Sunday, May 24, 2020

आजाद हस्ती और हिंदुत्व की अग्नि

             (1)
वीर भूमि का वीर पुत्र हूं
कैसे भूल सकता हूं ज़ुल्मो को
एक तरफ देश बटा, कैसे बटने 
दे सकता हू श्रीरामचन्द्र की भूमि को।
ना जाने किन परिस्थितियों में लूट
गया मेरा भारत, अब ना बिखरने देंगे
 इसकी आजाद हस्ती को।।
     
                (2)
जोर लगाओगे तभी  तुम्हारा शोर होगा
हक मिलता नहीं मांगने से छिनना पड़ता है
हिंदुत्व की अग्नि है इसमें तपना पड़ता है
आओ ये प्रण ले कल भारत की तस्वीर बदलेंगे ,
हम हिन्दू भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाके  दम लेंगे ।।


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