(एक फौजी की पुकार, ललकार चाहे जो कह लीजिए उनके भावनाओ को समझते हुए मैंने ये कविता लिखी है)
फौजी हुँ कोई मुजरिम नही
जो हर सवालो का जवाब दूँगा
जो भारत माँ को गाली दे उसको
वही पे दफन कर दूँगा।
फौजी हूँ देश कभी झुकने नही दूँगा,
जो झुकाने की कोशिश करे उसे
कभी उठने नही दूँगा।
फौजी हुँ देश मे आतंक फैलने नही दूँगा,
जो आतंकी बना उसे जीने नही दूँगा।
कसम है माँ भारती की इस मिट्टी कि
मैं तिरंगा कभी झुकने नही दूँगा।।
--शिवम कुमार पांडेय
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