महाभारत में जब पांडव का बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास खत्म हुआ तो उन्होंने अपना राज्य इंद्रप्रस्थ को कौरवों से मांगा, और इसके लिए पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण को अपना दूत बना कर भेजा, भगवान श्रीकृष्ण युद्ध नहीं चाहते थे और पांडव भी युद्ध नहीं चाहते थे।
भगवान श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र की भरी सभा में शांति का प्रस्ताव रखते हैं और पांडवों का इंद्रप्रस्थ मांगते हैं लेकिन दुर्योधन कहता है कि वह इंद्रप्रस्थ नहीं देगा और पूरी हस्तिनापुर की धृतराष्ट्र सभा मौन रहते हैं। इस पर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ठीक है दुर्योधन पांडवों को केवल पांच गांव ( अविस्थल, वकरास्थल, मकांडि, वरणाव्रत और एक कोई भी गांव) लेकिन दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण के इस शांति प्रस्ताव को ठुकराते हुए बोलता है कि “मैं पांडवों को एक सई की नोक के बराबर भी भूमि नहीं दूंगा”। दुर्योधन के इस जवाब पर भगवान श्रीकृष्ण उठकर जाते हैं तब दुर्योधन भगवान श्रीकृष्ण को बंदी बनाने का आदेश देता है फिर भगवान अपना विराट रूप दिखाते हैं।
फिर महाभारत का युद्ध होता है और पांडव इंद्रप्रस्थ के साथ साथ पूरा हस्तिनापुर हासिल करते हैं। धर्म ग्रंथ में उलेखित इस पंक्तियों का सार इतना ही है कि युद्ध कोई नहीं चाहता है सभी शांति चाहते हैं।
अब इस दौर में अयोध्या आंदोलन के नायक रहे स्वर्गीय डॉक्टर अशोक सिंघल जी भी महाभारत का मर्म जानते थे इसीलिए उन्होंने उस समय मुस्लिम समाज से अपिल की थी आप हिंदूओं को उनका केवल तीन स्थल “अयोध्या, मथुरा, काशी” दे दीजिए, हिंदू तीन लाख मंदिरों को तोड़कर बनाई गई मस्जिदों पर अपना दावा कभी नहीं करेगा लेकिन मुस्लिम समाज और उनके तथाकथित बुद्धिजीवी सेकुलर गिरोह ने वही काम किया जो धृतराष्ट्र की सभा में दुर्योधन ने किया कि “हम सुई के नोक के बराबर भी भूमि नहीं देंगे”
मुस्लिम समाज और उनके पैरोकार सेकुलर हिंदू भी वही काम किया और दावा नहीं छोड़ा, उन्होंने दावा अयोध्या पर भी नहीं छोड़ा, वो दावा काशी और मथुरा पर भी नहीं छोडऩे को तैयार हैं जबकि काशी में तो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है कि वो मंदिर ही है। नंदी की मूर्ति, ज्ञानवापी कुआं से लेकर के श्रृंगार गौरी माता की मंदिर तक सारे साक्ष्य उपलब्ध हैं। फिर भी मुस्लिम समाज दावा नहीं छोड़ रहा है।
जो शांति चाहता है वह रास्ता ढूंढने का काम करता है लेकिन मुस्लिम समाज हठधर्मिता नहीं छोड़ रहा है। यही कारण है कि हिंदू समाज को सुप्रीम कोर्ट से 400 साल बाद अपने आराध्य के लिए हक लेकर आना पड़ा है। यही सब कार्य पिछले कई सालों से हिंदू समाज को अंदर ही अंदर संगठित करने का काम कर रहा था और आज हिंदू समाज संगठित हो चुका है कुछ सेकुलर हिंदुओं को छोड़कर करके।
जो महाभारत में भी थे जो जानते थे कि पांडव सच के साथ हैं, धर्म के मार्ग पर हैं फिर भी उन्होंने अधर्म का साथ दिया। जिनमें भीष्म पितामह, गुरु द्रोण, कृपाचार्य, महारथी कर्ण और नारायणी सेना।
जो काम भगवान श्रीकृष्ण ने धृतराष्ट्र की सभा में किया था आज वही काम हिंदू समाज कर रहा है अपना विराट रुप दिखा रहा है उसी का नतीजा है काशी के बाबा विश्वनाथ धाम में जो कोर्ट का फैसला आया है।
मुस्लिम समाज ने बाबा धाम के सर्वे को रोक दिया था इसीलिए कोर्ट ने कहा अब सर्वे केवल श्रृंगार गौरी मंदिर का ही नहीं बल्कि पूरे मस्जिद का भी होगा।
चार दिन के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि पीएसी लगाकर सर्वे कराया जाए और अगर कोई सर्वे में बाधा उत्पन्न करता है तो उस पर एफआईआर दर्ज किया जाए और उसको जेल भेजा जाए। सर्वे अंदर बैरिकेडिंग हटाकर होगा। सर्वे के दौरान अगर कहीं ताला बंद है तो उसे तोड़कर सर्वे पूरा किया जाएगा।
तो आज हिंदू समाज जागृत हो चुका है इसीलिए वह अब केवल इंद्रप्रस्थ या पांच गांव लेकर संतुष्ट नहीं होगा उसे अब पूरा हस्तिनापुर भी चाहिए और यही कारण है कि मथुरा, काशी दोनों स्थलों का केस कोर्ट में है और कुतुबमीनार से लेकर कश्मीर के मार्तंड मंदिर तक सब पर हिंदू समाज ने अपना दावा किया है। हिंदू समाज की जागृति ही है जो आपको कोर्ट लेकर जा रही है क्योंकि वहाँ युद्ध से नहीं बल्कि साक्ष्यों के बल पर हिंदू अपना हक ले रहा है।
हिंदू जागृति का ही फल है कि आज के दौर में सेकुलर राजनीतिक दल प्रत्यक्ष रूप से हिंदू समाज के खिलाफ और मुसलमानों का खलीफा बनने की कोशिश भी नहीं कर रहा है और जिसने किया भी है उसका हश्र पिछले कई सालों से क्या है रहा है वो भी किसी से छुपा नहीं है।
इसलिए मुस्लिम समाज और तथाकथित सेकुलर गिरोह भविष्य में इस तरह के और स्थलों के लिए तैयार रहे क्योंकि देश में तीन लाख से अधिक मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है ( सुब्रमण्यम स्वामी और स्वर्गीय डाँ अशोक सिंघल जी के अनुसार)। दो मंदिर तो बनारस में ही हैं जिनको तोड़कर मस्जिद बनाया गया है।
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन।
रग-रग हिन्दू मेरा परिचय।।
बोल डमरू वाले की जय....
लेखक: कृष्णकांत उपाध्याय
It's good information sir & Thank-you for the information.
ReplyDeleteराष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर आपका स्वागत है।🌻
DeleteVery nice information
ReplyDeleteThank you..!
Deleteपुर्णतः सहमत आपकी बात से ... इतिहास सही करने की जरूरत है ...
ReplyDeleteपूर्ण शान्ति के लिए ये सब बहुत ज़रूरी है ...
आपका बहुत आभार दिगम्बर जी🌻
Deleteबहुत सुंदर लेख।
ReplyDeleteआपका बहुत आभार नीतीश जी।
DeleteYadi Mai mukhyamantri mukhyamantri hota to aaj ke is Nibandh me aap janege ki yadi mukhyamantri
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