Friday, April 10, 2020

मातृभूमि

जब बच्चा पैदा होता है तो माता के रक्त से बना दूध उसका पालन पोषण करता है । जब वह बड़ा हो जाता है तो  अपना पेट कहा से भरता है? इस धरा से उत्पन्न अन्न से ही न ये धरती ही न उसका पेट भरती है  जहां हम रहते है वो मां भारती है ... आपके विचार धर्म इत्यादि अलग हो सकते है पर मातृभूमि तो एक है न इसके लिए ही तो तन मन धन लुटाने की बात हम करते है। कुछ लोग आज कल वन्देमातरम् को सांप्रदायिक बताकर गाने से मना कर है। मै पूछता हूं इन लोगो से क्या मां की वंदना  करना या गीत गाना गुनाह है क्या? भारत माता की जय बोलना भी इन लोगों के लिए सांप्रदायिक हो जाता है! सबका अपना अपना विचार है जिसको बोलना है बोले जिसको नहीं बोलना है मत बोले।
पर जो आज वन्देमातरम् बोलने और भारत माता की जय बोलने से मना कर रहा है निश्चिंत ही वो कल को दुश्मन देश के शत्रुओं के विरुद्ध भी देश का साथ न दे या  यह कह ले कि विदेशी आक्रांताओं से हाथ मिला ले..
मेरे जैसे लोग देश को एकजुट करने के दिशा में काम कर रहे है करते रहेंगे। हमारी संस्कृति और सभ्यता सबसे पुरानी है एक से एक योद्धा यहां पैदा हुए रामायण , महाभारत, गीता पुराण वेद इसका जीता जागता उदाहरण है फिर भी हम कई दशकों और कोई सौ सालो तक गुलाम रहे है। हमे इन सब मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है मिठाई बाटते है पर 14 अगस्त को भूल जाते जिस  दिन भारत माता को खंडित कर दिया गया था ...
उन तमाम वीर शहीदों की शहादत भी किसी को याद नहीं रहती है देश का इस तरह का विस्तार किया गया कि आज भी देश में घूसखोरी , भ्रष्टाचार आतंकवाद इत्यादि चरम पे रहता है!
इससे साफ पता चलता है कि आज भी विदशी पैरो की धूल हमारे पीठ पर लगी हुई है जिसे साफ करने की सख्त जरुरत है।।
जय हिन्द।।
जय भारत।।

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