लेखक - शिवम् कुमार पाण्डेय
वर्ष 2016 फ़रवरी में जेएनयू में लगे नारों को भला कौन भूल सकता है। कुछ मुठ्ठी भर छात्रों और वामपंथी संगठनों ने विश्वविद्यालय की कीर्ति एवं शिक्षा के स्तर पर ऐसे आघात किए जिनको देशभक्ति के श्रेणी में तो कत्तई नहीं रखा जा सकता।जिस समय सारा देश सियाचिन के जांबाज शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा था उस समय जेएनयू में भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी तथा अफजल हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा है के नारे लग रहे थे। आतंकी अफजल गुरु की बरसी मनाई जा रही थी । वहां पोस्टर लगे जहां जिनमें लिखा था - शहीद अफजल गुरु की शहादत की पहली बरसी पर स्मृति सभा जिसमें अरुंधती राय, प्रो. जगमोहन , सुजितो भद्र , जेएनयू के प्रो. एके रामकृष्णन के नाम भाषण देने वालों थे। डीएसयू के पोस्टरों में छापा गया कि कश्मीर के राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष को लाल सलाम। देश की एकता और अखंडता को खुलेआम चुनौती दी जा रही थी। जहां कहीं भी देश में भारतीय सेना के विरुद्ध विद्रोही गतिविधियां हैं उन सब के समर्थन में जेएनयू में सेमिनार एवं प्रदर्शन आयोजित हो किए जाते रहे है विभिन्न संगठनों द्वारा। कश्मीर, असम ,मणिपुर और नागालैंड के विद्रोह संगठनों की उपस्थिति देखी जा सकती है।
"भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाह अल्लाह इंशाह अल्लाह ,तुम कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेगा" अर्थात अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देशी विरोधी नारे लगाना और आतंकियों के एनकाऊंटर पर मानव अधिकार की बाते करने वालो को तमाम राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था। एक तरफ भारतीय सैन्य बलों के जवानों पर पत्थबाजी होती थी जिसका जवाब चाहकर की भी हमारे जवान गोली से नहीं दे सकते थे और दूसरी तरफ ये तथाकथित सेक्युलर लोग इनपर कश्मीर में बलात्कार करने का आरोप लगाते थे। पूरी तरह से भारतीय सेना का मनोबल गिराने की नाकाम कोशिश की गई। जिस छाती से दूध पिया उसी में दांत गड़ाने का काम किया इन लोगो ने। इन देशद्रोहियों की भगत सिंह से की जा रही थी! करने वाले कांग्रेसी नेता थे जिनको को तो चुल्लू भर पानी में जाकर डूब मरना चाहिए। तनिक भी शर्म ना आयी की भगत सिंह की आत्मा क्या सोच रही होगी कि कैसे निकम्में लोग पैदा हो गए है देश में यानी सत्ता के लिए कुछ भी कर बैठेंगे। मार्क्स माओ स्टालिन लेनिन चे ग्वेरा और कस्त्रो ना जाने कितने विदेशियों को अपना आदर्श मानने वाले वामपंथियों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को भी नहीं छोड़ा है।
उड़ी हमले में शहीद हुए जवानों पर भी गंदी राजनीति करने से कुछ लोग बाज नहीं आए। सेना के जवानों कहा जाता था कि "ये घूस देके भर्ती हुए है"। जब भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकियों को 72हुरो के पास पहुंचाकर अपने साथी जवानों का बदला लिया और ये दिखाया की हम घर में घुस कर मार सकते है तो इसको भी तमाम विपक्षी नेताओ ने मानने से इंकार कर दिया। सबको सबूत चाहने लगा था सेना के बहादुरी का हद तो तब हो गई जब राहुल गांधी ने कहा मोदी सेना के जवानों की खून की दलाली करते है।
