इससे पहले भी माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में 2018 में अंडमान के द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया था। देश की भावना को समझते हुए, नेताजी से जुड़ी फाइलें भी मोदी सरकार ने सार्वजनिक कीं थी और ये इसी सरकार का सौभाग्य रहा जो 26 जनवरी की परेड के दौरान INA Veterans परेड में शामिल हुये थे।
नेताजी कोई मामूली व्यक्ति नहीं थे जिन्हे भूला देना आसान है। ये वही व्यक्ति है जिसने नारा दिया था "आजादी छीनकर हासिल होती है मांग कर नहीं। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" ब्रिटिश राज की निंद उड़ गई थी जब बोस बाबू ने कड़े पहरे को चकमा देकर जर्मनी भाग गए। जहा उन्होंने युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग ली और हिटलर की मदद से द्वितीय विश्व युद्ध के युद्धबंदी भारतीय सिपाहियो के साथ मिलकर एक फौज खड़ी कर दी थी।4 जुलाई1943 में सिंगापुर के कैथे भवन में एक समारोह में रासबिहारी बोस ने आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हाथों में सौंप दी थीं। करीब 26,000 से ज्यादा सिपाहियो ने अपनी कुर्बानी दे दी थी जय हिन्द और चलो दिल्ली का नारा जोर शोर से गूंजा था। ब्रिटिश राज तो बोस के नाम से भी कांपने लगा था। फिर तो Royal Indian Navy के सिपाहियों ने बगावत शुरू कर दी थी धीरे - धीरे ब्रिटिश राज अंदर से खोखला हो गया और भारत छोड़कर जाना ही पड़ा।
नेताजी जैसे महान क्रांतिकारी को गुमनामी में जीना पड़ा ये कितने शर्म की बात है जिसकी वजह से आज़ादी मिली उसकी जयंती को भुला दी गया था। 70 साल लग गए गणतंत्र दिवस परेड में आजाद हिन्द फौज के सिपाहियो सम्मान देने में। ये वही नेताजी है जिन्होंने आजाद हिंद के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे जर्मनी, जापान, फिलिपींस, कोरिया, चीन, इटली, आयरलैंड समेत नौ देशों ने मान्यता भी दिया था। नेताजी ने आजाद हिन्द बैंक की स्थापना की और आजद हिन्द रेडियो से अपनी बात रखते थे। इनका सपना था अखण्ड भारत का जो पूरा नहीं हुआ। इनके अचानक से गायब होना भी एक षड्यंत्र था।
"दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल.." मुंह से बोलने वाली बात है पर हकीकत तो ये है कि मां भारती के महान सपूत नेताजी और इनके सिपाहियो की देन थी अंग्रेज़ देश छोड़कर भागना शुरू किए। सत्य और अहिंसा कहने वाली बात होती है जब विदेशी आक्रांताओं के मार से मां रक्त के आंसू बहा रही हो और उपर आंखे सुख गई हो तो तब शत्रुओं के मस्तक को धड़ से अलग करना ही पुत्र करना सर्वप्रर्थम कर्तव्य होता है । पूरी धरती को खून से सींच कर पवित्र कर देना ही महान कर्तव्य है..! यही काम बोस ने किया था जो हर मां भारती के सपूत करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि "आज के ही दिन माँ भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आज़ाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी।
आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आज़ादी मांगूंगा नहीं, छीन लूँगा ! देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती, यानी 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया करेंगे।हमारे नेताजी भारत के पराक्रम की प्रतिमूर्ति भी हैं और प्रेरणा भी हैं।"
शत - शत नमन है मां भारती के इस महान सपूत को..!
जय हिन्द !
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" का नारा देकर आजादी के लिए जनता में जोश भरा अलख जगाने वाले मां भारती के महान सपूत को शत शत नमन 🙏🙏
ReplyDeleteनमन।🌻🙏
Deleteबहुत ख़ूब! 👏
ReplyDeleteजी आपका बहुत धन्यवाद सौरव जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻
Deleteजय हिन्द।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती की सभी देशवासियों को बधाई। नेताजी जैसे करिश्माई
ReplyDeleteव्यक्तित्व पर सभी भारतीयों को गर्व है और रहेगा।
बिल्कुल सही कहा आपने वीरेंद्र जी।
Deleteजय हिन्द।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जन्मदिन पर प्रस्तुत आपका लेख अत्यंत प्रभावकारी है..देशप्रेम से ओत प्रोत आपकी रचनायें एक अलग प्रभाव डालती हैं..सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
ReplyDeleteजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी।
Deleteजय हिन्द
बहुत बहुत सुन्दर लेख । नेता जी ने जो कुछ देश के लिए किया उसके बदले देश ने उन्हें उनके हिस्से को सम्मान तक नहीं दिया ।सच यह देख कर बहुत दुख होता है ।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार आलोक जी।🌻
Deleteबढ़िया लेख
ReplyDeleteजी आपका बहुत धन्यवाद सरिता जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद एवं आभार ज्योति जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।
Deleteप्रभावी लेखन । नेता जी को हार्दिक नमन ।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद एवं आभार अमृता जी।
Deleteनमन।🌻