आज कल सब कुएं की बात कर रहे है मेरे घर में दो कुआ था। एक कुआ बाहर द्वार पर है ठाकुर जी के मंदिर से सटा हुआ ये मंदिर भी हमारे घर का जिसका मन आए अपना पूजा पाठ करे। जिसका मन था अपना रस्सी लाता था पानी निकालता था चला जाता था... कभी किसी को पानी के लिए नही रोका हमने और तो हमारे पूर्वजों ने ऐसे दसियो कुएं खुदवा रखे थे गांव भर में...। शाम को बैठकी भी होती थी यहां तमाम विषयों को लेकर खासकर क्रिकेट से लेकर राजनीति तक कुछ भी नही छूटता था। बहुत लोगो की अनगिनत यादें इससे जुड़ी हुई है।
अब मंदिर कुछ ऐसा दिखता है.... कुएं को पाटा नही गया है.. बाकी सबके घर के हैंडपंप लगा हुआ है हैंडपंप क्या होता है बटन दबाकर हर हर गंगे होता है..!
ये हमारा पंपू सेट मशीन... अंगिनत यादों को समेटे.. अब भले
खंडहर हो चला है लेकिन इसका भी एक जमाना था .. 70 के
दशक में इसे नीदरलैंड के इंजीनियर साहब लोग बनाए थे.... यहां से भी लोग आते थे बटन दबाते थे पानी ले जाते थे अपने मन का ..हमारे दादाजी कभी नहीं टोके किसी को भी ना ही किसी को टोकने देते थे पानी के लिए .. भले सामने वाले से मारा मारी हुआ हो लेकिन पानी हमेशा ऑन रहता था किसी भी समय... आजकल लोग घड़ी देखते हैं यहां कोई समय नहीं देखा जाता था.. जिसे बोल दिए पानी देंगे उसे दे ही देते थे भले अपना कल भराए खेत... पैसा रूपया कुछ नहीं जिसका मन में आया दे दे कुछ भी नही तो रहने दे।
मेरे दादाजी इस मशीन पर अकेले रात में सोते थे रात में.. नाग देवता लोग भी आते जाते रहते थे पर किसी की हिम्मत नही थी इन्हे कोई मारे दादाजी मना किए थे इन्हें कोई नही छुएगा एक बार इनके घर में ही इनके बड़े भाई साहब ने एक सांप को मार दिए थे तो नाराज हो गए थे....! बाकी यहां झुंड लगता था लोगो का नहाने के लिए जो यहां नहाए हैं बचपन में उनका एक अलग ही अनुभव रहा होगा..।
ये टैंक जिसे हौदा भी बोलते थे हम लोग इसमें डूबकर नहाने का एक अलग ही मजा था।
जस का तस का देखिए सब पड़ा हुआ है। मैंने सोचा हैं इसे बनवाऊंगा जल्द ही काम लगवाने वाला हु।
2005_7 तक के बाद यहां का काम खत्म हो चला था। घर में कोई ऐसा नही था जो ये सब काम देखें। सब पढ़ लिखकर बाहर ही निकल गए। खेती बारी कौन देख ही रहा है आज के समय में। पहले की तरह खेती बारी भी नही रह गई हैं। जहा तक मुझे लगता है गांव के युवा जो बाहर जाकर मेहनत मजदूरी करते है उतना तो अपने यहां सब्जियां उगाकर कमा लेंगे साथ में 2 चार गाय भैंस पाल ले तो क्या ही कहना ..! लेकिन भेड़ चाल में सब निकल पड़े है गांव गलियों को छोड़कर खैर इसपर चर्चा फिर कभी करूंगा किसी और ब्लॉग में।
ये ठीक पंपु सेट मशीन के पीछे ही है हमारे। ये पूर्वजों की विरासत में से एक है "बिशुन बाबा" हर दिवाली यहां दीया बारा जाता है। सभी गांव वालो के लिए पूजनीय है। इसके बगल में एक और कुआ हैं इतना पुराना होने के बाद भी इसमें साफ जल बना हुआ है।
ये रहा काली माई का तीर्थ स्थल में .. मेरे पूर्वजों में एक काली बाबा थे जो यहां तपस्या किए थे इसी नीम के पेड़ के नीचे काली माई स्थापित हो गई कोई हिला ना सका ये नया मंदिर बनवाया लोगो ने लेकिन माई पेड़ के नीचे ही रही जस की तस माई की महिमा अपरंपार है..!
ये देखिए यहां भी एक कुआ है जो अब वक्त के साथ खंडहर हो चला है। गांव वालों को कम से कम साफ सफाई रखनी चाहिए इधर ये तरांव गांव में पड़ता है मेरे गांव से कुछ ही दूरी पर नदी उस पार।
ये मेरे देवकली गांव की गांगी नदी क्या ही कहना? इसे देखकर कौन कहेगा की पानी के लिए तरसा होगा कोई। भले अब पीने लायक नही रह है लेकिन है तो है खेती बारी में इस्तेमाल होता ही है। बाढ़ आने के बाद ये पुल डूब जाता हैं। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं रहती है एक दूसरा रास्ता भी है जो सबके लिए आराम दायक है।
ये पुल है जो नया नया बना है इसकी तवस्वीर सही से नही ले पाया मैं, बाढ़ में इसी का इस्तेमाल होता है। तराव वालों के लिए ये एक वरदान ही समझिए पहले जब बाढ़ आता था तो ये सबसे कट जाते थे। देवकली वालो को ये दिक्कत की खेत खलिहान सबके लगभग इधर ही है नदी पार।
ये भी मेरे पूर्वजों की धरोहर है ...: ब्रह्म बाबा का मंदिर.. बाबा जगदीशानंद हमारे पूर्वजों में से एक... यहां लोगो आते जाते रहते है बाबा सबकी सुनते है.. ये कुंवरपुर गांव में है सैदपुर तहसील जिला गाजीपुर.. आप लोग भी इस देव स्थान पर आ सकते है.. खास बात क्या की प्रांगण दसियो बिस्सा में फैला हुआ है कुआ भी मिलेगा और तो और यहां कोई पंडा पुजारी वाला फालतू लफड़ा भी नही है..एक लोग हमारे खानदान के है जो बैठते है इधर देखते रहते है सब ब्राह्मण आदमी है तो पूजा पाठ छोड़ कहा जाएंगे... बाकी शांति भरपूर मिलेगी ... यहां की बात ही कुछ और है बाबा किसी को निराश नहीं होने देते है जो यहां जो आया है कष्ट उसके दूर ही हुए है... बाबा के बारे में दसियो कहनिया किस्से है लिखूंगा आराम से कभी....!
जय हो ब्रह्म बाबा
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बहुत सुंदर पोस्ट। आपके गाँव के बारे में जानकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद नीतीश जी।
Deleteपुराने गांव का याद दिया आपने।
ReplyDeleteस्वागत है पप्पू जी आपका हमारे ब्लॉग पर🌻
Delete👌👌
Deleteबहुत बढ़िया..!
ReplyDeleteधन्यवाद सत्यम जी🌻
Deleteयादों को समेटे ... पुरानी कितनी ही यादें हमें भी याद आ गईं ...
ReplyDelete💙❤️
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