संविधान की बात करने वाले ने संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए यह दर्शा दिया कि ना खाता न बही हम जो करे वही सही। कानून बनाने वालों ने कानून की जबरदस्त खेल लिया उड़ाई नजारा तो यह था कि गैलरी और लोकसभा से विपक्षी सदस्य राज्यसभा में आकर हंगामा करने लग गए। करुणा महामारी को लेकर जो प्रोटोकॉल बनाया गया था उसको भी लोगों ने तोड़ कर रख दिया वह भी उस समय जब 40 के करीब सांसद कोविड-19 संक्रमित पाय गए हैं। मत पूछिए ऐसी भषण मची हुई थी कि किसी को कुछ होश या ख़बर ही नहीं था कि जो वो कर रहे है उससे देश की जनता पर क्या असर पड़ेगा? हर मुद्दे को लेकर भटकाने की कोशिश हमेशा से विपक्ष की चाल रही है। जब कुछ नहीं मिलता है तो शोर - शराबा करके संसद का समय और जनता का पैसा दोनों ही बर्बाद कर देते है। भारतीय संसद के लिए कोई नई बात नहीं है अभी हाल ही में देख सकते हैं 2019 अगस्त में जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने पर पीडीपी के दो सांसदों नजीर अहमद लवे और एमएम फैयाज़ ने संसद में ही अपने कपड़े फाड़ दिए थे। पीडीपी के सांसदों द्वारा संसद में कपड़े फाड़ने पर सभापति वेंकैया नायडू ने दोनों सांसदों को सदन से बाहर भेज दिया था। इतना ही नहीं इन दोनों ने संविधान की प्रतिलिपि को भी फाड़ दिया था। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 की कॉपी फाड़ दी थी इसको लेकर काफी हंगामा भी हुआ था।
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की काली करतूत को कैसे भुला जा सकता है जब तीन तलाक के मुद्दे की चर्चा के दौरान लोकसभा में उन्होंने बीजेपी सांसद रमा देवी पर अभद्र टिप्पणी कर दी थी। रमा देवी स्पीकर की जगह पर बैठी हुई थी और आजम खान बोल रहे थे "तू इधर उधर की बात ना कर...", बाकी जो हुआ वह तो संसद का काला इतिहास है और इससे आप भली-भांति वाकिफ होंगे।
13 फरवरी 2014 को तेलंगाना राज्य के मुद्दे को लेकर लोकसभा में जो हुआ उसने पूरे देश का सिर शर्म से झुका दिया था। भारतीय संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले अभूतपूर्व घटनाक्रम में लोकसभा में माइक तोड़े गए और मिर्ची स्प्रे किया गया, जिससे तीन सांसदों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा तथा बाद में सीमांध्र क्षेत्र के 16 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया। हंगामे के बीच ही सदन में तेलंगाना विधेयक भी पेश कर दिया गया था। उस समय की लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि ,"इससे देश एवं संसद शर्मसार हुई तथा यह एक धब्बा है।" सदन में अप्रत्याशित हंगामा और अफरातफरी उस समय मच गई जब कांग्रेस से निष्कासित सदस्य एवं आंध्र प्रदेश के विभाजन का विरोध कर रहे उद्योगपति एल राजगोपाल ने काली मिर्ची स्प्रे करना शुरू कर दिया था ।लोकसभा के 16 सांसदों को पांच दिनों के लिए सिर्फ निलंबित किया गया था । इन सांसदों में तेलुगू देशम के पांच, कांग्रेस के पांच, वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष वाई. एस. जगनमोहन रेड्डी सहित दो सांसद और कांग्रेस से निष्कासित छह में से पांच सांसद शामिल थे। तेलंगाना बिल के विरोध के नाम पर लोकसभा में जमकर बवाल हुआ था । सांसदों ने बिल की कॉपियां फाड़ दी थी। स्पीकर का माइक तोड़ने की कोशिश की गई इतना ही नहीं सांसदों ने लोकसभा की कई मेजें और शीशे भी तोड़ दिए थे। ना जाने क्या क्या हो गया था उस दिन संसद की गरिमा को तार तार कर दिया था जैसा की वर्तमान में भी देख सकते है।
इन नेताओं की दो कौड़ी हरकतों की वजह से हमेशा से संसद की आत्मा को ठेस पहुंचता रहा है बाकि सब समझदार है क्या गलत क्या सही है का निर्णय लेने का।
शानदार लेख। बहुत बढ़िया लिखा है आपने। विपक्ष में अब वो बात नहीं है जो होनी चाहिए..!
ReplyDeleteशुक्रिया रजत जी🌻
Deleteबेहतरीन लेख
ReplyDeleteआपका धन्यवाद सिद्धार्थ जी।
Deleteलाजवाब अभिव्यक्ति। सार्थक एवं सटीक लेख।
ReplyDeleteधन्यवाद शांतनु जी।
Delete