Monday, November 9, 2020

जब साहसिक कदम ने बचाया था देश!

अरे क्या हुआ? आज कौन सा बड़ा दिन है जो सब चर्चा किए जा रहे है। ओह! ट्रंप चुनाव हार गए और बाइडेन राष्ट्रपति बन गया अमेरिका का यही का? इसी की चर्चा हो रही है न! अरे नहीं भैया इसकी नहीं कुछ और ही बात हो रही है। इसकी चर्चा नहीं हो रही तब किसकी हो रही है?_सच मे भैया आपकी यादास बहुत ही कमजोर है जो प्रधानमंत्री के "नोटबंदी" जैसे बड़े फैसले को फूल गए। कुछ याद आया 8 नवंबर 2016 जब माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने ये  घोषणा किया की  "भाईयो बहनों देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए एक और सख्त कदम उठाना ज़रूरी हो गया है। आज मध्य रात्रि यानि 8 नवम्बर 2016 की रात्रि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि ये मुद्राएं कानूनन अमान्य होंगी"।  ये एक ऐतिहासिक और साहसिक फैसला साबित हुआ। कितने लोगो कि खटिया खड़ी हो गई थी उनको समझ में नहीं आया कि करे क्या? तभी तो बोरा भर - भर के नोट कचड़े में तो कहीं नाले नदी में फेंका गया था। अधजले नोट इसके सबूत है आखिर इतना नोट आया कहा से? देश कि जानी मानी महिला नेता के गले में लाखो रुपयों के नोट का माला पहनाया गया था नोटबंदी होते ही सबकी औकात का पता चला गया। आखिर लूटा हुआ पराया धन से कोई कब तक घर भरता अपना एक न एक दिन झट से जाना ही था।
नक्सलियों और आतंकियों की भूखमरी आ गई नोटबंदी की वजह से। नक्सलियों का हजारों करोड़ों रुपया पानी में मिल गया जब देश में नोटबंदी लागू कर दी गई । झारखंड में कई नक्सलियों के खाते सीज हो गए जहां से करोड़ों रुपए मिले। ये लोग गांव वालो को धमका के गाव से ही वसूला हुआ नोट बदलना चाह रहे थे पर सरकार ने ऐसा डंडा मारा कि सारी हेकड़ी अन्दर चली गई। वहीं हाल आतंकियों का हुआ करीब 12 लाख करोड़ रुपए नकली नोट छाप के रखे थे ये पाकिस्तान के खुफिया एजेंसी आई .एस .आई वाले जिसको एक झटके तहस - नहस कर दिया गया। इसका एक फायदा ये हुआ कि आतंकियों की फंडिंग पहले जैसी नहीं रह गई  इनकी भी भूखमरी आ गई। अब कुछ बचा नहीं तो सब खुल के बाहर आने लगे आतंक फैलाने के लिए और भारतीय सेना तैयार थी पहले इनको इनके ठिकाने तक पहुंचाने के लिए। नोटबंदी के बाद कश्मीर में वो चेहरे भी खुलकर सामने आने लगे जो मुफ्त में पाकिस्तानी या विदेशी  फंडिंग पर पलते थे जैसे ही नोटबंदी हुई ये 100-50 के लिए पत्थरबाज के रूप उभर के सामने आने लगे जिन्हें तथाकथित विपक्षी नेता, सेक्युलर बुद्धिजीवी वर्ग भटके हुए लोगों कि संज्ञा दे दिए थे।

