Tuesday, September 6, 2022

आराम

आराम= आम ,राम और आरा 
यानी इस शब्द से फल भगवान और एक जिला निकलता है.... गर्मियों में घाम चाहे जितना लगे लोग आम दबाकर चूसते है खाते है बिना रुके थके .... हापुस चौसा लंगड़ा दशहरी, खाईब पूरा दोपहरी...

रही बात आरा जिला की तो एक नवयुवती के "लिपस्टिक" लगाने पर हिलने लगती है ... भोजपुरी के महान कलाकार पवन सिंह के गाएं है "जब लगावे लू लिपिस्टिक हिलेला आरा डिस्ट्रिक" इतना ही नही पूरा जिला हिलेगा तो भूकंप आ जाएगा न लेकिन फिर भी उस नवयुवती को जिला टॉपर बनाया जाता है... आदरणीय नीतिश कुमार जी को "लिपिस्टिक" पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था ना की शराब पर....... इस बात को लेकर झूमने और चूमने वाले युवा क्रांतिकारियों में जबरदस्त भिड़ंत देखी गई है.....

एक आते है "राम" भगवान इनको कवनो फर्क ही नही पड़ा काटे कंकड़ पत्थर जंगल झाड़ी नग्न पैर चलते रहे है , जहा जहा गए छाप अपनी छोड़ते रहे ... बिना रुके बिना थके समुद्र से याचना किया , चाहते तो पहले ही तीर निकालकर चीर देते समुद्र को... लेकिन दिव्य शक्तियों का प्रयोग हर वक्त करने से मनुष्य "मरा" सिद्ध होता है, "राम" बनने के लिए पौरुष बल ही बड़ा होता है....सब्र और प्रतीक्षा बांध टूट गया जब "राम" के सामने तो ...प्रश्न उठता है यहां हम क्यों चले "आराम" करने।

ये शब्द "आराम" सुनने में ही अच्छा लगता है अब तो🙂


©शिवम कुमार पाण्डेय