Monday, March 8, 2021

शिक्षित महिलाओं में नया भारत रचने का माद्दा


लेखक- डॉ रमेश पोखरियाल "निशंक" 



सौभाग्य से विश्व के वृहदतम शिक्षा तंत्रों में से एक परिवारिक सदस्य होने के नाते संपूर्ण देश के शिक्षण संस्थाओं के दीक्षांत समारोहों में जाने का अवसर मिलता है। एक रुझान स्पष्ट रूप से सामने आता है कि हर क्षेत्र में हमारी बेटियां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। डिग्रियों की बात हो या फिर स्वर्ण पदक विजेताओं का विषय हो, औसतन साठ प्रतिशत से अधिक हमारी बेटियों का होता है। कहीं- कहीं यह प्रतिशत 70- 75 से अधिक हो जाता है। मैं इसे एक अत्यंत शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। वस्तुतः विश्व के विकसित उन्नत राष्ट्रों ने अपना गौरवमयी स्थान अपने देश की महिलाओं को समुचित आदर प्रदान करके ही हासिल किया है। राष्ट्र निर्माण और विकास में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए स्वामी विवेकानंद ने नारी को पुरुष के समकक्ष बताते हुए कहा था कि 'जिस देश में नारी का सम्मान नहीं होता, वह देश कभी भी उन्नति नहीं कर सकता'। मेरा सदैव से यह मानना रहा है कि पुरुष का सम्पूर्ण जीवन नारी पर आधारित रहता है। कोई भी पुरुष अगर सफल है, तो उसकी सफलता की निर्माणकत्री नारी है। जीवन के कल्याण - कल्याण, सुख - दुख, उत्थान-पतन, सफलता-असफलता, लाभ-हानि, उत्कर्ष-अपकर्ष की समूची कहानी महिलाओं से होकर गुजरती है। वैसे देखा जाए तो बच्चा जब इस संसार में आता है,तो किशोरावस्था तक प्रथम गुरु के रूप में मां से उसका सबसे अधिक संसर्ग होता है। माताओं के संस्कार श्रेष्ठ न हुए तो बच्चों का स्वभाव भी मलिन बनन लगता हैं। यही कारण है कि स्त्री शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। समाज को संस्कारवान बनाने के लिए महिला शिक्षा उपयोगी नहीं, अनिवार्य है।

विकृतियां संस्कार की कमी से
एक सभ्य, विकसित श्रेष्ठ समाज का निर्माण उस देश के शिक्षित नागरिकों द्वारा होता है, और नारी इस कड़ी का न केवल एक महत्वपूर्ण आधार है, बल्कि अनिवार्य शर्त भी है। जिस तरह एक-एक कोशिका जीवन का निर्माण करती है, वैसे ही प्रत्येक परिवार की छोटी- छोटी इकाइयां मिलकर एक समाज का गठन करती हैं। सभी इकाइयों की ऊर्जा स्रोत और सम्पूर्ण परिवार की केंद्र बिंदु नारी होती है। यदि एक नारी शिक्षित होती है, तो दो परिवार शिक्षित होते हैं, और जब परिवार शिक्षित होता है, तो पूरा राष्ट्र शिक्षित होता है। यही कारण था कि महान विचारक रूसो ने कहा है कि "आप मुझे सौ आदर्श माताएं दें तो मैं आपको एक आदर्श राष्ट्र दूंगा"। अजर-अमर भारतीय संस्कृति हमें सिखाती है- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता- अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। मां अर्थात माता के रूप में नारी धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में हैै। माता यानी जननी। मांं को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है। ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। चाहेे भगवान राम रहे हो यह गणेश/कार्तिकेय हो , कृष्ण हों, गुरुनानक हो, सदैव मां के रूप में कौशल्या, पार्वती, यशोदा और त्रिपता देवी की आवश्यकता पड़ती है। आज जब समाज में विभिन्न प्रकार की चुनौतियां यक्ष प्रश्न बनकर हमारे सम्मुख हैं, तो ऐसे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करने की आवश्यकता है कि कैसे संस्कार देने में कमी रह गई है, जिस कारण समाज में विकृतियां आ रही है। वैदिक काल की बात करें तो घोषा, लोपमुद्रा,सुलभा, मैत्रेयी,गार्गी जैसी विदुषियो ने बौद्धिक और आध्यात्मिक पराकाष्ठा के नये आयाम स्थापित किए । नई शिक्षा नीति में हमारा पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि हमारी बालिकाएं  कहीं भी पीछे नहीं रहे। भारत जब-जब पिछड़ा है, जब-जब अवनति हुई है, तब-तब हमने अपनी महिलाओं पर, उनकी शिक्षा पर, उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया।बच्चे सबसे अधिक माताओं के संपर्क रहा करते हैं। माताओं के संस्कारों, व्यवहारों व शिक्षा का प्रभाव बच्चों के मन-मस्तिष्क में उन समस्त संस्कारों के बीज बो सकती है, जो आगे चलकर अपने समाज,देश और राष्ट्र के उत्थान के लिए आवश्यक हैं।

