नक्सलवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के चलते वर्ष 2025 में अब तक केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ों में कम से कम 130 नक्सली मारे गए हैं। इनमें से 110 से ज्यादा बस्तर संभाग में मारे गए, जिसमें बीजापुर और कांकेर समेत सात जिले शामिल हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से 105 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया और 2025 में अब तक 164 ने आत्मसमर्पण कर दिया है। वहीं इससे पहले वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को न्यूट्रलाइज़ किया गया था, 1090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया था। अभी तक कुल 15 शीर्ष नक्सली नेताओं को न्यूट्रलाइज़ किया जा चुका है।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अभी कोई विरोध प्रदशर्न देखने को नहीं मिला उन तमाम वामपंथी संगठनों और लोगों का जो इनके समर्थन में लिखते और बोलते हुए दिख जाते थे। अर्बन नक्सल ने युवाओं को प्रभावित तो किया ही है पर इस समय सब शांत हो चले हैं। कुछ भी बोले तो लेने के देने पड़ जाएंगे। आज के समय में इनका प्रोपोगेंडा पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। मोदी सरकार रुथलैस अप्रोच के साथ वामपंथी उग्रवाद के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त कर रही है। नक्सलवाद की एक ही विचारधारा है - विध्वंस और हिंसा। मानव अधिकार के आड़ में अपने लिए ही संवेदना बटोरना नक्सलियों की रणनीति रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के हिंसा के शिकार इन लोगों के जख्म नक्सलवाद की अमानवीयता और क्रूरता के जीवंत प्रतीक हैं।
साफ संदेश है नक्सलवाद को की क्रांति तुम्हारे खून से होगी बंदूक छोड़ दो वरना दौड़ा दौड़ा कर ठोके जाओगे। देखा जाय तो पूरी प्लानिंग के तहत जवाबी कार्रवाई हुई है। जब से विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने हैं तब से बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला है। इतनी तेजी से भारी मात्रा नक्सलियों का सफाया कभी नहीं हुआ था। आमने- सामने की लड़ाई पुरी से तरह सुरक्षाबल हावी दिखे हैं। पहले केवल हमारे जवानो की जाने जाती थी लेकिन अब इसके उलट हो रहा है कारण मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति बिना इसके ये असंभव था । प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के कुशल नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। सबसे पहले देखने वाली बात है कि ऑपरेशन सीधा गृह मंत्रालय से ऑपरेट किया जा रहा हैं केंद्रीय सुरक्षा बलों के नेतृत्व में वो भी और साथ में डीआरजी भी शामिल है। उन्हें सबकुछ दिया जा रहा जिसकी वो मांग करते आए थे। मेरे ख्याल से सिर्फ वहीं लोग ऑपरेशन में शामिल हैं जो जंगल ट्रेनिंग और वारफेयर में बेस्ट हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अपनी नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत कई प्रोत्साहन शुरू किए हैं, जैसे आत्मसमर्पण करने वालों को आर्थिक सहायता, नौकरी और शिक्षा की सुविधाएं प्रदान करना। इस नीति का असर दिख रहा है, क्योंकि हाल के महीनों में आत्मसमर्पण की संख्या में वृद्धि हुई है।
बस्तर संभाग में नक्सलवाद के खिलाफ अभियानों के साथ-साथ विकास कार्यों पर भी जोर दिया जा रहा है। सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। सरकार का मानना है कि विकास और सुरक्षा के संयुक्त प्रयासों से नक्सलवाद को जड़ से खत्म किया जा सकता है। शाह के दौरे से स्थानीय लोगों में भी उम्मीद जगी है कि बस्तर जल्द ही नक्सल मुक्त होकर एक नई पहचान बनाएगा।
मां दंतेश्वरी की कृपा से बस्तर नक्सलवाद के दंश से उबर रहा है, पूर्ण विश्वास है कि मां ऐसा भी दिन दिखाएंगी जब बस्तर नक्सलवाद के गढ़ के रूप में नहीं बल्कि अद्वितीय आदिवासी संस्कृति और रमणीय प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाएगा।
मेरी प्रभु राम से भी यह प्रार्थना है कि उनका ननिहाल नक्सलवाद के दंश से अविलंब मुक्त हो।
जय श्री राम
जय मां दंतेश्वरी।।
सुन्दर संकल्प, जय श्री राम जय हनुमान 🚩
ReplyDeleteजय श्री राम🌻❤️
Deleteस्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।