दुश्मनों के वक्षस्थलों को फाड़ कर उनको भस्म करके उनकी राख को भी क्षितिर वितिर कर देने का मज़ा ही कुछ और है ताकि फिर किसी अन्य आक्रांताओं या विदेशी ताकतों में दुस्साहस ना हो हमें आंख उठाकर कर देखें।थर थर कांप उठे शत्रु वीरों की रुद्र गर्जन से ।
धरती हुंकार रही है क्योंकि रक्त की प्यासी हो गई है! सिंधु की लहरे प्यासी है बूंद- बूंद रक्त की .. खंडित भारत माता की तस्वीर कहती है उठ अपने मां की दूध की लाज रख पूरे भारतवर्ष में अखंड ज्योति जला रक्त के बूंद से ताकि फिर से भारत अखंड हो जाय।
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