सशक्त भागीदारी के लिए शिक्षा
नारी का कर्तव्य बच्चों का पालन-पोषण करने के अतिरिक्त अपने घर-परिवार की व्यस्था और संचालन करना भी होता है। एक शिक्षित और विकसित मन-मस्तिष्क वाली नारी अपनी परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता आदि का ध्यान रखकर उचित व्यवस्था व संचालन कर सकती हैं। जीवन रूपी गाड़ी चलाने के लिए महिलाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सशक्त भागीदारी के महिला शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है। समाज, राष्ट्र,विश्व की प्रगति नारी शिक्षा के बल पर ही चरम सीमा तक पहुंच सकी है। यदि नारी जाति अशिक्षित हो तो वह अपने जीवन को विश्व की गति के अनुकूल बनाने में सदा असमर्थ रहेगी। यदि वह शिक्षित हो जाए तो न केवल उसका पारिवारिक जीवन स्वर्गमय होगा,बल्कि देश,समाज और राष्ट्र की प्रगति के युग का सूत्रपात हो सकेगा। भारतीय समाज में शिक्षित माता गुरु से भी बढ़कर मानी जाती है क्योंकि वह अपने पुत्र को महान से महान बना सकती है।

भारत में नारी और पुरष के बीच जब भी फर्क आया तब-तब उस व्याप्त अंतर की बड़ी कीमत हमें चुकानी पड़ी।वास्तव में गंभीरता के साथ देखा जाए तो यही ज्ञात होता है कि भारत की समस्याओं का एक प्रमुख वजह नारियों की अशिक्षा रही हैं। इसका फल यह हुआ कि जो राष्ट्र विश्व गुरु था, वहीं आज अपना पुराना वैभव, गौरव पाने हेतु संघर्षरत हैं। भारत सरकार हमारी बेटियों के कल्याण के लिए कृत-संकल्पित है।महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलाई गई हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला हेल्पलाइन योजना, उज्जवला योजना,सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एंप्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन, स्टेप महिला शक्ति केंद्र, पंचायती राज योजनाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व देकर सरकार ने महिला सशक्तिकरण एवं विकास की नई इबारत लिखने की कोशिश की है। महिला शिक्षा हमारे राष्ट्र की सफलता और विकास की सीढ़ी है। महिला शिक्षा प्रत्येक परिवार, समाज, राष्ट्र के सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए ना केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि परम आवश्यक भी है। महिला शिक्षा ऐसा सक्षम शस्त्र है, जो दुनिया को बदलने की क्षमता रखता है। नवभारत के निर्माण का नया अध्याय लिखने के लिए आवश्यक है कि हमारी प्रत्येक बेटी पढ़े और इस कुशलता से पढ़ें कि वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके। बेटियों को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और सफल बनाने की मुहिम में सरकार पूरी तत्परता से उनके साथ है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नव भारत के सामाजिक - आर्थिक विकास में महिला शिक्षा एक सक्षम उत्प्रेरक की भूमिका निभा सकती है।

(लेखक केंद्रीय शिक्षा मंत्री है, इनका यह लेख पिछले साल मार्च में राष्ट्रीय सहारा अखबार में छपा था)

16 comments:

  1. बहुत सारगर्भित लेख आपने साझा किया है .. सादर शुभकामनाएं..

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    1. आपका बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी।🌻

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  2. बहुत बहुत सार्थक और अपने समाज की सच्चाई पर प्रकाश डालता सारगर्भित लेख |शुभ कामनाएं |

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  3. निशंक जी राजनेता होने से भी पहले एक मूर्धन्य हिंदी साहित्यकार हैं और निश्चय ही समाज और देश को बेहतर समझते हैं । उनका लेख साझा करने के लिए आपका आभार पाण्डेय जी ।

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    1. स्वागत है आपका जितेन्द्र जी राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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  4. लेख साझा करने के लिए आभार

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    1. अजीतेन्दु जी
      स्वागत है आपका राष्ट्रचिंतक ब्लॉग पर।🌻

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  5. सारगर्भित लेख साझा किया आपने

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    1. धन्यवाद संजय जी।
      स्वागत है आपका..!
      🌻

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  6. बहुत बढ़िया लेख लिखा है निशंक साहब ने। लेख साझा करने के लिए आपका आभार। बहुत बधाई शिवम जी। शुभकामनायें।

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  7. नारी शक्ति की जय हो ।

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