Saturday, April 12, 2025

वक्फ : इतिहास, विवाद और कानून

क्या है वक्फ का इतिहास
भारत में वक्फ प्रॉपर्टीज को प्रबंधन में सुधार और दुरूपयोग को रोकने के लिए विभिन्न कानूनों द्वारा शासित किया गया है, जिसकी शुरूआत मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम, 1913 से हुई जिसने पारिवारिक वक्फ को अंततः धर्मार्थ उपयोग के लिए अनुमति दी। 1923 और 1930 के अधिनियमों ने पारदर्शिता की शुरुआत की और कानूनी वैधता को मजबूत किया। वक्फ अधिनियम, 1954 ने राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद (1964) का गठन किया, जिसे बाद में व्यापक वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिसने सिविल कोर्ट की शक्तियों के साथ वक्फ न्यायाधिकरणों की शुरुआत की। वक्फ(संशोधन) अधिनियम,2013 ने तीन  सदस्यीय न्यायाधिकरणों को अनिवार्य बना दिया जिसमें एक मुस्लिम कानून विशेषज्ञ, प्रत्येक बोर्ड में दो महिला सदस्य, वक्फ संपत्तियों की बिक्री या उपहार में देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और पट्टे की अवधि को 30 वर्ष तक बढ़ा दिया गया। अब, सरकार के अनुसार, वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ शासन को आधुनिक बनाना और कानूनी चुनौतियों का समाधान करना है। बयान में कहा गया है कि अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने और वक्फ भूमि पर वाणिज्यिक विकास को निधि देने के लिए कौमी वक्फ बोर्ड तरक्की योजना और शहरी वक्फ संपत्ति विकास योजना को लागू कर रहा है।

वक्फ बोर्ड के बारे में समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि वक्फ क्या है? वक्फ अरबी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु या परोपकार के लिए दिया गया धन होता है। इसमें चल और अचल संपत्ति को शामिल किया जाता है। बता दें कि कोई भी मुस्लिम अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर सकता है। कोई भी संपत्ति वक्फ घोषित होने के बाद गैर-हस्तांतरणीय हो जाती है।

क्या है वक्फ बोर्ड ?

वक्फ संपत्ति के प्रबंधन का काम वक्फ बोर्ड करता है। यह एक कानूनी इकाई है। प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्ड होता है। वक्फ बोर्ड में संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है। बोर्ड संपत्तियों का पंजीकरण, प्रबंधन और संरक्षण करता है। राज्यों में बोर्ड का नेतृत्व अध्यक्ष करता है। देश में शिया और सुन्नी, दो तरह के वक्फ बोर्ड हैं।

कौन होता है वक्फ बोर्ड का सदस्य ?

वक्फ बोर्ड को मुकदमा करने की शक्ति भी है। अध्यक्ष के अलावा बोर्ड में राज्य सरकार के सदस्य, मुस्लिम विधायक, सांसद, राज्य बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली को शामिल किया जाता है।

क्या करता है बोर्ड ?

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के अलावा बोर्ड वक्फ में मिले दान से शिक्षण संस्थान, मस्जिद, कब्रिस्तान और रैन-बसेरों का निर्माण व रखरखाव करता है।

क्या है वक्फ एक्ट 1954?
देश में सबसे पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बना। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का भी जन्म हुआ। इस कानून का मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना था। एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे और रख-रखाव तक का प्रावधान हैं। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके तहत हर राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में साल 2013 में इसमें संशोधन किया गया था।
क्या है केंद्रीय वक्फ परिषद ?

