Saturday, February 26, 2022

सत्ता के खातिर ना जाने कहा तक गिरेंगे

आज ही के दिन 2019 में "एयर स्ट्राइक" करके भारतीय वायुसेना ने पुलवामा हमले में वीरगति को प्राप्त हुए सीआरपीएफ के जवानों का बदला लिया था। 14 फरवरी को 2019 को पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने दक्षिण कश्मीर में पुलवामा के पास जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाया था, जिसमें 40 सीपीआरएफ के जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे । यह एक आत्मघाती हमला था। इसके कुछ दिनों के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनवा प्रांत के बालाकोट में एक शिविर पर हवाई हमला किया था और पाक स्थित आतंकी कैंपों का खात्मा कर दिया था। यह समय था सेना के पीछे एकजुट होने का तो विपक्षी पार्टी के नेता लोग घटिया बयान देकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे थे। 

जरा उस समय के कुछ बयानों पर गौर फरमाएं-

ममता बनर्जी -
मोदी बाबू, हमलेे के समय आप कहां थे?, आपको पहले से पता था कि यह घटना होगी। आपके पास पहले से जानकारी थी। केंद्र सरकार केेेेेेे पास इस संबंध में खुफिया जानकारी थी। फिर जवानों को उस दिन हवाई मार्ग से क्यों नहीं जानेे दिया गया? काफिले के मार्ग की नाका जांंच क्यों नहीं की गई ? जवानों को मरने केेे लिए क्यों छोड़ दिया गया ?  इसलिए कि आप चुनावों से पहलेे मामले का राजनीतिकरण करनाा चाहते थे। हमारेेे जवानों के खून का इस तरह राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। मोदी शांति के संदेशवाहक होने का नाटक करते हैं। वही उनकी पार्टी गुप्त रूप से देश में युद्ध समान परिस्थितियां पैदा करना चाहती है और दंगा करना शुरू देती है।

अरविंद केजरीवाल- देश शहीदों के गम में रो रहा था, देश गुस्से में था अपमानित महसूस कर रहा था। मंगलवार को देश ने सख्त संदेश पाकिस्तान को दिया, पर दोबारा देश की आत्मा रो पड़ी। जब देश और जवान नहीं बचेगा तो बूथ कहां से बचेगा। आखिर, चुनाव जीतने के लिए पीएम मोदी को कितनी लाशें चाहिए।

पी. चिदंबरम- भारतीय वायुसेना के वाइस एयर मार्शल ने हताहतों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि कोई नागरिक या सैनिक हताहत नहीं हुआ। तो, हताहतों की संख्या 300-350 किसने बताई? एक नागरिक के तौर मैं अपनी सरकार पर भरोसा करने के लिए तैयार हूं लेकिन अगर हम चाहते हैं कि दुनिया को भरोसा हो तो सरकार को विपक्ष को कोसने की बजाय इसके के लिए प्रयास करना चाहिए।

दिग्विजय सिंह- हमें हमारी सेना पर और उनकी बहादुरी पर गर्व है व संपूर्ण विश्वास हैं। किंतु पुलवामा दुर्घटना के बाद हमारी वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद कुछ विदेशी मीडिया में संदेह पैदा किया जा रहा है, जिससे हमारी सरकार की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिह्न लग रहा है।

कपिल सिब्बल-  मोदी जी! क्या इंटरनेशनल मीडिया... न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट, डेली टेलीग्राफ, द गार्जियन, रॉयटर्स ने बालाकोट में आतंकियों को किसी  तरह का नुकसान न होने का सुबूत दिया है? आप,आतंक का राजनीतीकरण करने के लिए दोषी हैं? 

बसपा सुप्रीमो मायावती- भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दावा करते हैं कि एयर फोर्स की स्ट्राइक में 250 आतंकवादी मारे गए हैं लेकिन उनके गुरु जो हमेशा हर बात पर क्रेडिट लेते हैं, इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू- वहां आतंकियों को मारने गए थे या पेड़ उखाड़ने। क्या  मुट्ठी भर लोगो के लिए एक पूरे देश को या किसी एक व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है। आतंकवाद का कोई देश नहीं होता , ना आतंकियों का कोई मजहब।

बीके हरिप्रसाद- पुलवामा हमले के बाद के घटनाक्रम पर यदि आप नजर डालेंगे  तो पता चलता है कि यह पीएम मोदी और पाकिस्तान के प्रधामंत्री इमरान खान के बीच मैच फिक्सिंग थी।

सपा नेता राम गोपाल यादव ने दावा किया था कि पुलवामा आतंकवादी हमला वोट हासिल करने के लिए रचा गया ‘‘षड्यंत्र'' था।

सेना के एक पूर्व अधिकारी का कहना है जब बिना जांचे-परखे न्यूज फैलाई जाती है तो उसका फायदा चीन और पाकिस्तान और उन तत्वों को होता है, जो हमारे देश को बर्बाद करना चाहते हैं।पिछले 3 साल में कई राजनीतिक दल एयर स्ट्राइक के सबूत मांग चुके हैं।

इसी तरह 2016 में जब उड़ी हमले के बाद भारतीय थल सेना ने 28 -29 सितंबर 2016 को पीओके में दाखिल होकर पाकिस्तान के कई आतंकी अड्डों को ध्वस्त किया। सेना की इस कार्रवाई में भी बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए थे। बाद पाकिस्तान ने माना कि पीओके में भारतीय सेना दाखिल हुई और ऑपरेशन किए । लेकिन राहुल गांधी सहित विपक्ष के कई नेताओं ने सेना के पराक्रम पर सवाल उठाते हुए हमले के सबूत मांगे थे। सेना ने वीडियो जारी कर इन लोगो के मुंह पर झन्नाटेदार तमाचा भी मारा है।