लेखक:- विनीत नारायण
मौत तो किसी की भी, कहीं भी और कभी भी आ मुतती है। पर इसका मतलब ये नहीं कि शेर के मंह में हाथ दे दिया जाए। भगवान श्रीकृष्ण गीता दसवें अध्याय में अर्जुन से कहते हैं
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।
अर्जुन मैं ही सबको बुद्धि देता हूं।
जिसका प्रयोग हमें करना चाहिए, इसलिए जान बूझकर किसी की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। विशेषकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के युवा एवं सशक्त मुख्यमंत्री की जिंदगी से। बहुत पुरानी बात नहीं है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधवराव सिंधिया, लोक सभा के स्पीकर रहे बालयोगी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रेड्डी और 1980 में संजय गांधी विमान हादसे में अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए। चिंता की बात यह है कि ये दुर्घटनाएं खराब मौसम के कारण नहीं हुई थी। बल्कि ये दुर्घटनाएं विमान चालकों की गलतियों से या विमान में खराबी से हुई थीं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के ताकतवर मुख्यमंत्री की आयु मात्र 48 वर्ष है। अभी उन्हें राजनीति में और भी बहुत मंजिलें हासिल करती हैं। बावजूद इसके उन्हें दी जा रही सरकारी वाण सेवा में इतनी लापरवाही बरती जा रही है आश्चर्य है कि अभी तक वे किसी हादसे के शिकार नहीं हुए? शायद ये उनकी साधना और तप का बल है, वरना उत्तर प्रदेश के उड्डयन विभाग व केंद्र सरकार के नागरिक विमानन निदेशालय ने योगी जी जिंदगी से खिलवाड़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी कॉलम में दो हफ्ते पहले हम उत्तर प्रदेश सरकार की नागरिक उड्डयन सेवाओं के ऑपरेशन मैनेजर के कुछ काले कारनामों का जिक्र कर चुके हैं। दिल्ली के कालचक्र ब्यूरो के शोर मचाने के बाद कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा नाम के इस ऑपरेशन मैनेजर का प्रवेश किसी भी हवाई अड्डे पर वर्जित हो गया है। जहाज उड़ाने का उसका लाइसेंस भी फिलहाल डीजीसीए से सस्पेंड हो गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय और आवास पर उसका प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय भी उसकी अकूत दौलत और 200 से भी अधिक फर्जी कम्पनियों पर निगाह रखे हुए है। पर उसके कृत्यों को देखते हुए ये सब बहुत सतही कार्रवाई है। उत्तर प्रदेश शासन के जो ताकतवर मंत्री और अफसर उसके साथ अपनी अवैध कमाई को ठिकाने लगाने में आज तक जाते थे, वो ही उसे आज भी बचाने में लगे हैं। क्योंकि प्रज्ञेश मिश्रा की ईमानदार जांच का मतलब उत्तर प्रदेश शासन में वर्षों से व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के किले का ढहना होगा। तो ये लोग क्यों कोई जांच होने देंगे? जबकि योगी जी हर जनसभा में कहते हैं कि वे भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करते? जैसे आज तक ये लोग योगी जी को गुमराह करके कैप्टन मिश्रा को पलकों पर बिठाये थे और इसकी कम्पनियों में अपनी काली कमाई लगा रहे थे, वैसे ही आज भी योगी जी को बहका रहे हैं कि 'हमने मीडिया मैनेज कर लिया है अब कोई चिंता की बात नहीं।' पर शायद उन्हें ये नहीं पता कि आपराधिक गतिविधियों के सबत कुछ समय के लिए ही दबाये जा सकते हैं, पर हमेशा के लिए नष्ट नहीं किए जा सकते। अगर चुनाव के समय या अन्य किसी खास मौके पर ये सब सब जनता