पूरा विपक्ष नोटबंदी का घनघोर और पुरजोर विरोध किया था पर संसद में बहस ही नहीं किया। एकदम से हल्ला हूं मचा दिया था। नोटबंदी को सबसे बड़ा घोटाला का नाम देने लगा! कश्मीर में तो अलगावादी नेताओ की कमर टूट गई थी। इधर पंजा खडंजा पंजा पर गिर गया था। उत्तर प्रदेश में तो साइकिल पंक्चर हो गई और हाथी भूखमरी से मरने लगी पर नोटबंदी के कारण ना पंक्चर बना ना ही हाथी का पेटे भर पाया! हा हा हा.हा..।
अब चुप करो हम भी कुछ जानकारी देने जा रहे है सुनो। _जी भैया सुनाइए .. एक बार बहुत पहिले  की बात है जून या जुलाई का महीना था साल 2011 में जब हाथी सत्ता में थी तब पूरा विधानसभा गूंजा था। मामला था नेपाल के रास्ते पड़ोसी जिलों में हो रहे नकली नोटो के कारोबार का जिसमे विपक्ष का आरोप था पुलिस  कारोबारी को पकड़ती है पर वह चंद दिनों के बाद ही रिहा हो जाते है। सरकार को ऐसे लोगो पर रसुका लगाना चाहिए। तब उस वक्त संसदीय कार्य मंत्री लालजी वर्मा ने विपक्षी सदस्यों का जवाब देते हुए कहा था कि" साल 2008 में 55 जिलों में नकली नोटो का कारोबार हो रहा था। वर्ष 2009 में 61 जिले प्रभावित हुए।सरकार ने नकली नोटों के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कारवाई की। ऐसे कारोबारियों ठोस कार्रवाई के लिए पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय समिति गठित की गयी। सीमावर्ती (नेपाल) जिलों जहां ज्यादा जाली नोट पाये जाने जब्त किये जाने की घटनाएं हुई, वहा जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समितियां बनायी गयीं। इसका नतीजा हुआ कि वर्ष 2010 में यह कारोबार 34 जिलों में सिमट गया। इस साल 30 जून 2011 तक 20 जिले ऐसे कारोबार से प्रभावित रह गये हैं।" लालजी वर्मा ने ये भी स्वीकार किया था कि बैंकों के अलावा एटीएम से भी जाली नोटों की निकासी होती है।
बहुत हंगामा मचा था उस दिन क्या सपा? क्या रालोद? आदि सभी पार्टियों ने प्रदेश सरकार पर खूब आरोप प्रत्यारोप लगाया था जिसमे भाजपा भी प्रमुख रूप से शामिल थीं। लेकिन देखने वाली ये है कि नोटबंदी का कांग्रेस के साथ मिलकर  सबने विरोध किया और नहीं हाथी भी भड़क गई जो नकली नोटो के कारोबार को कुचलने की बात थी। महत्वपूर्ण ये की कमल ने इसपर अमल किया और  देश में एक नई क्रांति लाई।

मत पूछो जितना बिजली बिल, पानी का बिल , टैक्स आदि जितना भी बकाया था सबका अचानक से भुगतान हो गया नोटबंदी के दौरान। घाटे चल रहा बिजली विभाग का मानो स्वर्णिम काल था सबने बिजली बिल का पैसा भर दिया बनारस का उदाहरण दू तो। नोटबंदी के दौरान जो लोग जूठा ही गरीबी रोना रोते थे उनका पोल खुल गया नोटबंदी के समय। सबसे ज्यादा दिक्कत लूट - घसूट करने वालों को हुई। आम जनता को बहुत कोशिश किया गया भड़काने और भटकाने का पर किसी की एक न चली सबने सरकार के साहसिक कदम का समर्थन किया भले ही थोड़ा कष्ट झेलना पड़ा पर राष्ट्रहित में हमारे देश की जनता ने बखूबी अपना फर्ज निभाया था।
_अरे वाह भैया क्या खूब जानकारी दी मजा आ गया लेकिन एक वर्ग ऐसा भी था जो सेना के साथ बॉर्डर पर जाकर लड़ने की कसमें खाता था बेचारे एटीएम और बैंक में लाइन लगाकर लगाकर जाते जाते थक कर चूर गए..!

21 comments:

  1. कांग्रेसियों ने तो गरीब आदमी की चवन्नी बन्द कर दी थीं। खैर जिसकी जितनी औकात वही न करेगा।
    उम्दा लेख।

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    1. शुक्रिया रजत जी। आप लगभग मेरे हर पोस्ट पर अपना विचार व्यक्त करते है।

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  2. बहुत बढ़िया ��

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  3. बहुत सुन्दर , सार्थक भी |

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    1. जी आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार आलोक जी।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11 नवंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. जी आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार तृप्ति जी मेरी रचना को "पाँच लिंकों का आनन्द पर" साझा करने हेतु। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

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  6. सार्थक लेख, पढ़ के हमारा काफी प्रबोधन हुआ। बेहरतरीन लिखावट

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  7. बेहतरीन लेख ।

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  8. लजवाब हेमशा की तरह।

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  9. आपका बहुत धन्यवाद सर। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

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  10. गम्भीर विषय पर गहरा चिंतन....

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    1. आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार डॉ वर्षा जी। स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।

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  11. सुन्दर सृजन । दीपावली महापर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. जी आपका बहुत धन्यवाद एवं आभार मीना जी। शुभ दीपावली🌻

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  12. "सबसे ज्यादा दिक्कत लूट घसूट करने वालो को हुई"
    वाह, बिल्कुल सही।

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