भारत ने इस समझौते के तुरंत बाद साल 1998 में ही राजस्थान के पोखरण में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था..! तमाम पश्चिमी देशों ने इसकी प्रतिक्रिया के रूप में भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे लेकिन फ़्रांस प्रतिबंध लगाने वाले इन मुल्कों में शामिल नहीं हुआ।
यही नहीं, फ़्रांस ने इन प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाने के लिए भारत की ओर से किए जाने वाले प्रयासों का समर्थन भी किया था। इसके साथ ही कुछ मुल्कों ने भारत को हथियारों का निर्यात करने पर प्रतिबंध लगाए थे लेकिन फ़्रांस इस मौक़े पर भी प्रतिबंध लगाने वाले देशों के साथ खड़ा नहीं हुआ। देखा जाय तो 25 सालों में फ़्रांस भारत को एयरक्राफ़्ट से लेकर सबमरीन तक अलग-अलग तरह के रक्षा उत्पाद बेचने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी फ्रांस में हो हुए 'बैस्टिल डे' कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस बीच भारतीय सैन्य टुकड़ीयो का जत्था भी शिरकत करते हुए दिखी। यह पहली बार नही हुआ हैं ये दूसरा मौक़ा है, जब फ़्रांस ने किसी भारतीय नेता को इस कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ़ ऑनर बनाया है..इससे पहले साल 2009 में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसी कार्यक्रम में गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में शामिल हुए थे..! इतना ही नही इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फ्रांस के सर्वोच्च पुरस्कार 'ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर' से नवाजा।'' ( यह पहला मौका है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला है)
प्रधानमंत्री का यह दो दिवसीय दौरा अपने आप में ही सारी कहानी बयां करता है की फ्रांस के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है। व्यापार की दृष्टि से देखा जाय तो फ्रांस इतना महत्वपूर्ण नही है लेकिन जब बात सैन्य मामलों की हो तो फ्रांस के पास वो हैं जिसकी हमे दरकार है। फ्रांस की सेना भी भारतीय सेना के युद्ध अभ्यास करती आ रही है। उम्मीद है भारत-फ्रांस के बीच ऐसी ही मजबूती बनी रहेगी और आगे के 25 सालो में कोई टक्कर नही दे पाएगा।
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