Friday, September 11, 2020

सुबह सुबह पईसा से मिलते ही अपना बचपन याद गया

तीन भाई डॉलर, रुपया और पईसा। डॉलर दोनों से उम्र में बड़ा और समझदार भी है। रुपया इधर की बात उधर करने में मग्न रहता है। कोई सही बात करो बुरा मान जाता है और कहत है कि आप झूठ बोल रहे है अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत दिखाए वरना लौट के जाय। जब मै अपनी बात को सही साबित कर देता हूं तो दांत चियार देता है और कवनो काम भी तो नहीं उसके पास इसके अलावा। डॉलर कहता भी है भैया काहे ई पागल से बतिया के अपना भेजा फ्राई करते है ये अपने आगे किसी की सुनता ही नहीं है देखो कब से कह रहा हूं जाओ अम्मा बुला रही है तो नहीं जा रहा ताकि काम न करना पड़े कामचोर कहीं का। फिर मैने बोला जाने दो खेलने कुदने का दिन है कुछ दिन और हवा में उड़ लेने दो। तभी रुपया अपनी सफाई में बोला- अरे नहीं भईया इसकी बात मत मानिए  ई तो ऐसे बोल रहा है जैसे सारा काम यही करता है। गाय को चारा डालना , गोबर फेंकना, गाय को नहलाना, फलाना ढीकाना। दूध हम दुहते है गाय का और लत्ती भी खाते है  मज़ा ई लेता है । बड़ा है न इसीलिए हर जगह काबिल बनने लग जाता है। फिर मैंने कहा अच्छा ठीक है ई बताओ जरा ' पईसा ' नहीं नजर आ रहा है कहा होगा इस वक्त इतना दिन हो होय गया गांव आए हुए एक्को दिन लौका नहीं कहीं अपने नानी के यहां तो नहीं चला गया है? 
तब डॉलर बोला - नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । उ सवेरे घर निकल जाता है तो शाम को  या तो अन्हरिया में ही मिलेगा। बड़ा चंठ होय गया है सारा दिन गोली/ कंचा , क्रिकेट में लगा रहता है। पढ़ाई लिखाई में तो ध्यान रहता नहीं है बस दीनवा भर घूमता रहता है।
खैर मुझे पता है जब मै पिछले साल पईसा से मिला था तो उसकी गणित अपने दोनो बड़े भाईयो से तेज था और अभी भी है। शरारती बड़ा है पेड़ पे तो ऐसे चढ़ जाता है मानो गिलहरी सर्रर दे गुजर गई पता भी ना चला। एकदम सुबह उससे मुलाकात हुई हालचाल पूछा तो बोला ," एकदम मस्त है" हाथ में बिस्कुट और टोस्ट लेके जा रहा था लगता है अभी दुकान से ही आ रहा है। उसने मुझसे पूछा - चाय नाश्ता हो गया क्या भैया?
मै बोला - नाश्ता तो नहीं पर चाय जरूर पी लिया हूं।
उसके बाद बोला चलिए ठीक है साइकिल से था तेजी में निकल गया कहीं उसकी चाय न ठंडी हो जाय। तेज हवा चल रही थी अचानक से एका एक मौसम ने रुख बदल बदल लिया घनघोर बादल छाए हुए थे और मै भी जल्दी से घर की तरफ निकल लिया। खूब तेजी से वर्षा होने लगी इस बार धान के खेती में लगभग सभी लोगों ने जोर दिया है। इस झमाझम बारिश की ही तो बस दरकार थी बस खेतो में जम के पानी लग जाय और का चाहिए। चलो आज तो मज़ा आ जाएगा गरमा गरम पकौड़ी खाने को मिलेगी घर पे इस बरसात में।

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