4,78,195.62 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत रक्षा सेवाओं और अन्य संगठनों/विभागों (रक्षा क्षेत्र की पेंशन को छोड़कर) के लिए वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 3,62,345.62 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 24,792.62 करोड़ रुपये अधिक है।

सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचा विकास से संबंधित पूंजीगत व्यय के तहत आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पूंजीगत व्यय आवंटन 1,35,060.72 करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 18.75 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 30.62 प्रतिशत अधिक है। पिछले 15 वर्षों के दौरान रक्षा परिव्यवय में यह अब तक की सर्वाधिक वृद्धि है।


परिचालन संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए गैर-वेतन राजस्व के तहत आवंटन को बढ़ाकर 54,624.67 करोड़ रुपये किया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में यह 6 प्रतिशत अधिक है।

डीआरडीओ के लिए पूंजीगत आवंटन को बढ़ाकर 11,375.50 करोड़ रुपये किया गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की तुलना में 8.5 प्रतिशत अधिक है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए आवंटित बजट को बढ़ाकर 6004.08 करोड़ किया गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 7.48 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 14.49 प्रतिशत अधिक है।

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रक्षा बजट को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपये करने पर रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया। 4.78 लाख करोड़ रुपये के इस रक्षा बजट में 1.35 लाख करोड़ रुपये का पूंजागत व्यय शामिल है। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले यह पूंजीगत व्यय करीब 19 प्रतिशत अधिक है। पिछले 15 वर्षों के दौरान पूंजीगत परिव्यय में यह अब तक की सर्वाधिक वृद्धि है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि इस बजट के तहत भारत में आर्थिक सुधारों, रोज़गार सृजन, पूंजी निर्माण और बुनियादी ढांचागत विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि, “सुशासन के 6 स्तंभों के आधारित यह बजट भारत को समावेशी विकास और समृद्धि के एक नए युग में ले जाएगा।”

श्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट्स की एक श्रंखला के अंतर्गत कहा कि, “भारत के किसानों, कृषि, बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन के सुदृढ़ीकरण को समर्थन देने के लिए कई नई नीतियों और कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है। मुझे खुशी है कि इस बजट में देश के अलग-अलग हिस्सों में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने का प्रस्ताव भी किया गया है।”इन स्कूलों का निर्माण राज्यों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और निजी संस्थानों की सहभागिता से किया जाएगा।

(स्रोत: पत्र सूचना कार्यालय , भारत सरकार )


आत्मनिर्भर भारत का बजट

                      स्रोत: पीएमओ
(केंद्रीय बजट 2021-22 के बाद  प्रधानमंत्री जी का वक्तव्य)

नमस्कार,

वर्ष 2021 का बजट असाधारण परिस्थितियों के बीच पेश किया गया है। इसमें यथार्थ का ऐहसास भी और विकास का विश्वास भी है। कोरोना ने दुनिया में जो प्रभाव पैदा किया, उसने पूरी मानव जाति को हिलाकर रख दिया है। इन परिस्थितियों के बीच, आज का बजट भारत के आत्मविश्वास को उजागर करने वाला है। और साथ ही दुनिया में एक नया आत्मविश्वास भरने वाला है।

आज के बजट में आत्मनिर्भरता का विजन भी है और हर नागरिक, हर वर्ग का समावेश भी है। हम इस बजट में जिन सिद्धांतों को लेकर चले हैं, वो हैं- ग्रोथ के लिए नए अवसरों, नई संभावनाओं का विस्तार करना, युवाओं के लिए नए अवसरों का निर्माण करना। मानव संसाधन को एक नया आयाम देना। इनफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए नए नए क्षेत्रों को विकसित करना, आधुनिकता की तरफ आगे बढ़ना, नए सुधार लाना।

साथियों,

नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर आम लोगों के जीवन में ‘ease of living’ को बढ़ाने पर इस बजट में जोर दिया गया है। ये बजट individuals, investors, industry और साथ ही Infrastructure sector में बहुत सकारात्मक बदलाव लाएगा। मैं इसके लिए देश की वित्‍तमंत्री निर्मला जी को और उनके साथी मंत्री, अनुराग जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ऐसे बजट देखने को कम ही मिलते हैं जिसमें शुरू के एक दो घंटों में ही इतने सकारात्मक रिस्पॉन्सेस आएं। कोरोना के चलते कई एक्सपर्ट ये मानकर चल रहे थे सरकार आम नागरिकों पर बोझ बढ़ाएगी। लेकिन फिस्कल सस्टे-नेबिलिटी के प्रति अपने दायित्वों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बजट साइज बढ़ाने पर जोर दिया। हमारी सरकार ने निरंतर प्रयास किया है कि बजट ट्रांसपेरेंट होना चाहिए। मुझे खुशी है कि आज अनेक विद्वानों ने इस बजट की ट्रांसपेरेंसी की सराहना की है।

