Thursday, November 3, 2022

सोशल मीडिया पर सब ज्ञानी है

गजब का तमाशा देखने को मिल रहा है देश में। हर दिन कोई न कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा हो ही जाता हैं। सोशल मीडिया के जमाने में कोई खबर किसी से छिपी नही रहती है देर सबेर गलत सही लोगो के पास पहुंच ही जाता है। तमाम फैक्ट चेकर भी है जो फैक्ट चेक करके के बताते रहते है खबर की सच्चाई अपने चैनलों के माध्यम से लेकिन क्या हो जब फैक्ट चेकर ही चोकर निकले यानी फर्जी तथ्यों को सामने रखकर उलूल जुलुल खबरों को हवा दे? 
अब जबसे से डिजिटल क्रांति हुआ है तब से देखा जाए तो लगभग हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भारत की जनता ने भीड़ लगाकर रखा हुआ है। सब कलाकार बनने लग गए है, घर बैठे पैसे कमाने के होड़ गंध से गंध भरी कलाकारी का प्रदर्शन कर रहे है। नाचना भी एक कला है ढंग से सीखने वाला ही कलाकार कहलाता है, वर्ना सारी जिंदगी भांड का तमगा माथे पर टिका रहना है...!
किताबें पढ़ो, अखबार पढ़ो, अपने आसपास का माहौल परखो, लोगों के दुःख सुख उनकी परेशानियों को समझो, प्रबोधन वहां से मिलेगा। तरस आता है उन लोगों की सोच पर जो सोशल मीडिया पर ज्ञान के लिए भटक रहे हैं। असल जीवन में बगल वाला पड़ोसी ही काम आने वाले है ये सोशल मीडिया के मित्र सिर्फ एक छलावा है। सोशल मीडिया पर कुछ पत्रकार भी मिल जाएंगे मोबाइल हईये कैमरा का क्या जरूरत उठाए मुंह चल दिए गांव के किसी सरकारी स्कूल में मैडम पढ़ा रही है बच्चो को इनको कोई फर्क नही पड़ने वाला ये उसी बीच में अपना अर्धज्ञान लेकर कूद पड़ेंगे और पूरे कक्षा माहौल खराब कर देंगे। इन्हे भले पत्रकारिता का "प" भी न पता हो फिर भी स्वतंत्र पत्रकार बनेंगे..! अरे इतना ही नही सरकारी अस्पतालों में भी घुसकर बकैती करने लग जाते है चिल्ला चिल्ला कर मानो वो एमबीबीएस करके बैठे डॉक्टर साहब कुछ जनबे नही करते है..! ये तथाकथित स्वघोषित स्वतंत्र पत्रकार सोशल मीडिया के गंदी नाली के कीड़े और कुछ नही हैं।

सोशल मीडिया पर लोग बहस करते हुए मोबाइल नंबर तो ऐसे मांगते है मानो पांच मिनट में पूरी राजनीति और अर्थव्यवस्था समझा देंगे..! एक से एक विद्वान मिल जाते है क्या ही बोला जाय जब गलत खबरों को पढ़े लिखे लोग ही हवा देने लग जाय तो..!  हद तो तब हो जाती है जब वही सोशल मीडिया का ज्ञान भोले भाले बच्चो के ऊपर थोपी जाती है। खैर बच्चों के हाथ में भी स्मार्ट फोन आ ही गया है तो क्या फर्क पड़ता है आने वाली नस्ले बिगड़े या बने किसी कोई फर्क नही पड़ता है। सब अपने घिसे-एजेंडे को लेकर चल रहे है जो बहुत ही घातक है। सोचने समझने की शक्तियों का प्रयोग बंद हो चुका है लोगो द्वारा अब जो होता है वो गूगल बाबा के माध्यम से होता है। अब किसी के पास जानकारी की कमी नही हैं। किसी भी मुद्दे पर चर्चा हो रही हो लोग घुस जाते है भले उसके बारे में रत्ती भर ना पढ़े हो पर सोशल मीडिया का ज्ञान उन्हे एक्सपर्ट बना ही देता है..! अब जैसे एक लड़का मेरे ख्याल से हाई स्कूल में रहा होगा वो मेरे मित्र के पोस्ट पर कॉमेंट करता है की "भईया जी आपको क्या पता है मुलायम सिंह यादव जी का देन है सेना के जवानों को पेंशन मिल रहा है" अब इसका क्या ही जवाब दिया जाय ? उदहारण के तौर पर भारत- चीन सीमा विवाद को लेकर बस ये पाँच सात नाम याद करने हैं गलवान, पैंगोंग सो, दौलत बेग ओल्दी, हॉटस्प्रिंग्स,श्योक रिवर,फिंगर 4-8, शिरिझप ओर आप भी इधर 'स्ट्रेटेजिक अफेयर एक्सपर्ट' ओर 'लीडिंग डिफेंस एंड सिक्योरिटी एनालिस्ट' बन जाएंगे..! बाकी सोशल मीडिया एक ऐसा रंगमंच बन चुका है जहा सब नंगा नाच कर रहे है और उसी में बुलबुल है।