_ शिवम कुमार पाण्डेय
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2002 में पहली बार 50 अरब डॉलर पर पहुँचा था दिसंबर 2003 में यह पहली बार एक सौ अरब डॉलर, अप्रैल 2007 में दो सौ अरब डॉलर और फरवरी 2008 में तीन सौ अरब डॉलर पर पहुंच गया।
वैश्विक आर्थिक मंदी के दबाव में नवंबर 2008 तक एक बार फिर घटक विदेशी मुद्रा भंडार 245 अरब डॉलर रह गया। यहाँ से दुबारा तीन सौ अरब डॉलर पर पहुँचने में सवा दो वर्ष का समय लगा। फरवरी 2011 में दुबारा यह तीन सौ अरब डॉलर पर पहुँचा। सितंबर 2017 में विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार चार सौ अरब डॉलर के स्तर पर और 05 जून 2020 को समाप्त सप्ताह में पाँच सौ अरब डॉलर पर पहुँचने में कामयाब रहा।
रिजर्व बैंक के अनुसार, 05 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 8.42 अरब डॉलर की वृद्धि हुई और सप्ताहांत पर यह 463.63 अरब डॉलर पर रहा। इस दौरान स्वर्ण भंडार 32.90 करोड़ डॉलर घटकर 32.35 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 12 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.28 अरब डॉलर पर और विशेष आहरण अधिकार एक करोड़ डॉलर बढ़कर 1.44 अरब डॉलर पर पहुँच गया।
अभी वर्तमान में देखे तो कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार 10 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 3.11 अरब डॉलर बढ़कर 516.36 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है।
ये वाली ख़बर 5 मई 2013 को छपी थी। आप देख सकते है कि कैसे 2011 में 300 अरब डॉलर तक विदेशी मुद्रा भंडार पहुंचा था पर ये आंकड़ा खिसकर कम ही होता गया।
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