Thursday, July 23, 2020

चन्द्रशेखर आजाद द्वारा लिखी कविता आज भी उनके बलिदान की गाथा कहती है।

       'मां हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज,
       तेरी बलिवेदी पर चढ़कर मां, निज शीश कटाने आज।
       मलिन वेष ये आंसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात? 
      वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ।
      धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएंगे न झुके तार,
      विश्व कांपता रह जाएगा, होगी मां जब रण हुंकार।
      नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज,
     अरि शिर गिराकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज।
     अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
     हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं।।'


1 comment:

  1. नमन है मां भारती के महान सपूत को।🌻

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