साथियों,

भारत, कोरोना की लड़ाई में रीएक्टिव होने के स्थान पर हमेशा ही प्रो-एक्टिव रहा है। चाहे वों कोरोना काल में किए गए रीफॉर्म्स हों या फिर आत्मनिर्भर भारत का संकल्प हों। इसी प्रोएक्टिवनेस को बढ़ाते हुए आज के बजट में भी रीएक्टिविटी का नामोनिशान नहीं है। साथ ही, हम एक्टिव पर भी अटके नहीं है और हमने इस बजट में भी प्रो-एक्टिव बजट देकर देश के सामने प्रो-एक्टिव होने का संदेश दिया है। ये बजट उन सेक्टर्स पर विशेष रूप से केन्द्रित है जिनसे वेल्थ और वेलनेस, दोनों ही तेज गति से बढ़ेंगे – जान भी, जहान भी। इसमें MSMEs और infrastructure पर विशेष रूप से ज़ोर दिया गया है। इसी तरह, ये बजट जिस तरह से healthcare पर केन्द्रित है, वो भी अभूतपूर्व है। ये बजट देश के हर क्षेत्र में विकास, यानी all round development की बात करता है। खास तौर पर, मुझे खुशी है कि इस बजट में दक्षिण के हमारे राज्यों, पूर्वोत्तर के हमारे राज्यों और उत्‍तर में लेह लद्दाख जैसे क्षेत्रों में विकास पर विशेष ध्यान दिया है। ये बजट भारत के कोस्टल स्टेट्स जैसे तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल को एक बिजनेस पावर हाउस बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। नॉर्थ ईस्ट के राज्य, जैसे असम के Unexplored potential को टैप करने में ये बजट बहुत बड़ी मदद करेगा। इस बजट में जिस तरह से रिसर्च एंड इनोवेशन ecosystem पर बल दिया गया है, जो प्रावधान किए गए हैं, उनसे हमारे युवाओं को ताकत मिलेगी, भारत उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए बहुत ठोस कदम रखेगा।

साथियों,

देश के सामान्य मानवी का, महिलाओं का जीवन आसान बनाने के लिए उनके स्वास्थ्य, स्वच्छता, पोषण, शुद्ध जल और अवसरों की समानता पर इस बजट में विशेष बल दिया गया है। बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ-साथ कई व्यवस्था-गत सुधार किए गए हैं जिसका बहुत बड़ा फायदा देश में ग्रोथ और जॉब क्रिएशन, रोजगार के लिए बहुत लाभ होगा। देश में एग्रीकल्चर सेक्टर को मजबूती देने के लिए, किसानों की आय बढ़ाने के लिए, इस पर बजट में बहुत जोर दिया गया है, कई प्रावधान किए गए हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर में किसानों को और आसानी से, और ज्यादा ऋण मिल सकेगा। देश की मंडियों को यानि APMC को और मजबूत करने के लिए, सशक्त करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मदद का प्रावधान किया गया है। ये सब निर्णय, ये दिखाते हैं कि इस बजट के दिल में गांव है, हमारे किसान हैं। MSME सेक्टर को गति देने के लिए, रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, इस बार MSME सेक्टर का बजट भी पिछले साल की तुलना में, दोगुने से ज्यादा कर दिया गया है।

साथियों,

ये बजट आत्मनिर्भरता के उस रास्ते को लेकर आगे बढ़ा है, जिसमें देश के हर नागरिक की प्रगति शामिल है। ये बजट, इस दशक की शुरुआत की एक मजबूत नींव रखने वाला है। सभी देशवासियों को, आत्मनिर्भर भारत के इस महत्‍वपूर्ण बजट के लिए मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। फ‍िर से एक बार वित्‍त मंत्री जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत अभिनन्‍दन करता हूं, धन्‍यवाद करता हूं।