भाजपा के वापसी का कारण एक नहीं अनेक प्रमुख कारण हैं जैसे-
गावों में 18 घंटे बिजली का रहना, गावों तक सड़कों का जाल बिछना (कुछ क्षेत्रों को छोड़कर), कोरोना काल से ही मुफ्त राशन, लाकडाउन के समय महिलाओं के जनधन अकाउंट में तीन माह तक ₹500 तक देना, किसानों के अकाउंट में सलाना ₹6000 का वितरण, अयोध्या दिपोत्सव, अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि का निर्माण, काशी में बाबा काशी विश्वनाथ जी का कारीडोर, मुफ्त कोरोना वैक्सीन, इत्यादि। ये सारी चीजें भाजपा को जमीनी स्तर तक पहुंचने में मदद की हैं।
योगी आदित्यनाथ की छवि -
सबसे अधिक अगर भाजपा को जमीन से जोडने का काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुलडोज़र चलाने वाली छवि ने कार्य किया है।
इस सब से प्रदेश के लोगों को लगा की उत्तर प्रदेश में कोई पहला मुख्यमंत्री है जो बाहुबलियों को घुटने टेकने पर मजबूर किया है। शहर में किसी को लगे या ना लगे लेकिन गावों में लोग इससे प्रभावित हुए हैं।
विपक्ष के बयान वीरों के घातक बयान-
भाजपा को मजबूती देने का कुछ काम तो विपक्ष में बैठे बयान वीरों ने ही किया है जैसे - अखिलेश यादव का कोरोना वैक्सीन पर दिया गया ज्ञान, अखिलेश यादव का जिन्ना के प्रति दिया गया ज्ञान भी इस कड़ी में भाजपा को आगे कर रहा है और अभी हाल ही में कई सपा नेताओं द्वारा लडकियों के शादी की उम्र को लेकर दिया गया बयान भी भाजपा को मजबूती देने का काम किया है।
इस बयान वीरों की श्रृंखला में केवल समाजवादी पार्टी के बयान वीर नहीं है बल्कि इस देश के सबसे बड़े बयान वीर माननीय श्री राहुल गांधी जी भी आगे ही हैं। उनका हिंदू और हिंदुत्व पर हर तीसरे दिन दिया जाने वाला बयान प्रियंका वाड्रा के मंदिर दर्शन और तिलक को तिरस्कृत कर रहा है। एक तरफ प्रियंका वाड्रा मंदिर में जाकर कांग्रेस को प्रदेश में तीसरे नंबर की पार्टी बनाने की कोशिश कर रही हैं तो राहुल गांधी अपने हिंदू-हिंदुत्व ज्ञान से कांग्रेस को और नीचे धकेल रहे हैं।
औवैसी फैक्टर -
वैसे तो असुद्दीन औवैसी को विपक्ष की पार्टियां भाजपा की B टीम कहती हैं और उनका ये कहना गलत नहीं है क्योंकि औवेसी जहाँ भी चुनाव लड़ते हैं वहां मुस्लिम मतों में बिखराव कर भाजपा को मदद ही करते हैं। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया फिर उसके पश्चात बिहार में आरजेडी और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। अब जहां मुस्लिम मतों का बिखराव होगा वहां विपक्षी पार्टियों को नुकसान तो होगा ही और यही नुकसान भाजपा को फायदा पहुंचाता है।
बसपा का जमीनी स्तर पर कमजोर होना -
भाजपा के जीत का आखिरी कारण और मजबूत कारण बसपा का जमीनी स्तर पर कमजोर होना है। हाथी जितना सुस्त होगा कमल उतना ही खिलेगा। क्योंकि बसपा का कोर वोटर समाजवादी पार्टी को कभी वोट नहीं करता है और ना ही कभी करेगा। इसका उदाहरण 2019 के लोकसभा चुनावों में देखा जा चुका है सपा- बसपा गठबंधन के बावजूद बसपा का कोर वोटर सपा को वोट नहीं किया और नतीजा सपा अपने घर की सीटें भी हार गई। बसपा के न जीतने की स्थिति में बसपा के वोटर भाजपा को वोट करेंगे और भाजपा मजबूत होती जाएगी...
ऐसा नहीं है कि सपा मजबूत नहीं है लेकिन अभी की सपा कमजोर हो गई है। 2012 में जब सपा प्रचंड बहुमत से सरकार में आई थी तो वो वक्त अलग था। उस समय मुलायम सिंह यादव, आजम खां, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल यादव जैसे नेता का जमीन पर पकड़ और अपने मतों को जोड़े रखने की राजनीतिक कौशल मजबूत थी। उस समय नरेन्द्र मोदी गुजरात से बाहर नहीं निकले थे। नरेन्द्र मोदी का लहर नहीं था। उस समय योगी आदित्यनाथ जी का प्रदेश राजनीति में जन्म नहीं हुआ था वो एक लोकसभा और आस पास तक ही सीमित थे। लेकिन आज अखिलेश यादव अकेले हैं ना मुलायम सिंह यादव सक्रिय हैं ना आजम खां जो अपने पारम्परिक मतों के बिखराव को रोक लें। शिवपाल सिंह यादव का दल तो अखिलेश यादव से मिल गया लेकिन दिल मिलने में वक्त लगेगा क्योंकि ये चुनावी मिलन है पारिवारिक मिलन नहीं और इसीलिए दल मिले हैं दिल नहीं। और जब तक दिल मिलेंगे तब तक देर हो गई होगी....
बाकी समय का इंतजार करें।
( लेखक इलहाबाद विश्वविद्यालय से आधुनिक इतिहास एंव हिंदी विषयों में स्नातक और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से शिक्षा शास्त्र में स्नातक हैं। हिन्दी एंव शिक्षाशास्त्र से परास्नातक किया हैं।)
आपका विश्लेषण बहुत तथ्यात्मक है ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पोस्ट । शुभाकामनाएं शिवम जी ।
ReplyDeletegood to read
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