Thursday, July 28, 2022

तन मन से अखण्ड भारत

मेरी कलम है घायल 
जैसे वैश्या के पैरों में पायल
घुटन महसूस होती है
तड़प तड़प कर कट रहा जीवन
शांति की बात और शीतल पवन
बहुते शर्म आती है
भारत माता टुकड़े टुकड़ों में बट जाती है
अरे वाह देखो कैसे आजादी की मिठाई बाटी जाती है..
हर्षों उल्लास मनाया जाता है मां के टुकड़े करकर 
क्या ये वही भारत है जिसके कण कण में शंकर ...
क्या मिला आजाद को गोली खाकर ?
 भगत सिंह के सपनो का भारत 
बन गया फांसी चढ़कर ?

लाल किले से आई आवाज
 सहगल ढिल्लो शाहनवाज, 
तीनों की उम्र हो दराज ।
 'लाल किले को तोड़ दो, 
आजाद हिन्द फौज को छोड़ दो।'

नेताजी कहा गए ? 
उनको देता रहता हू आवाज 
गुमनामी में जीवन बिता 
क्यों कहते हो की उनको खा
गया हवाई जहाज...
आजाद हिंद फौज ने दिया बलिदान 
फिर भी हो गया "चरखा" महान
वाह! रे.. हिंदुस्तान...

इनके बलिदानों की तुलना चरखो से की जाती है
हो भी क्यों ना जब जवानी कापुरुषता के क्रोड़ में सो जाती है...

काला पानी का काल कूट पीकर 
वीर सावरकर का चेहरा और निखर जाता है
दुख तब होता है जब गलफत के नींद में पड़ा बेखबर 
कोई युवा "कायर" कह जाता है...
भारत माता के टुकड़े कर
 अपनी अपनी सरकार बनाई जाती है
एक जिहाद फैलाता है
एक शांति का श्वेत कबूतर उड़ाता है

खंडित भारत की तस्वीर 
मेरे मन को नहीं भाता है
 तन में आग लग जाता है
फिर अटल जी के शब्दो को 
मुख बार बार दोहराता है_

"दूर नहीं खण्डित भारत को, पुन: अखण्ड बनायेंगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक, आजादी पर्व मनायेंगे।

उस स्वर्ण दिवस के लिए, आज से कमर कसें, बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें॥"

~शिवम कुमार पाण्डेय

28 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
    --
    कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आपका बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी❤️🙏🌻

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  2. बहुत बढ़िया भाई❤️
    शानदार🔥

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    1. आपका बहुत धन्यवाद आकाश जी।🌻❤️💙

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    1. आपका बहुत आभार सर। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻❤️🙏

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  4. वाह..!
    बेहतरीन कविता 🔥

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  5. जो पाया उसमें खो न जाएं, जो खोया उसका ध्यान करें॥" वाह क्या बात है! क्या बात है! बहुत बढ़िया। बहुत सुंदर। बधाई आपको।

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    1. आपका बहुत धन्यवाद वीरेंद्र जी।🌻❤️

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  6. बहुत सुंदर

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    1. आपका बहुत धन्यवाद ओंकार जी❤️🌻
      स्वागत है सर आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।
      🙏

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  7. आदरणीय शिवम् पांडेय जी, नमस्ते 🙏❗️
    आजाद हिंद फौज ने दिया बलिदान
    फिर भी हो गया "चरखा" महान
    वाह! रे.. हिंदुस्तान...
    यही तो भ्र्म फैलाया गया.
    आपकी यह रचना राष्ट्रीयता और अखंड भारत की परिकल्पना के प्रति जागरूक करता है. साधुवाद ❗️
    कृपया इस लिन्क पर मेरी रचना मेरी आवाज में सुनें, चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार अवश्य दें! सादर!
    https://youtu.be/PkgIw7YRzyw
    ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. आपका बहुत आभार सर। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर❤️🙏🌻

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  8. बहुत सुंदर भावों से रचना सार्थक सृजन शिवम् जी।
    मर्म स्पर्शी।

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    1. आपका बहुत आभार कुसुम जी।❤️🌻🙏

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  9. राष्ट्र को समर्पित चिंतनपूर्ण सृजन !

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    1. आपका बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी महत्वपूर्ण टिप्पणी करने के लिए..!❤️🙏🌻

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  10. bahut badhiya likhe hain👏👏

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  11. मर्मस्पर्शी सृजन ।

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    1. आपका बहुत आभार संजय जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर🙏🌻

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