के सामने आकर बड़ा बवाल खड़ा कर सकते हैं, जिसकी फिक्र योगी जी को ही करनी होगी। हवाई जहाज उड़ाने की एक शर्त ये होती है कि हर पाइलट और क्रू मेम्बर को हर वर्ष अपनी सेफ्टी एंड इमरजेंसी प्रोसीजर्स ट्रेनिंग एंड बुकिंग करवानी होती है, जिससे हवाई जहाज चलाने और उड़ान के समय उसकी व्यवस्था करने वाला हर व्यक्ति किसी भी आपात स्थिति के लिए चौकन्ना और प्रशिक्षित रहे। ऐसा "नागर विमानन महानिदेशालय' की नियमावली 9.4, डीजीसीए सीएआर सेक्शन 8 सिरीज एफ पार्ट 7 में स्पष्ट लिखा है। योगी जी के लिए चिंता की बात यह होनी चाहिए कि कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा बिना इस नियम का पालन किए बी 200 जहाज धड़ल्ले से उड़ता रहा है। ऐसा उल्लंघन केवल खुद प्रज्ञेश मिश्रा ही नहीं बल्कि अपरेशन मैनेजर होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के दो अन्य पाइलटों से भी करवाता रहा है और इस तरह मुख्यमंत्री व अन्य अतिविशिष्ट व्यक्तियों की जिंदगी को खतरे में डालता रहा है। आश्चर्य है कि डीजीसीए के अधिकारी भी इतने संगीन उल्लंघन पर चुप बैठे रहे? जाहिर है कि यह चुप्पी बिना कीमत दिए तो खरीदी नहीं जा सकती। इसका प्रमाण है कि 30 दिसम्बर 2019 को डीजीसीए की जो टीम जांच करने लखनऊ गई थी। उसने मिश्रा व अन्य पायलटों के इस गम्भीर उल्लंघन को जान-बूझकर अनदेखा किया।
क्या डीजीसीए के मौजूदा निदेशक अरुण कुमार को अपनी इस टीम से इस लापरवाही या भ्रष्टाचार पर ये जवाब-तलब नहीं करना चाहिए? इसी तरह हर पायलट को अपना मेडिकल लाइसेंस का भी हर वर्ष नवीनीकरण करवाना होता है, जिससे अगर उसके शरीर, शिष्टता निर्णय लेने की क्षमता में कोई गिरावट आई हो तो उसे जहाज उड़ाने से रोका जा सकता है। पर कैप्टन मिश्रा बिना मेडिकल लाइसेंस के नवीनीकरण के बी-200 जहाज धड़ल्ले से उड़ता रहा। यह हम पहले ही बता चुके हैं कि कोई पाइलट हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज दोनों नहीं उड़ा सकता। क्योंकि दोनों की एरोडायनामिक्स अलग-अलग हैं। पर प्रज्ञेश मिश्रा इस नियम की भी धज्जियां उड़ा कर दोनों किस्म के वीआईपी जहाज और हेलीकॉप्टर उड़ाता रहा है, जिससे मुख्यमंत्री उसके कब्जे में ही रहे और वो इसका फायदा उठाकर अपनी अवैध कमाई का मायाजाल लगातार बढ़ाता रहे।
नई दिल्ली के खोजी पत्रकार रजनीश कपूर ने कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा की 200 से भी अधिक फर्जी कम्पनियों में से 28 कम्पनियों और उनके संदेहास्पद निवेशकों के नाम सोशल मीडिया पर उजागर कर दिए हैं और योगी जी से इनकी जांच कराने की अपील कई बार की है। इस आश्वासन के साथ, कि अगर यह जांच ईमानदारी से होती है तो कालचक्र ब्यूरो उत्तर प्रदेश शासन को इस महाघोटाले से जुड़े और सैकड़ों दस्तावेज भी देगा। आश्चर्य है कि योगी महाराज ने अभी तक इस पर कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की? लगता है कैप्टन मिश्रा के संरक्षक उत्तर प्रदेश शासन के कई वरिष्ठ अधिकारी योगी महाराज को इस मामले में अभी भी गुमराह कर रहे हैं। 1990 में एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि, नौकरशाही घोड़े के समान होती है; और अपनी ताकत से उसे जिधर चाहे मोड़ सकता है। पर यहां तो उल्टा ही नजारा देखने को मिल रहा है। देखें आगे क्या होता है ?
( संपादकीय ,राष्ट्रीय सहारा )
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