केन्द्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक सांविधिक निकाय है। परिषद को 1964 में वक्फ अधिनियम 1954 के प्रावधन के मुताबिक किया गया। इसे वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और ऑक्फ प्रशासन से संबंधित मामलों में केंद्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। परिषद को केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देने का अधिकार है। परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होता है।

इस पर विवाद क्यों?
वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है इसके तहत बोर्ड को रीजन टू बिलीव की शक्ति मिल मिल जाती है। अगर बोर्ड का मानना है कि संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकता है, और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज सकता है। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। मगर यह प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है। दरअसल, कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो जाती है तो हमेशा ही वक्फ रहती है। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं।अब सरकार ऐसे ही विवादों से बचने की खातिर संशोधन विधेयक लेकर आई है। विधेयक के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं को भी बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा। 

सरकार और विपक्ष का तर्क

सरकार का तर्क है कि 1995 में वक्फ अधिनियम से जुड़ा मौजूदा विधेयक है। इसमें वक्फ बोर्ड को अधिक अधिकार मिले। 2013 में संशोधन करके बोर्ड को असीमित स्वायत्तता प्रदान की गई। सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों पर माफिया का कब्जा है।

सरकार का कहना है कि संशोधन से संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा। ओवैसी ने सरकार को मुसलमानों का दुश्मन बताया। कांग्रेस ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया तो वहीं मायावती ने कहा कि संकीर्ण राजनीति छोड़ राष्ट्रधर्म सरकार निभाए।

1. बोर्ड परिषद की सदस्यता

पहले- वक्फ बोर्ड की परिषद में सिर्फ मुस्लिम सदस्य की शामिल हो सकते

अब- वक्फ बिल पास होने के बाद परिषद में 2 महिलाएं और 2 गैर-मुस्लिमों को शामिल करना अनिवार्य होगा!

2. संपत्ति पर दावा

पहले- वक्फ तोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा घोषित कर सकता है।

अब- वक्फ बोर्ड को किसी भी संपति पर मालिकाना हक ठोकने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य होगा कि वो संपत्ति वास्तव में वक्फ बोर्ड की ही है।

3. सरकारी संपत्ति का दर्जा

पहले- वक्फ वोर्ड सरकारी संपत्ति पर भी दावा कर सकता है।

अब- सरकारी संपत्ति वक्फ से बाहर होगी और वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा।

4. अपील का अधिकार

पहले - वक्फ बोर्ड के खिलाफ सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया जा सकता था। वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी होता था, और इसे किसी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।

अब- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों  के भीतर हाई कोर्ट में चुनौती दी

5. प्रबंधन और निगरानी

पहले- वक्फ बोर्ड के खिलाफ कई बार दुरुपयोग की शिकायते सुनने को मिलती रही हैं। कई लोगों का दावा है कि वक्फ उनकी सपत्ति पर जबरन दावा ठोक देता है।


अब-वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मुख्यालय में होगा। पहले वक्फ बोर्ड में सभी के लिए समान कानून थे।


6. विशेष समुदायों के अलग प्रावधान

 पहले-  वक्फ बोर्ड में सभी के लिए समान कानून थे।

अब-वोहरा और आगाखानी मुसलमानी के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाया जाएगा।

7. वक्फ बोर्ड के सदस्य

पहले- वक्फ बोर्ड पर कुछ विशेष मुस्लिम समुदायों का कब्जा था।

अब- वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी समेत पिछड़े वर्ग के मुस्लिम समुदायों से भी सदस्य बनेंगे।

8. तीन सांसदों की एंट्री

पहले- सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 3 सांसद (2) लोक सभा और 1 राज्य सभा) होते थे, और तीनों सासदी का मुस्लिम होना अरूरी था।

अब-  केंद्र सरकार तीन सासदों को सेंट्रल वक्फ काउंसिल में रखेगी और तीनों का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है।

राज्यों के अनुसार, उत्तर प्रदेश (सुन्नी) 2.17 लाख वक्फ प्रॉपर्टीज के साथ सबसे आगे है, हालांकि कुल क्षेत्रफल के आंकड़े उपलब्ध नहीं है। इसके बाद पश्चिम बंगाल (80,480 प्रॉपर्टीज), पंजाब (75.965). तमिलनाडु (66,092) और कर्नाटक (62,830) का स्थान है। 32 राज्यों के पास 8,72,328 प्रॉपर्टीज हैं, जिनका कुल एरिया 38,16,291.788 एकड़ है।

( स्त्रोत- राष्ट्रीय सहारा अखबार हस्तक्षेप अंक 12 अप्रैल 2025 शनिवार)

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