पिछले साल 14 फरवरी 2019 का ही मामला देख लीजिए सीआरपीएफ के जवानों पर कायरतापूर्ण हमला हुआ था जिहाद के नाम पर जिसमें करीब 45 जवान शहीद हो गए थे। वायुसेना ने 26 फ़रवरी 2019 को एयर स्ट्राइक से इसका बदला लिया था जिसपर तथाकथित सेक्युलर लिबरल गैंग ने सवाल खड़ा कर दिया था। शुक्र है कि 5 अगस्त 2019 को संसद में माननीय गृहमंत्री अमित शाह ने धारा 370 और 35अ निष्क्रिय करने का बिल पारित कर दिया जिसे लेकर सालो से अटकलें लगाई जा रही थी कि संघ और भाजपा सिर्फ बाते करती है इनके बस का कुछ नहीं है। अलगादवादी , हुरियत, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी वाले कहते थे 370 हटा तो आग लगा देंगे , तबाही मचा देंगे आदि उलुल- जुलूल भाषणों से वहां की अवाम और युवाओं को बरगलाने और भड़काने का काम करते थे। 370 हटा हम सब ने देखा और इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में से लिखा गया। जब से 370 हटा तब से आप देख सकते हैं जन्नत जाने वालों की लंबी लाइन लगी हुई है। हुर्रियत और अलगाववादी नेताओं की तो कमर तोड़ दी गई है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने यो ये जता दिया कि राष्ट्रहित में फैसले लेने से भाजपा सरकार तनिक भी संकोच नहीं करेगी। इसका भी विरोध हुआ समुदाय विशेष के लोगों ने दंगा करने की कोशिश की, देश का माहौल खराब किया गया। तमाम राजनैतिक पार्टियों को घिनौना चरित्र उजगार हुआ। सेक्युलर पत्रकारों , लिबरल बुद्धिजीवियों और वामपंथी संघठनो ने आग में पेट्रोल डालने का कार्य किया। शाहीन बाग इसका जीता जागता उदाहरण है।
अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण हो रहा है काफी लंबे सालो के बाद हिन्दुओं की आस्था को न्याय मिला। उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री भी "हिन्दू ह्रदय सम्राट" योगी आदित्यनाथ है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भुलाया नहीं जा आखिर इन्हीं कार्यकाल में विवादित बाबरी ढांचा गिराया गया था। इन्होंने अपने राजनीति करियर दांव पर लगा दिया सिर्फ प्रभु श्री राम के लिए।आडवाणी , अशोक सिंघल , पूर्व प्रधान अटल बिहारी वाजपेई जी, देवी ऋतंभरा आदि लोगो के बिना ये आंदोलन संभव भी नहीं था। प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने 56 इंची सीने जोर दिखाया जिसका पूरे विश्व में गूंजा उठा। बहुत पहले नारा लगाया गया था "मिले मुलायम काशीराम हवा में उड़ गए जय श्रीराम" वर्तमान में इसका सटीक उत्तर ये है "अजर अमर है जय श्री राम मर गए मुल्ला काशीराम" । जैसी करनी वैसी भरनी जो आप करेंगे उसका दंश तो भोगना ही पड़ेगा। कारसेवकों के ऊपर गोलियां चलवाने से आप कौन से बड़का सेक्युलर बन गए! कांग्रेसियों कारामात को भी कोई नहीं भूल सकता ये तो हिन्दुओं को आतंकवादी बनाने लगे हुए थे "भगवा आतंकवाद" की संज्ञा देने लगे थे। साल 2008 में जिहाद के नाम पर होने वाले जगह जगह बम विस्फोटों को कौन भूल सकता है। सबसे महत्वपूर्ण 26/11 का मुंबई हमला जिसने पूरे देश को दहला दिया था। अभी वर्तमान में देखिए कांग्रेसियों की करास्तनी राम मंदिर में लगने वाने गुलाबी पत्थराें के खनन पर राजस्थान सरकार ने रोक लगाा कर 25 ट्रक जप्त कर लिया। मतलब इन कांग्रेसियों की बुद्धि अभी तक खुली नहीं है। खैर अंत में बस यही कहना चाहूंगा जो कोई भी राष्ट्रहित के मार्ग में बाधक होगा उसका सर्वनाश हो जाएगा।
जी बहुत धन्यवाद आपका। आज ईमेल चेक करते वक्त आपका कॉमेंट दिखा।
Deleteशानदार लेख!
ReplyDeleteधन्यवाद ओमी जी🌻
DeleteBhut badhiya likha h apne
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद निखिल जी🌻
Deleteबिल्कुल सही लिखा है आपने।✍️
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद सिद्धार्थ जी
Deleteवाह,जबरदस्त लेख।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार रजत जी।
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