Tuesday, June 21, 2022

इनकी बाते भी हवा हवाई रह गई है...!


वो बड़ा क्रांतिकारी बन रहा था। जब तक विश्वविद्यालय में था तब तक त्याग और संघर्ष की बाते करता था। गरीबों और पिछड़ों की बात रखता था। कहता था मैं अपने विचारो से समझौता नहीं करूंगा। खैर , बोलने को तो व्यक्ति अपनी प्रेमिका से यह भी बोल देता है कि मैं तुम्हारे लिए चांद सितारे तोड़ लाऊंगा। चले थे संघ के विचारधारा को खत्म करने इनकी खुद की ही पहचान मिट गई। आजकल खुद को युवा नेता कहने वालो की कमी नही है हर गांव गली मोहल्ले में मिल जायेंगे। अंदर से खोखले हो चुके इन तथाकथित युवा नेताओ का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। वो जमाना गया जब संघर्ष होता था आजकल तो हड़बड़ी मची हुई है सबसे आगे निकलने की भले उसके लिए थूककर चाटना पड़े। स्तर इतना नीचे गिर गया है की कुछ संभव हैं आज की राजनीति में। अभी हाल में ही एक युवा नेता जो प्रधानमंत्री के विचारो का रत्ती भर भी समर्थन नही करता था आज भाजपा में शामिल होकर प्रधामंत्री का छोटा सिपाही बना फिर रहा है। वही बात है न आजकल के युवा करते है प्रेम में वादा और वादा का उलटा होता है दावा ... बड़े बड़े दावों का पोल खुल जाता है जब निभाने की बात आती है तो। बाकी युवा का उलटा भी तो वायु होता है वायु का मतलब हवा अर्थात इनकी बाते भी अब हवा हवाई रह गई है।

जिस वाशिंग मशीन का विरोध होता आ रहा था आज उसी वाशिंग मशीन में दाग धुलकर चमकती सफेदी लाई जा रही है।
सांप, बिच्छू, नेवला लोमड़ी आदि सब के सब शेर के साथ मिलकर सत्ता में बने रहना चाहते है बाकी शेर फितरत थोड़ी न बदलेगा भले खाने को कुछ ना मिले भूखा रह लेगा पर घास- फूस नही खाएगा। विश्वविद्यालय हो या कोई महविद्यालय का परिसर छात्र नेता सब जमीन पर लोटकर वोट मांगते है, पार्टी देते है खिलाने पिलाने का कार्यक्रम चलता हैं जब तक वोटिंग ना हो जाय। जीतने के बाद यही छात्र नेता अपने साथी छात्रों के साथ खलीफई बतियाने लग जाते हैं।  ये तथाकथित युवा छात्र नेता किसी न किसी राजनीतिक दल से जुड़े रहते हैं पर बोलते हुए दिखेंगे की हम स्वतंत्र आवाज़ है।  झुक जाते है ये इनके भीतर आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा जैसी कोई बात ही नही रह गई है। जमीन पर रेंगते हुए सर्प से हीन कौन हो सकता है? पर मजाल किसी की उसके ऊपर लात रख दे और रखने का मतलब मृत्यु को दावत देना। कहने का तात्पर्य यह है कि अपना आत्मसम्मान मत बेचो और इस सर्प से कुछ सीखो। 

16 comments:

  1. आपका बहुत- बहुत धन्यवाद एवं आभार आदरणीय शास्त्री जी।🌻🙏

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  2. बढ़िया लिखा है . सत्ता और समर्थन की चाह में सिद्धान्तों को दाँव पर रख देना राजनीति का सबसे घटिया रूप यही है .

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    1. आपका बहुत आभार गिरिजा जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻🙏

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  3. सचेत करता सटीक आलेख

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार आदरणीय ज्योति जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🙏🌻

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  4. सारगर्भित लेख ।

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  5. वाह! बहुत ही बढ़िया कहा गज़ब 👌

    आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा जैसी कोई बात ही नही रह गई है। जमीन पर रेंगते हुए सर्प से हीन कौन हो सकता है? पर मजाल किसी की उसके ऊपर लात रख दे और रखने का मतलब मृत्यु को दावत देना। कहने का तात्पर्य यह है कि अपना आत्मसम्मान मत बेचो और इस सर्प से कुछ सीखो।.. सराहनीय।

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  6. बन्धु ,
    बेहतरीन लेखन ! लगे रहिए ! चोट करते रहिए !

    बन्धु वक्त मिले तो मेरी पोस्ट पधारिये और अपनी अनमोल प्रतिक्रिया छोड़े ।

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    1. आपका बहुत धन्यवाद आतिश जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।♥️🌻

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  7. बहुत ही बढ़िया लेख..!

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    1. आपका बहुत आभार राकेश जी।🌻♥️

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  8. दलबदलुओं और मौक़ापरस्त रन्निटी पर गहनता से परिपूर्ण आलेख !
    बहुत सटीक लिखा है ।
    बधाई शिवम् जी ।

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  9. दलबदलुओं और मौक़ापरस्त राजनीति पर गहनता से परिपूर्ण आलेख !
    बहुत सटीक लिखा है ।
    बधाई शिवम् जी ।

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    1. आपका बहुत आभार जिज्ञासा जी।🌻🙏

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