जब भी आईने में शक्ल देखता हूं
तो यह प्रश्न उठता है!
बिना मेहनत संघर्ष के कुछ नही मिलता है!
तुम्हारा वजूद क्या है?
जब भी मैं अपनी आत्मा से बात करता हु तो प्रश्न उठता है!
ईमानदारी और सच्चाई का दामन कभी मत छोड़ना
बिकने को तो हर दिन दो पैसे में भड़वा बिकता है!
तुम्हारा वजूद क्या है ?
स्नान करता हु सर पर जब ठंडा पानी गिरता है,
यह प्रश्न उठता है!
सूरज के उगने से पहले जागो,
तलवे चाटने के बाद तो
कुत्ता भी दिनभर सोता है।
बहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद आलोक जी।♥️🌻
Deleteवाह! शिवम् जी, आनंद आ गया। बहुत सुंदर भाव!!!
ReplyDeleteआपका बहुत ही आभार सर।♥️🌻
Deleteवाह ... नाम के भाव ओजस्वी लेखन ... आनंद आ गया ...
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी।♥️🌻
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